अदालत ने मप्र सरकार को यूनियन कार्बाइड अपशिष्ट निपटान पर कार्रवाई के लिए दिया छह सप्ताह का समय

भोपाल. मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य सरकार को यूनियन कार्बाइड कारखाने के अपशिष्ट निपटान पर सुरक्षा दिशानिर्देशों के अनुसार कार्रवाई करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया है. उच्च न्यायालय ने मीडिया को अपशिष्ट निपटान के मुद्दे पर गलत खबरें न देने का भी निर्देश दिया. कुल 12 सीलबंद कंटेनरों में पैक किए गए अपशिष्ट को दो जनवरी को भोपाल से धार जिले के पीथमपुर में निपटान स्थल पर ले जाया गया.

उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एस के कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने राज्य सरकार को महाधिवक्ता प्रशांत सिंह द्वारा अपशिष्ट निपटान शुरू करने से पहले पीथमपुर की जनता को विश्वास में लेने और उनके मन से डर दूर करने का अनुरोध किए जाने के बाद छह सप्ताह का समय दिया. सिंह ने अदालत को बताया कि यूनियन कार्बाइड अपशिष्ट निपटान के बारे में काल्पनिक और झूठी खबरों के कारण पीथमपुर कस्बे में अशांति पैदा हुई .

राज्य सरकार के अपना पक्ष रखने के बाद, पीठ ने प्रिंट, ऑडियो और विजुअल मीडिया को मामले पर कोई भी गलत खबर न चलाने का निर्देश दिया. तीन दिन पहले, इंदौर से लगभग 30 किलोमीटर दूर पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड कचरे के नियोजित निपटान के विरोध में दो लोगों ने आत्मदाह करने की कोशिश की. प्रदर्शनकारियों का दावा है कि इस संयंत्र के कचरे का निपटान मनुष्यों और पर्यावरण के लिए हानिकारक होगा. इसके अलावा, राज्य ने 12 सीलबंद कंटेनरों में भोपाल से पीथमपुर स्थानांतरित किए गए कचरे को उतारने के लिए तीन दिन का समय मांगा.

इस पर, उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि इस पर सुरक्षित और दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्रवाई करना राज्य का विशेषाधिकार है.
दो और तीन दिसंबर, 1984 की मध्यरात्रि को भोपाल में यूनियन कार्बाइड कीटनाशक कारखाने से मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस लीक हुई थी, जिसमें कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे और लंबे समय तक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं रहीं.

तीन दिसंबर, 2024 को पिछली सुनवाई के दौरान, उच्च न्यायालय ने अब बंद हो चुकी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में पड़े कचरे का निपटान करने में विफल रहने के लिए अधिकारियों की खिंचाई की थी. इसने कहा था कि गैस आपदा के 40 साल बाद भी, अधिकारी “नि्क्रिरयता की स्थिति” में हैं, जिससे एक और त्रासदी हो सकती है.

उच्च न्यायालय ने सरकार से चार सप्ताह के भीतर साइट से कचरे को हटाने और परिवहन करने को कहा था और निर्देश पर कार्रवाई नहीं करने पर अवमानना ??कार्यवाही की चेतावनी दी थी. उच्च न्यायालय का निर्देश 2004 में यूनियन कार्बाइड से कचरे के निपटान के लिए दायर एक रिट याचिका पर आया था. यूनियन कार्बाइड हादसा दुनिया की सबसे खराब औद्योगिक आपदाओं में से एक था. याचिकाकर्ता के वकील नमन नागराथ ने सोमवार को कहा कि परीक्षण के बाद कचरे का सुरक्षित तरीके से निपटान किया जाना चाहिए.

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