गृह मंत्री असम की यात्रा कर सकते हैं, लेकिन कई दिन से ‘जल रहे’ मणिपुर नहीं जा सकते: कांग्रेस

अडाणी मुद्दा:क्या और भी विदेशी कोष का ब्योरा मांगने संबंधी सेबी का कदम प्रचार पाने की कवायद है-कांग्रेस

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को गृह मंत्री अमित शाह के असम दौरे को लेकर उन पर निशाना साधा और कहा कि वह गुवाहाटी तो जा सकते हैं, लेकिन ह्ल22 दिन से जल रहे मणिपुरह्व की यात्रा करना उन्होंने उचित नहीं समझा. शाह राज्य में हिमंत बिश्व शर्मा के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के दो साल पूरे होने के अवसर पर तीन कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए असम के एक दिवसीय दौरे पर हैं.

शाह पर निशाना साधते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, “केंद्रीय गृह मंत्री आज गुवाहाटी जा रहे हैं, लेकिन मणिपुर जो 22 दिनों से जल रहा है, वहां जाना उचित नहीं समझते.ह्व रमेश ने कहा, ह्लयह वही केंद्रीय गृह मंत्री हैं, जिन्होंने कर्नाटक में 16 रैलियां और 15 रोड शो किए, लेकिन मणिपुर के लोगों के लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं, जो तथाकथित डबल इंजन सरकार की विचारधारा और राजनीति के कारण बहुत पीड़ा झेल रहा है.ह्व बाद में, गुवाहाटी में एक कार्यक्रम में शाह ने कहा कि वह सभी विवादों को हल करने के लिए मणिपुर की यात्रा करेंगे, लेकिन सभी समूहों को आपसी अविश्वास और संदेह को दूर करना चाहिए.

शाह ने कहा, ह्लमैं जल्द ही मणिपुर जाऊंगा और तीन दिन वहां रहूंगा लेकिन इससे पहले दोनों समूहों को आपस में अविश्वास और संदेह को दूर करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य में शांति बहाल हो.ह्व गृह मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि राज्य में हुई झड़पों में पीड़ित सभी लोगों को न्याय मिले, लेकिन ह्ललोगों को राज्य में शांति सुनिश्चित करने के लिए बातचीत करनी चाहिए.ह्व कांग्रेस ने बुधवार को मांग की थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जातीय ंिहसा प्रभावित राज्य में शांति लाने के प्रयास के तहत मणिपुर के सामुदायिक नेताओं की एक बैठक बुलाएं. मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में 3 मई को राज्य के पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद मणिपुर में झड़पें हुईं थी, जिसमें लगभग 60 लोग मारे गए थे.

अडाणी मुद्दा:क्या और भी विदेशी कोष का ब्योरा मांगने संबंधी सेबी का कदम प्रचार पाने की कवायद है-कांग्रेस

कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड (सेबी) ने विदेशी कोष रखने वाले वित्तीय संस्थानों का विवरण मांगा है और सवाल किया कि क्या बाजार विनियामक इसे अभी लागू कर सकता है या अडाणी समूह को दोष मुक्त घोषित करने का यह एक और संकेत है.

कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने मीडिया में आई एक खबर का हवाला देते हुए ट्विटर पर यह सवाल भी किया कि क्या यह कदम इस बात को कहने के लिए देर से किया गया प्रचार पाने की कवायद है कि ‘‘हमने कोशिश की लेकिन नाकाम हो गये…’’ और सेबी, उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित समय सीमा से पहले अडाणी मुद्दे की जांच कैसे पूरी करेगा.’’

रमेश ने समाचार पत्र में प्रकाशित खबर को संलग्न करते हुए ट्वीट किया, ‘‘जरा क्रोनोलॉजी (घटनाक्रम) समझिये: पहले सेबी ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए अचानक स्वामित्व नियमों में ढील दे दी, ताकि उन्हें अस्पष्ट बनाया जा सके. इसके बाद, अडाणी समूह ने अपने संरक्षक मंत्री द्वारा उसके लिए बनाई गई इस अस्पष्टता का पूरा फायदा उठाया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘फिर, ‘मोडाणी गाथा’ शुरू हुई. कांग्रेस और अन्य दल काफी समय से संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) का गठन किये जाने की मांग कर रहे हैं. मोदी सरकार इसके बजाय इसे उच्चतम न्यायालय की विशेषज्ञ समिति द्वारा सुलझा रही है.’’ उल्लेखनीय है कि कांग्रेस अडाणी मुद्दे की जेपीसी से जांच कराने की मांग करती रही है.

रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘उच्चतम न्यायालय की विशेषज्ञ समिति ने स्वामित्व नियमन को अपारदर्शी बनाने के लिए सेबी को जवाबदेह ठहराया है. इसलिए, सेबी ने कांग्रेस पार्टी द्वारा बार-बार मांग किये जाने के जवाब में और विशेषज्ञ समिति के नुकसान की भरपाई करने की मुद्रा में आने पर, कुछ कोष के पीछे मौजूद वित्तीय संस्थानों का विवरण मांगा है.

कांग्रेस नेता ने सवाल किया, ‘‘क्या सेबी अदालती मामलों में उलझे बगैर अभी इसे लागू कर सकता है. क्या अदालत को यह बताने के लिए प्रचार पाने की कवायद की जा रही है कि–हमने कोशिश की लेकिन नाकाम हो गये, हम क्या कर सकते हैं?’’ रमेश ने कहा, ‘‘और यदि सितंबर तक सूचना पाने की जरूरत है, तब कैसे सेबी को दी गई उच्चतम न्यायालय की समय सीमा 14 अगस्त से पहले इसके आने की उम्मीद है? या, क्या यह उस प्रकरण की समाप्ति का एक और संकेत है कि मोडाणी दोषमुक्त हो जाएंगे और उन्हें वैधता मिल जाएगी.’’

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