भारत ने 95 भारतीय मछुआरों के बदले 90 बांग्लादेशी मछुआरों को सौंपा
भारतीय मछुआरों को बांग्लादेश की जेल में पीटा गया: ममता
कोलकाता/सागर द्वीप. भारत और बांग्लादेश के द्विपक्षीय संबंधों में तनाव के बीच भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) ने अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा पर 95 भारतीय मछुआरों के बदले 90 बांग्लादेशी मछुआरों को सौंपा. यह जानकारी एक रक्षा अधिकारी ने दी. अधिकारी ने बताया कि भारतीय तटरक्षक ने भारतीय मछुआरों को सोमवार को सागर द्वीप के पास पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना के जिलाधिकारी को सौंपा.
रक्षा अधिकारी ने यहां एक बयान में कहा कि यह अभियान भारत और बांग्लादेश के बीच समुद्री संबंधों को बनाये रखने के लिए विदेश मंत्रालय (एमईए), पश्चिम बंगाल सरकार और भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) के परस्पर प्रयासों का परिणाम था. उन्होंने कहा कि नौ दिसंबर 2024 को, आईसीजी ने भारतीय जल क्षेत्र में मछली पकड़ने के लिए 78 बांग्लादेशी मछुआरों को मछली पकड़ने वाली दो बांग्लादेशी नौकाओं ‘एफवी लैला-2’ और ‘एफवी मेघना-5’ के साथ पकड़ा था.
केंद्र ने मछली पकड़ने वाली दो बांग्लादेशी नौकाओं के साथ 78 चालक दल के सदस्यों और डूबी बांग्लादेशी नौका कौसिक के अतिरिक्त 12 चालक दल के सदस्यों को 95 भारतीय मछुआरों और मछली पकड़ने वाली छह भारतीय नौकाओं के बदले में वापस भेजने की मंजूरी दी थी. अधिकारी ने कहा कि भारतीय तटरक्षक जहाज ‘वरद’ और ‘अमृत कौर’ ने 90 बांग्लादेशी मछुआरों को रविवार को अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा तक पहुंचाया, ताकि बांग्लादेशी अधिकारियों द्वारा पकड़े गए 95 भारतीय मछुआरों के बदले में उन्हें बांग्लादेशी बलों को सौंपा जा सके.
भारतीय मछुआरों को बांग्लादेश की जेल में पीटा गया: ममता
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को आरोप लगाया कि बांग्लादेश सरकार द्वारा हाल ही में रिहा किये गये 95 मछुआरों में से कुछ को पड़ोसी देश की जेल में पीटा गया था. बांग्लादेशी जलक्षेत्र में अवैध रूप से प्रवेश करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए मछुआरों को बनर्जी ने सम्मानित किया और उन्हें ”परिस्थितियों का पीड़ित” बताया.
बनर्जी ने कहा, ”मैंने देखा कि उनमें से कुछ लंगड़ा कर चल रहे थे. पूछने पर मछुआरों ने मुझे बताया कि जेल में उनके हाथ बांधकर उन पर हमला किया गया. इसके परिणामस्वरूप, उनके कमर और पैरों के नीचे चोटें आईं… वे मुझसे बात करते हुए रो रहे थे.” आगामी गंगा सागर मेले की तैयारियों का निरीक्षण करने सागर द्वीप पहुंचीं मुख्यमंत्री बनर्जी ने जिला अधिकारियों से मछुआरों को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने को कहा. बनर्जी ने मछुआरों को जीवन की नयी शुरुआत करने के लिए सहायता के तौर पर 10-10 हजार रुपये के चेक सौंपे.
उस मछुआरे के परिवार को भी 2 लाख रुपये का चेक दिया गया, जिसने गिरफ्तारी से बचने के लिए पानी में छलांग लगा दी थी और इसमें उसकी मौत हो गई थी. मुख्यमंत्री बनर्जी ने एक योजना की घोषणा की जिसके तहत राज्य के दो लाख मछुआरों को दो महीने पांच-पांच हजार रुपये मिलेंगे.
