सरकार को चीन के खिलाफ मजबूती से खड़ा होना चाहिए: कांग्रेस

कांग्रेस ने अडाणी मामले में फिर उठाई जेपीसी से जांच कराए जाने की मांग

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह किया कि सरकार को चीन के खिलाफ मजबूती से खड़ा होना चाहिए. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में यह आरोप भी लगाया कि ”19 जून, 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने सार्वजनिक रूप से जिस तरह चीन को क्लीन चिट दी, उसने बातचीत में भारत की स्थिति को बेहद कमज.ोर कर दिया.”

उन्होंने एक खबर का हवाला देते हुए दावा किया, ”अब हमें पता चला है कि पीछे हटना तो दूर, चीनी भारतीय क्षेत्र में 15-20 किलोमीटर और अंदर एक “बफर ज.ोन” की मांग कर रहे हैं, जबकि वे पहले ही हमारी सीमा में 18 किलोमीटर घुसपैठ कर चुके हैं. चीन की वापसी के बदले में मोदी सरकार पहले ही बफर ज.ोन के लिए सहमति जताकर भारतीय क्षेत्र के गल्वान, पैंगोंग सो, गोगरा पोस्ट और हॉट ्प्रिरंग्स इलाके में भारतीय भूमि का त्याग कर चुकी है.”

रमेश ने कहा, ”मोदी सरकार को चीन के ख.लिाफ. मजबूती से खड़ा होना चाहिए. भारत डेपसांग के 1,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र तक अपनी पहुंच नहीं खो सकता है, जो चीनी और पाकिस्तानी सेना को अलग करता है. यह क्षेत्र लद्दाख की रक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है.”

कांग्रेस ने अडाणी मामले में फिर उठाई जेपीसी से जांच कराए जाने की मांग

कांग्रेस ने सोमवार को दावा किया कि उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति और भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) अडाणी समूह के लेनदेन से जुड़ी जांच करते समय ऐसे बिंदु पर पहुंच गए जहां से वह आगे नहीं बढ. सकते थे. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि इस मामले की सच्चाई सामने लाने के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन जरूरी है.

रमेश ने एक खबर का हवाला दिया जिसमें दावा किया गया है कि कंपनी पंजीयक (गुजरात) ने हाल ही में कहा था कि अडाणी पावर और इसके अधिकारियों ने संबंधित पक्षों के साथ अनुबंध और लेनदेन की जानकारी नहीं देकर कंपनी अधिनियम, 2013 का उल्लंघन किया है.

उन्होंने ट्वीट किया, ”जैसे कि ‘मोदानी ब्रिगेड’ ने उच्चतम न्यायालय की समिति की रिपोर्ट को क्लीन चिट बताने की कोशिश की, उसी क्रम में अब और सबूत सामने आ गए हैं.” रमेश ने दावा किया कि जांच करते हुए उच्चतम न्यायालय की समिति और सेबी भी ऐसे बिंदु पर पहुंच गए जहां से वे आगे नहीं बढ. सकते थे, ऐसे में इस ‘महाघोटाले’ की सच्चाई सामने लाने के लिए जेपीसी द्वारा जांच जरूरी है.
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय की एक विशेषज्ञ समिति ने पिछले दिनों कहा कि वह अडाणी समूह के शेयरों में हुई तेजी को लेकर किसी तरह की नियामकीय विफलता का निष्कर्ष नहीं निकाल सकती है.

समिति ने यह भी कहा कि सेबी विदेशी संस्थाओं से धन प्रवाह के कथित उल्लंघन की अपनी जांच में कोई सबूत नहीं जुटा सकी है.
छह सदस्यीय समिति ने हालांकि कहा कि अमेरिका की वित्तीय शोध और निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से पहले अडाणी समूह के शेयरों में ‘शॉर्ट पोजीशन’ (भाव गिरने पर मुनाफा कमाना) बनाने का एक सबूत था और हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद भाव गिरने पर इन सौदों में मुनाफा दर्ज किया गया.

दो हजार के नोट ने कालाधन रखने वालों की मदद की: चिदंबरम

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंरबम ने 2016 में 2,000 रुपए के नोट का चलन शुरू करने के कदम को ”मूर्खतापूर्ण” करार देते हुए सोमवार को दावा किया कि इस मुद्रा ने केवल उन लोगों के लिए धन जमा करना आसान बना दिया, जो काला धन रखते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को 2,000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने की घोषणा की थी. इस मूल्य के नोट बैंकों में जाकर 30 सितंबर तक जमा किए जा सकेंगे या बदले जा सकेंगे. आरबीआई ने कहा था कि अभी चलन में मौजूद 2,000 रुपये के नोट 30 सितंबर तक वैध मुद्रा बने रहेंगे. इसके साथ ही आरबीआई ने बैंकों से 2,000 रुपये का नोट देने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने को कहा था.

चिदंबरम ने ट्वीट किया, ”बैंकों ने स्पष्ट कर दिया है कि 2,000 रुपए के नोट बदलने के लिए कोई पहचान पत्र देने, किसी प्रपत्र को भरने या कोई साक्ष्य जमा कराने की आवश्यकता नहीं होगी. काले धन का पता लगाने के लिए 2,000 रुपये के नोट चलन से बाहर करने का भाजपा का दावा बेकार हो गया है.” उन्होंने कहा कि आम लोगों के पास 2,000 रुपए के नोट नहीं हैं, क्योंकि वे 2016 में इनके चलने में आने से ही इनसे बचते रहे हैं. उन्होंने कहा कि 2,000 रुपए के नोट रोजाना की खुदरा वस्तुएं खरीदने में काम नहीं आते.”

चिदंबरम ने कहा, ”तो 2,000 रुपए के नोट किसने रखे और किसने इनका इस्तेमाल किया? जवाब आप जानते हैं. दो हजार रुपए के नोट ने केवल उन लोगों को पैसा जमा करने में मदद की जो कालाधन रखते हैं.” पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, ”जिन लोगों के पास 2,000 रुपए के नोट हैं, उनका रेड कार्पेट बिछाकर उनके नोट बदलने के लिए स्वागत किया जा रहा है. कालेधन को जड़ से खत्म करने के सरकार के घोषित उद्देश्य के लिए यह सब किया जा रहा है.”

चिदंबरम ने कहा कि 2,000 रुपए के नोट का 2016 में चलन शुरू किया जाना ही एक ”मूर्खतापूर्ण” कदम था. उन्होंने कहा कि उन्हें कम से कम सात साल बाद इस मूर्खतापूर्ण कदम को वापस लिए जाने की खुशी है. चिदंबरम ने 2,000 रुपए के नोट चलन से बाहर करने को लेकर शुक्रवार को भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा था और कहा था कि उन्हें हैरानी नहीं होगी कि यदि 1,000 रुपये का नोट फिर से जारी हो जाए.

उन्होंने कहा था, ”500 और 1,000 रुपये के नोट को बंद करने के मूर्खतापूर्ण फैसले को ढंकने के लिए 2,000 रुपये का नोट ‘बैंड-एड’ की तरह था. नोटबंदी के कुछ सप्ताह के बाद सरकार/आरबीआई को 500 रुपये के नोट फिर से जारी करना पड़ा. मुझे हैरानी नहीं होगी, अगर सरकार 1,000 रुपये का नोट फिर से जारी कर दे.”

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