पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भिलाई स्थित आवास पर ईडी का छापा

रायपुर: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के परिसरों पर शुक्रवार को फिर छापेमारी की। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। यह छापेमारी उनके बेटे चैतन्य बघेल के खिलाफ कथित शराब घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में की गई।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मामले में नये साक्ष्य मिलने के बाद ईडी ने धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दुर्ग जिले के भिलाई शहर में स्थित बघेल के आवास पर छापा मारा। यह पिता-पुत्र का साझा आवास है।

सूत्रों ने बताया कि छापे की कार्रवाई चैतन्य बघेल के खिलाफ की गई, जिनके खिलाफ शराब घोटाला मामले में जांच जारी है। बघेल के आवास के बाहर भारी संख्या में पुलिसकर्मी देखे गए, वहीं कुछ पार्टी समर्थक भी वहां एकत्र हो गए।

संघीय जांच एजेंसी ने 10 मार्च को भी चैतन्य बघेल के खिलाफ इसी तरह की छापेमारी की थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि ईडी विधानसभा सत्र के आखिरी दिन उनके घर आई है, जब रायगढ़ जिले के तमनार तहसील में अदाणी समूह की कोयला खदान परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई का मुद्दा उठाया जाना था।

उनके कार्यालय ने ‘एक्स’ में एक पोस्ट में कहा, ‘‘आज विधानसभा के मॉनसून सत्र का अंतिम दिन है। तमनार में अदाणी के लिए काटे जा रहे पेड़ों का मुद्दा आज उठना था। भिलाई निवास में ‘साहेब’ ने ईडी भेज दी है।’’ बघेल ने इस महीने की शुरूआत में रायगढ़ जिले के तमनार तहसील का दौरा किया था और कोयला खदान परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे स्थानीय ग्रामीणों के प्रति समर्थन व्यक्त किया था।

यह खदान महाराष्ट्र राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड को आवंटित है, जिसने एमडीओ (खदान विकासकर्ता सह संचालक) का ठेका अदाणी समूह को दिया है। ईडी ने पहले दावा किया था कि चैतन्य बघेल पर कथित शराब घोटाले से धन प्राप्त करने का संदेह है।

यह कहा गया कि इस घोटाले के परिणामस्वरूप राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ और शराब घोटाले में शामिल गिरोह के लाभार्थियों के जेबों में 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की राशि गई। इस मामले में ईडी ने जनवरी में पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता कवासी लखमा के अलावा रायपुर के महापौर और कांग्रेस नेता एजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर, पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) के अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी और कुछ अन्य लोगों को जांच के तहत गिरफ्तार किया था।

ईडी के अनुसार छत्तीसगढ़ में यह कथित शराब घोटाला 2019 और 2022 के बीच हुआ था, जब छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी। इस जांच के तहत अब तक एजेंसी द्वारा विभिन्न आरोपियों की लगभग 205 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की जा चुकी है।

उच्चतम न्यायालय ने 2024 में इस मामले में ईडी की पहली प्राथमिकी (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) को रद्द कर दिया था, जो आयकर विभाग की शिकायत पर आधारित थी। इसके बाद ईडी ने नए सबूतों के आधार पर छत्तीसगढ़ के आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) /भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) से एक नई प्राथमिकी दर्ज करने को कहा और फिर एक नया मामला दायर किया।

आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) / भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने 17 जनवरी को प्राथमिकी दर्ज की। इस प्राथमिकी में 70 व्यक्तियों और कंपनियों के नाम शामिल किए गए, जिनमें पूर्व आबकारी मंत्री कावसी लखमा, पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड और अन्य लोग शामिल हैं।

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