सरकार को ‘‘हमारे खिलाफ कुछ मत कहो’’ वाला रवैया नहीं अपनाना चाहिए: सलमान खुर्शीद

नयी दिल्ली. पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने आॅल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को गिरफ्तार किए जाने के मामले में जर्मनी की आलोचना पर भारत के पलटवार के मद्देनजर रविवार को कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रतिकूल राय के लिए कोई कारण ही नहीं हो तथा उसे ‘‘हमारे खिलाफ कुछ मत कहो’’ वाला रवैया नहीं अपनाना चाहिए.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने आरोप लगाया कि सरकार यह सुनिश्चित करने में ‘‘निष्क्रिय’’ रही है कि देश का कानून बिना किसी भय के और बिना भेदभाव के लागू किया जाए. इसके साथ ही उन्होंने सवाल किया कि ‘‘हर चीज पर बोलना पसंद करने वाले’’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एकता के बारे में और ‘‘हम दोबारा एकसाथ कैसे आएं’’ इसके बार में क्यों नहीं बोलते.

खुर्शीद ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘ यदि वह ऐसे प्रधानमंत्री होते जो चुप रहते हों, तो अलग बात होती लेकिन वह चुप रहने वाले प्रधानमंत्री नहीं हैं, वह बोलते हैं. तो वह इस बारे में कुछ क्यों नहीं बोल रहे हैं. वह यह क्यों नहीं कहते कि चलिए हम साथ आएं, अगर हम बंटे रहे तो यह देश सफल नहीं हो पाएगा.’’ विपक्ष की एकता और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में उसकी राह के बारे में पूछे जाने पर खुर्शीद ने कहा कि विपक्षी दलों का मुकाबला एक ‘‘बेहद चालक विरोधी’’ से है और अगर उन्होंने जल्दी काम नहीं किया तो वे पिछड़ जाएंगे.

खुर्शीद ने कहा कि इस देश को बचाने के लिए एक साझा मंच बेहद जरूरी है. इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ‘‘जो ऐसा करने में नाकाम रहेंगे, इतिहास उन्हें कभी माफ नहीं करेगा.’’ कांग्रेस नेता ने जुबैर की गिरफ्तारी और असंतुष्टों को कथित तौर पर दबाए जाने के मुद्दे पर कहा कि खुले तौर पर बात करना बेहद कठिन होता जा रहा है क्योंकि इसके परिणाम ‘‘अनिष्ट का पूर्वाभास’’ देते हैं.

उन्होंने कहा,‘‘ आपको तत्काल जमानत नहीं मिलती, अगर सभी को उच्चतम न्यायालय जाना पड़े ….तो यह ंिचताजनक बात है.’’ जुबैर को गिरफ्तार किए जाने पर जर्मनी की ओर से आलोचना होने के बारे में तथा यह पूछे जाने पर कि क्या तथ्य खोजने वाले के खिलाफ अथवा कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ कार्रवाई से विदेशों में भारत की छवि को नुकसान पहुंचा है, खुर्शीद ने कहा कि जब भारत को दुनिया से प्रोत्साहन मिलता है तो इसकी सराहना होती है लेकिन जब दुनिया ऐसे मुद्दे उठाती है जो ‘‘हमारे बारे में नकारात्मक होते हैं, तो हमें बहुत बुरा लगता है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘ स्वाभाविक प्रतिक्रिया होती है कि हमारे आंतरिक मामलों में दखल मत दो. यह सही है, मैं कह सकता हूं, मैं भी सरकार में रहा हूं और सरकार में रहते हुए हमने भी यही रुख अपनाया था कि हम नहीं चाहते कि दुनिया हमारे आंतरिक मामलों में दखल दे.’’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘ तथ्य यह है कि दुनिया बदल रही है, दूसरे देशों में क्या हो रहा है हम इसके बारे में राय रखते हैं, उसी प्रकार हमारे देश में क्या हो रहा है वे भी राय रखते हैं. अगर हम नहीं चाहते कि कोई प्रतिकूल राय बने, तो इसके लिए हमें अपना अच्छा पक्ष दिखाना चाहिए. हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए की प्रतिकूल राय के लिए कोई कारण ही नहीं हो.’’ उन्होंने कहा कि सरकार को इस बारे में ध्यान केंद्रित करना चाहिए, न कि ‘‘हमारे खिलाफ कुछ मत कहो’’ वाला रवैया अपनाना चाहिए.

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘ आप एक दुनिया में रहते हैं, आपको दुनिया के नियमों के अनुसार चलना होगा जिसमें आपकी भी साझेदारी है और अगर कहीं कुछ गलत होता है, तो हमारे पास उसे गलत कहने का उतना ही अधिकार है.’’ इसके उदाहरण में उन्होंने कहा कि यूक्रेन के बूचा में जो हुआ क्या भारत ने नहीं कहा कि वह गलत था और उसकी पूरी जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि रूस शिकायत कर सकता था कि यह उसका सैन्य अभियान है और भारत उसमें हस्तक्षेप कर रहा है.

दरअसल, जर्मनी के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बुधवार को जÞुबैर के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई के संदर्भ में कहा था कि पत्रकार जो कहते हैं और लिखते हैं, उसके लिए उन्हें सताया नहीं जाना चाहिए और उन्हें जेल में बंद नहीं किया जाना चाहिए. भारत ने जर्मनी की आलोचना को खारिज करते हुए कहा था कि देश की न्यायपालिका की स्वतंत्रता सर्वविदित है और ‘‘तथ्यों को जाने बिना’’ की गईं टिप्पणियां ‘‘अनुपयोगी’’ होती हैं तथा इनसे बचना चाहिए. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अंिरदम बागची ने कहा था, ‘‘ यह अपने आप में आंतरिक मुद्दा है. मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि मामले में न्यायिक प्रक्रिया चल रही है और मैं नहीं समझता कि यह मेरे लिए या किसी अन्य के लिए उस मामले पर टिप्पणी करना उचित होगा जो अदालत में लंबित है.’’

भाजपा से निलंबित नुपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद से संबंधित टिप्पणी और उस पर खाड़ी देशों की आलोचना के बारे में पूछे जाने पर खुर्शीद ने कहा, ‘‘ आप इसे आलोचना कहें या प्रतिक्रिया पर आप यकीनन उसे अनदेखा नहीं कर सकते, देर सबेर आपके दोस्त भी इससे अपमानित महसूस करते हैं और उन्हें आवाज उठानी होती है क्योंकि उन्हें भी अपने स्थानीय घरेलू निर्वाचन क्षेत्रों को संतुष्ट करना होता है.’’

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