असरदार उपायों के कारण छत्तीसगढ़ बाघ अभयारण्य में पिछले एक वर्ष में मानव-पशु संघर्ष की कोई घटना नहीं

रायपुर. मानव-पशु संघर्ष को कम करने के लिए किए गए उपायों के परिणामस्वरूप पिछले एक वर्ष में छत्तीसगढ़ के उदंती सीतानदी बाघ अभयारण्य में जंगली जानवरों के हमलों में किसी इंसान की जान नहीं गयी है. एक अधिकारी ने रविवार को यह दावा किया. उन्होंने कहा कि इस अवधि में अभयारण्य की अवैध शिकार रोधी टीम ने 120 शिकारियों को गिरफ्तार किया और अभयारण्य के अंदर 650 हेक्टेयर पर अतिक्रमण को ढहाया गया है.

अभयारण्य के उप निदेशक वरुण जैन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि गरियाबंद और धमतरी जिलों में फैले बाघ अभयारण्य में 100 से अधिक गांव हैं और 23 फरवरी 2023 के बाद से जंगली जानवरों के हमलों में किसी भी इंसान के मारे जाने की सूचना नहीं है.
उन्होंने कहा कि इससे पहले बाघ अभयारण्य में जंगली जानवरों के हमलों में खासतौर पर हाथी के हमले में इंसानों की जानें जाती थीं.
जैन ने कहा कि बाघ अभयारण्य में हाथी के हमले में किसी इंसान की मौत का आखिरी मामला 22 फरवरी 2023 का था.

उन्होंने बताया कि मानव-हाथी संघर्ष की घटनाओं को रोकने के लिए पिछले वर्ष मार्च में कृत्रिम मेधा आधारित ऐप की शुरुआत प्रायोगिक आधार पर की गई. इसके जरिए लोगों को हाथी की आवाजाही के बारे में संदेश दिया जाता था ताकि वे हाथियों के रास्ते में आने से बचें. ‘छत्तीसगढ़ हाथी ट्रैकिंग एंड अलर्ट’ नाम का यह ऐप वन प्रबंधन सूचना प्रणाली (एफएमआईएस) और राज्य वन विभाग की वन्यजीव शाखा ने संयुक्त रूप से विकसित किया था.

उन्होंने कहा कि ऐप में ‘हाथी मित्र दल’ (स्थानीय स्वयंसेवक) के सदस्यों द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारियों का इस्तेमाल किया जाता था. यह दल वन क्षेत्रों में हाथियों की गतिविधियों पर नजर रखता है. उन्होंने बताया कि हाथियों के हमले से प्रभावित गांवों में जागरुकता कार्यक्रमों के जरिए भी लोगों को मानव-पशु संघर्ष के बारे में जागरुक करने में मदद मिली है. अधिकारी ने कहा कि पिछले दो वर्ष में अभयारण्य में किसी हाथी की मौत की सूचना नहीं है.

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