
रायपुर. छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नक्सल प्रभावित इलाकों में शांति और पुनर्वास को लेकर लागू माओवादी आत्मसमर्पण पीड़ित राहत एवं पुनर्वास नीति 2025 अब कई जिंदगियों में नई उम्मीद जगा रही है. नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र के सोनपुर गांव निवासी अन्नुलाल भंडारी इसका प्रेरक उदाहरण है.
कभी बंदूक उठाने को मजबूर हुए अन्नुलाल ने माओवादी संगठन में करीब 20 वर्षों तक सक्रिय रहते हुए कई जिम्मेदारियां निभाईं. वर्ष 1998 में संगठन से जुड़े अन्नुलाल ने गुरिल्ला युद्ध का प्रशिक्षण प्राप्त कर संगठन के प्रचार-प्रसार, सुरक्षा और रसद जैसे कार्यों को अंजाम दिया. लेकिन डर और हिंसा के उस जीवन से निकलकर वर्ष 2017 में उन्होंने आत्मसमर्पण कर सरकार की पुनर्वास नीति को अपनाया और मुख्यधारा में लौट आए.
पुनर्वास के बाद अन्नुलाल ने अपनी पुश्तैनी जमीन पर खेती कर सम्मानजनक जीवन की नई शुरुआत की. इसके बाद मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना ने उनके जीवन में नई दिशा दी. इस योजना के तहत नारायणपुर के लाईवलीहुड कॉलेज में वे जल वितरक संचालक (प्लम्बर) का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं. प्रशिक्षण के दौरान न सिर्फ तकनीकी विषयों का ज्ञान मिल रहा है, बल्कि उन्हें शासन की जनहितकारी योजनाओं जिसमें जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान भारत और किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ भी मिल रहा है.
अन्नुलाल प्रशिक्षण पूरा कर ग्राम पंचायत सोनपुर में जल वितरक के रूप में कार्य करेंगे, जिससे उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति और मजबूत होगी. अन्नुलाल कहते हैं कि अब वे भयमुक्त होकर स्वतंत्रता पूर्वक समाज में जीवन जी पा रहे हैं. इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय एवं जिला प्रशासन का आभार व्यक्त किया है. सरकार की यह नीति यह साबित कर रही है कि हिंसा छोड़ने और विकास की मुख्यधारा से जुड़ने का रास्ता हमेशा खुला है बस जरूरत है सही अवसर और हौसले की.