बांग्लादेश ने मछली पकड़ने वाली छह नौकाओं पर सवार कुल 95 भारतीय मछुआरों और चालक दल के सदस्यों को पिछले वर्ष अक्टूबर और नवंबर में तब हिरासत में ले लिया था, जब वे “गलती से” पड़ोसी देश के जलक्षेत्र में चले गए थे. इनमें से अधिकतर मछुआरों को, जो काकद्वीप और नामखाना के थे, इस हफ़्ते की शुरुआत में रिहा किया गया था. भारतीय तटरक्षक ने इन मछुआरों को सोमवार को सागर द्वीप के पास दक्षिण 24 परगना के जिला मजिस्ट्रेट को सौंप दिया.
बनर्जी ने कहा, ”उनकी (मछुआरों) हालत देखकर आपकी आंखों में आंसू आ जाएंगे. वे परिस्थितियों के पीड़ित हैं. वे गलती से सीमा पार करके बांग्लादेश के इलाके में चले गए.” उन्होंने कहा कि मछुआरों को राज्य सरकार द्वारा दिए गए कार्ड की मदद से पता लगाया गया. उन्होंने कहा कि अधिकारी उस कार्ड से मछुआरे का पता लगा सकते हैं. उन्होंने कहा, ”प्रशासन, पुलिस और स्थानीय विधायक की मदद से, हमें पता चला कि उन्हें हिरासत में लिया गया है.” बनर्जी ने मछुआरों को आगाह किया कि वे फिर से अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा पार न करें. उन्होंने कहा कि दूसरे देश के जलक्षेत्र में प्रवेश करना ज़्यादातर तूफ.ानों के दौरान होता है.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनर्जी ने एक घटना का उल्लेख किया जब एक बांग्लादेशी ट्रॉलर एक महीने पहले गलती से सीमा पार कर गया और भारतीय क्षेत्र में आ गया तथा उनकी सरकार ने हाल ही में उन्हें रिहा किए जाने तक उनके साथ अच्छा व्यवहार किया. भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) ने रविवार को 90 बांग्लादेशी मछुआरों को उनके देश के अधिकारियों को सौंप दिया.
बनर्जी ने कहा, ”हमने उनकी मदद की ताकि हमारे देश और राज्य का नाम खराब न हो. हम भारत सरकार के साथ लगातार संपर्क में थे. मैं चाहती हूं कि दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध बने रहें.” बनर्जी ने ‘समुद्र साथी’ परियोजना की घोषणा की जिसके तहत मछुआरों को दो महीने तक पांच-पांच हजार रुपये मिलेंगे और इससे दो लाख मछुआरे लाभान्वित होंगे.
उन्होंने कहा कि ‘मत्स्यजीवी बंधु’ योजना भी शुरू की जाएगी, जिसके तहत मछुआरे की मौत के बाद उसके परिजनों को 2 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा. हालांकि, मुख्यमंत्री ने दोनों योजनाओं के बारे में विस्तार से नहीं बताया. 95 मछुआरों में से एक ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बात करते हुए कहा कि वे हिल्सा की तलाश में गए थे और गलती से बांग्लादेश के जलक्षेत्र में प्रवेश करने के बाद पड़ोसी देश में उन्हें प्रताड़ित किया गया.
आशीष बिस्वास ने कहा, ”हममें से कई लोगों को पीटा गया. उन्होंने मेरे सिर और पैरों पर वार किए.” एक अन्य मछुआरे समर दास ने भी ऐसी ही कहानी बतायी और कहा कि वे वापस आकर खुश हैं. दास ने कहा, ”हमने उनसे विनती की कि यह (बांग्लादेश के जलक्षेत्र में प्रवेश करना) एक गलती थी. उन्होंने हमारी एक नहीं सुनी. उन्होंने हमारे मोबाइल फोन ले लिए, हमें पीटते रहे और गाली देते रहे.”