ईडी ने कहा: केजरीवाल गिरफ्तारी से छूट का दावा नहीं कर सकते; उच्च न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा

नयी दिल्ली. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में गिरफ्तार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आगामी चुनावों के आधार पर गिरफ्तारी से “छूट” का दावा नहीं कर सकते, क्योंकि कानून उनके और एक ”आम आदमी” के लिए समान रूप से लागू होता है.

इक्कीस मार्च को ईडी द्वारा गिरफ्तार और फिलहाल न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद आप के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी के “समय” को लेकर सवाल उठाया और कहा कि यह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव एवं समान अवसर मुहैया कराये जाने सहित संविधान की बुनियादी संरचना का उल्लंघन है.

केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने दावा किया कि एजेंसी “फिक्स्ड मैच” खेलने की कोशिश कर रही है और मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी सरकारी गवाह बन चुके ‘सह-आरोपी’ के अपुष्ट बयानों पर आधारित है. केजरीवाल फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं.

न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा ने दोनों पक्षों- आम आदमी पार्टी (आप) नेता केजरीवाल और ईडी- की ओर से पेश दलीलें सुनने के बाद कहा, “मैं फैसला सुरक्षित रख रही हूं.” केरजीवाल की रिहाई की राहत की मांग करते हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता सिंघवी ने दलील दी कि अगस्त 2022 में ईडी द्वारा जांच शुरू करने के डेढ. साल बाद धनशोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन में आप नेता को गिरफ्तार करने की कोई आवश्यकता नहीं थी.

एजेंसी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस. वी. राजू ने याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि इस मामले में प्रथम दृष्टया धनशोधन का अपराध बनता है और वर्तमान में, याचिकाकर्ता के खिलाफ जांच प्रारंभिक चरण में है. एएसजी ने ईडी के खिलाफ लगाए गए पूर्वाग्रह के आरोपों से इनकार किया और कहा कि उनका मामला सबूतों पर आधारित है और “अपराधियों को गिरफ्तार किया ही जाना चाहिए और जेल भेजना चाहिए”. उन्होंने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि “आर्थिक अपराध हत्या से भी बदतर है” और कानून का शासन सभी नागरिकों के साथ समान व्यवहार अनिवार्य करता है.

राजू ने पूछा, “चुनाव के आधार पर आप छूट हासिल नहीं कर सकते. चुनाव के दौरान आप राजनीति से संबंधित किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकते, क्या यही वह कानून है जिसे हम इसलिए ला रहे हैं, ताकि आप अपराधियों को (बेलगाम) घूमने की खुली छूट दे सकें.” एएसजी ने पूछा, ”चाहे चुनाव हों या न हों, आम आदमी को सलाखों के पीछे जाना ही होगा, लेकिन (क्या ऐसा है कि) मैं एक मुख्यमंत्री हूं इसलिए आप मुझे सलाखों के पीछे नहीं डाल सकते, भले ही मैंने जघन्य अपराध किया हो, आर्थिक अपराध किया हो.” उन्होंने कहा कि सुनवाई के चरण में गवाहों के बयानों की पड़ताल की जाएगी.

ईडी की ओर से यह भी दलील दी गयी कि याचिका में याचिकाकर्ता के खिलाफ पारित पहले हिरासत आदेश पर हमला किया गया है, न कि बाद के आदेशों पर. अदालत ने केजरीवाल को पहली बार 28 मार्च तक ईडी की हिरासत में भेजने का आदेश दिया था. ईडी ने 21 मार्च को केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया था क्योंकि उच्च न्यायालय ने उन्हें ईडी की दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण देने से इनकार कर दिया था. यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति को तैयार करने और क्रियान्वित करने में कथित भ्रष्टाचार और धनशोधन से संबंधित है और बाद में उस नीति को रद्द कर दिया गया था.

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