सौर ऊर्जा संबंधी सरकारी नीति और दृष्टि अस्पष्ट : विपक्ष
नयी दिल्ली. राज्यसभा में सोमवार को आम आदमी पार्टी (आप) सहित विभिन्न दलों के सदस्यों ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में उसकी नीति और दृष्टि अस्पष्ट है जिससे उत्पादन लक्ष्यों से काफी पीछे है. नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के कामकाज पर राज्यसभा में हुई चर्चा में भाग लेते हुए आप सदस्य संदीप कुमार पाठक ने कहा कि इस संबंध में सरकार की नीति और दृष्टि में स्पष्टता नहीं है और न ही उसकी नीति में सततता नहीं है.
उन्होंने कहा कि भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और यहां 300 दिन धूप वाले होते हैं जिसका फायदा उठाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि देश की सारी ऊर्जा जरूरतें सौर ऊर्जा से पूरी हो सकती हैं तो सवाल उठता है कि गड़बड़ी कहां हो रही है.
आप सदस्य ने कहा कि चीन ने अपने सौर मिशन में विकास एवं रोजगार सृजन पर जोर दिया जिसका उसे व्यापक फायदा मिला. उन्होंने आरोप लगाया कि सौर ऊर्जा संबंधी सरकारी नीति में न तो स्पष्टता है और न ही सततता. उन्होंने कहा कि एक बार सरकार उपकरणों पर आयात शुल्क कम कर देती है तो अगली बार बढ़ा देती है जिससे उसकी नीति में अस्थिरता परिलक्षित होती है.
उन्होंने परियोजनाओं के कार्यान्वयन में देरी पर चिंता जतायी और कहा कि देश की विभिन्न बिजली वितरण कंपनियों को मजबूत बनाने की जरूरत है. उन्होंने बैट्री एवं कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में निवेश पर जोर दिए जाने की मांग की और कहा कि अगर सोलर पैनल खराब हो जाएं तो उन्हें ठीक करने के लिए कुशल लोग नहीं हैं. आप सदस्य ने कहा कि चीन में करीब दो हजार बड़ी कंपनियां हैं जो इस क्षेत्र में काम कर रही हैं लेकिन भारत में गिनती की कंपनियां हैं. उन्होंने नयी कंपनियों को बढ़ावा देने का भी सुझाव दिया.
बीजू जनता दल (बीजद) के निरजंन बिशी ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि छत पर सौर पैनल (रूफटॉप सौर ऊर्जा) में सभी वर्गों को एक समान सब्सिडी का प्रावधान किया गया है जो उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार ने चुनाव से पहले 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने की बात की थी लेकिन अब तक किसी को भी मुफ्त बिजली नहीं दी गई है. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के ए. डी. सिंह ने कहा कि विपक्ष के 15 दलों ने गृह मंत्रालय पर चर्चा करने की मांग की थी लेकिन सत्तापक्ष तैयार नहीं हुआ.
उन्होंने दावा किया कि एक ही कार्य के लिए कोयला, बिजली, नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय सहित कई मंत्रालय हैं जिनमें समन्वय का अभाव है. उन्होंने सवाल किया कि नवीकरणीय ऊर्जा के संबंध में सरकार की नीति ही स्पष्ट नहीं है, ऐसे में लक्ष्य कैसे हासिल हो सकते हैं? उन्होंने दावा किया कि सरकार बजट में आवंटित राशि नहीं खर्च कर पा रही है.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वी. शिवदासन ने कहा कि भारत लक्ष्य से काफी पीछे है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अपने मित्रों को फायदा पहुंचा रही है और उसे आम लोगों के साथ वंचित वर्ग के हितों पर भी गौर करना चाहिए. उन्होंने शोध एवं अनुसंधान में निवेश करने और बैट्री तथा भंडारण सुविधा बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सुमेर सिंह सोलंकी ने कहा कि मौजूदा सरकार लोगों को बिजली के साथ घर मुहैया करा रही है. उन्होंने कहा कि देश में आम लोगों को भी पर्याप्त बिजली मिल रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकारों के समय लोगों को पर्याप्त बिजली नहीं मिलती थी जिससे किसानों की फसलें तक सूख जाती थीं. सोलंकी ने कहा कि सरकार ने सूर्य घर योजना शुरू की है जिससे एक करोड़ लोगों को फायदा होगा. उन्होंने कहा कि विभिन्न सौर ऊर्जा संयंत्रों से बिजली भी मिलेगी और लाखों लोगों को रोजगार भी मिलेगा वहीं कार्बन उत्सर्जन में भी कटौती होगी.
पूर्व प्रधानमंत्री और जनता दल (एस) नेता एच.डी. देवेगौड़ा ने कहा कि वह बिजली क्षेत्र की समस्याओं से वाकिफ हैं और इस सरकार के कार्यकाल में सौर ऊर्जा क्षेत्र में काफी काम हुआ है. उन्होंने कहा कि बैट्री भंडारण के साथ ही स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला बनाए जाने की जरूरत पर बल दिया. पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि सौर पैनल की आयु 25 साल होती है और भविष्य में उसका निस्तारण एक बड़ी चुनौती बन सकती है तथा पारिस्थितिकी प्रभावित हो सकती है. उन्होंने इस चुनौती के मद्देनजर समग्र नीति बनाए जाने की जरूरत बताते हुए कहा कि उसमें निस्तारण नीति को भी समाहित किया जाना चाहिए. द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) की सदस्य कनिमोझी एनवीएन सोमू ने सौर ऊर्जा संबंधी परियोजनाओं में सब्सिडी बढ़ाए जाने की मांग की.