छत्तीसगढ़ में कोयला ब्लॉक आवंटन से संबंधित याचिकाओं पर दो मार्च को सुनवाई करेगा न्यायालय
नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय छत्तीसगढ़ में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) को कोयला ब्लॉक के आवंटन तथा अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) के खनन परिचालन से संबंधित मामले में याचिकाओं पर आगामी दो मार्च को सुनवाई करेगा.
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्र चूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा, ‘‘हम इस पर दो मार्च को सुनवाई करेंगे.’’ तीन लंबित याचिकाओं में से एक याचिका छत्तीसगढ़ के कार्यकर्ता दिनेश कुमार सोनी ने दाखिल की है. उन्होंने राज्य में आरआरवीयूएनएल को कोयला ब्लॉक आवंटन और एईएल द्वारा किए जा रहे खनन कार्यों को रद्द करने की मांग की है. उनका आरोप है कि दोनों कंपनियों ने पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र का उल्लंघन किया है.
दो अन्य याचिकाएं राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड और हसदेव अरन्ड बचाओ संघर्ष समिति ने दायर की हैं.
इससे पहले पिछले साल 15 जुलाई को अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने तत्काल सुनवाई के लिए सोनी की याचिका का उल्लेख किया था, जिसपर तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने विचार किया था. भूषण ने कहा था कि शीर्ष न्यायालय ने अप्रैल, 2019 में दायर याचिका पर नोटिस जारी किया था और उसके बाद उसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया.
जनहित याचिका दायर कर कोयला ब्लॉक आवंटन की सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) से जांच कराए जाने की मांग की गई थी.
सोनी ने आरआरवीयूएनएल को उसके संयुक्त उपक्रम को और एईएल व पारसा केंटे कोलियरीज लिमिटेड (पीकेसीएल) के साथ कोयला खनन आपूर्ति समझौता रद्द करने का निर्देश देने की अपील की है.