फासीवादी श्रीलंका की सत्ता पर काबिज होने की कोशिश में : विक्रमसिंघे

कोलंबो. श्रीलंका के कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघेने बुधवार को कहा कि देश के लोकतंत्र को फासीवाद से खतरा है. उन्होंने अपने कार्यालय में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के धावा बोलने के कुछ घंटे बाद सामान्य स्थिति बहाल करने तथा सरकारी संपत्ति को बचाने का संकल्प व्यक्त किया.

गोटबाया राजपक्षे के मालदीव जाने के बाद राष्ट्रपति नियुक्त किये गये विक्रमसिंघे ने अपने पहले टेलीविजन भाषण में कहा कि उन्होंने सैन्य कमांडरों और पुलिस प्रमुख को आदेश दिया है कि व्यवस्था बहाल करने के लिए जो कुछ जरूरी है, किया जाए. उन्होंने कहा, ‘‘हमें लोकतंत्र पर मंडरा रहे इस फासीवादी खतरे को समाप्त करना चाहिए. हम सरकारी संपत्ति को बर्बाद नहीं होने दे सकते. राष्ट्रपति कार्यालय, राष्ट्रपति सचिवालय और प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास में उचित सुरक्षा बहाल होनी चाहिए.’’

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे कार्यालय में मौजूद लोग कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में जिम्मेदारी अदा करने से मुझे रोकना चाहते हैं. हम उन्हें अपना संविधान फाड़ने नहीं दे सकते. कुछ मुख्यधारा के राजनेता भी इन उग्रवादियों का समर्थन करते प्रतीत होते हैं. इसलिए मैंने राष्ट्रव्यापी आपातकाल और कर्फ्यू की घोषणा की है.’’ विक्रमसिंघे ने कहा कि उन्होंने सैन्य कमांडरों और पुलिस प्रमुख को आदेश दिया है कि व्यवस्था बहाल करने के लिए जो कुछ जरूरी है, किया जाए.

न्यूजफर्स्ट.एलके की खबर के अनुसार विक्रमसिंघे ने कहा कि सशस्त्र बलों के प्रमुखों की एक समिति को यह काम करने की जिम्मेदारी दी गयी है जिसमें राजनीतिक हस्तक्षेप बिल्कुल नहीं होगा. उन्होंने कहा कि उनके दफ्तर में प्रदर्शनकारियों के धावा बोलने के बाद वह कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में पश्चिमी प्रांत में आपातकाल और कर्फ्यू की घोषणा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि खुफिया जानकारी के अनुसार प्रदर्शनकारियों की योजना उनके कार्यालय और संसद पर कब्जा करने की थी जिसके बाद आपातकाल लगाना पड़ा.

उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति के देश छोड़कर जाने और नये राष्ट्रपति के चुनाव के लिए कदम उठाये जाने के बावजूद कुछ प्रदर्शनकारी समूहों ने प्रधानमंत्री कार्यालय पर कब्जे की योजना बनाई और राष्ट्रपति को मालदीव जाने के लिए वायु सेना का विमान उपलब्ध कराने पर वायु सेना के कमांडर के आवास को घेर लिया. उन्होंने नौसेना के कमांडर और सैन्य कमांडर के आवास को भी घेरने का फैसला किया.

इन समूहों ने देश को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश की.’’ विक्रमसिंघे ने कहा, ‘‘उसी समय, उन्होंने संसद को भी घेरने की योजना बनाई थी. ये समूह अब प्रधानमंत्री के कार्यालय के आसपास प्रदर्शन कर रहे हैं. उनके यहां आने की कोई वजह नहीं है. वे मुझे कार्यवाहक राष्ट्रपति बनने से रोकना चाहते हैं, मुझे नये राष्ट्रपति के चुनाव के लिए संसद अध्यक्ष के साथ काम करने से रोकना चाहते हैं. वे अपना खुद का उम्मीदवार नियुक्त होते देखना चाहते हैं.’’ उन्होंने कहा कि सभी फैसलों में संविधान का पालन किया जाएगा. प्रदर्शनकारी देश में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए राजपक्षे और विक्रमसिंघे दोनों के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.

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