भारत की विकास गाथा का हिस्सा बनें निवेशक: सीतारमण

इंचियोन. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को ‘अमृतकाल’ में भारत की आर्थिक विकास गाथा में शामिल होने का निवेशकों को निमंत्रण दिया. देश की आजादी के 100 साल पूरा होने तक इसे आधुनिक राष्ट्र बनाने की दिशा में जारी 25 साल की अवधि को ‘अमृतकाल’ कहा जा रहा है.

एशियाई विकास बैंक की 56वीं सालाना बैठक में भाग लेने यहां आई सीतारमण ने नये भारत को आकार देने और वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में इसके स्थान को नये सिरे से स्थापित करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बेहतर राजकाज को लेकर दृष्टिकोण और सुधारों का विस्तार से उल्लेख किया.

वित्त मंत्री ने निवेशकों की गोलमेज बैठक को संबोधित करते हुए भारत में हुए हाल के सुधारों का जिक्र किया. उन्होंने राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन (सरकारी संपत्तियों को बाजार पर चढ़ाने की योजना), डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा और उत्पादन आधारित प्रोत्साहन के अलावा रियल एस्टेट क्षेत्र तथा एफडीआई नीति में किये सुधारों के बारे में जानकारी दी.

वित्त मंत्रालय के अनुसार सीतारमण ने निवेशकों को ‘अमृतकाल’ में भारत की उस आर्थिक विकास गाथा में शामिल होने का निमंत्रण दिया, जो वृद्धि और निवेश के नये-नये अवसरों से भरा है. उन्होंने निवेशकों के साथ बैठक में कहा कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिये महामारी और भू-राजनीतिक संघर्षों से उत्पन्न प्रतिकूल हालात का सामना करते हुए उम्मीद की किरण के रूप में खड़ा है.

सीतारमण ने भारत को लेकर निरंतर भरोसा दिखाने और विशेष रूप से मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण क्षेत्रों के लिये उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में भाग लेने की इच्छा और प्रतिबद्धता दिखाने को लेकर दक्षिण कोरियाई निवेशकों की सराहना भी की.

इस बीच, सीतारमण ने एडीबी की 56वीं वार्षिक बैठक के दौरान फिजी के उप प्रधानमंत्री बिमान चंद प्रसाद के साथ अलग से बैठक की. उन्होंने इस वर्ष फरवरी में फिजी के नाडी में 12वें विश्व ंिहदी सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए फिजी सरकार की सराहना की.
प्रसाद ने सीतारमण से कहा कि फिजी सरकार ने 15 मई को ‘गिरमिट दिवस’ घोषित करते हुए राष्ट्रीय अवकाश रखने का फैसला किया है. फिजी में भारतीय अनुबंधित श्रमिकों के आगमन के 14 मई, 1879 को 144 वर्ष पूरे होने पर फिजी में एक नये राष्ट्रीय अवकाश के रूप में इस दिवस की घोषणा की गयी है.

सीतारमण ने दक्षिण कोरिया से भारत में निवेश अवसरों का लाभ उठाने का कहा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को दक्षिण कोरिया से भारत में निवेश अवसरों का लाभ उठाने का आग्रह किया. इस मौके पर उन्होंने विनिर्माण, खाद्य प्रसंस्करण और समुद्री संसाधन के क्षेत्र में निवेश अवसरों के बारे में जानकारी दी. सीतारमण ने दक्षिण कोरिया के उप-प्रधानमंत्री और अर्थव्यवस्था तथा वित्त मामलों के मंत्री चू क्यूंग-हो से यहां एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की 56वीं वार्षिक बैठक के दौरान अलग से मुलाकात के दौरान उन्हें निवेश अवसरों के बारे में बताया.

उन्होंने भारत के बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश को आगे बढ़ाने के लिये कोरिया निवेश निगम (केआईसी) और अन्य निवेशकों को भी आमंत्रित किया. बैठक के दौरान सीतारमण ने कोरियाई सरकार के जुड़ाव के साथ भारत में निवेश को और आर्किषत करने के मकसद से ई-वाहन और हरित हाइड्रोजन क्षेत्रों में भारत की अनुकूल नीतियों का भी जिक्र किया.

वित्त मंत्रालय ने ट्विटर पर लिखा है, ‘‘वित्त मंत्री सीतारमण ने भारत में विनिर्माण, नवीकरणीय ऊर्जा, बुनियादी ढांचा, औषधि, खाद्य प्रसंस्करण, समुद्री संसाधनों सहित विभिन्न क्षेत्रों में निवेश के अधिक अवसरों का उल्लेख किया.’’ सीतारमण ने चू क्यूंग-हो को भारत में समुद्री खाद्य क्षेत्र में मूल्यवर्धन के लिये निवेश के अवसरों के बारे में बताया और ईडीसीएफ व्यवस्था (आर्थिक विकास सहयोग कोष) के अंतर्गत हुए समझौते के तहत चिन्हित परियोजनाओं के बारे में जानकारी दी और उनके शीघ्र क्रियान्वयन की उम्मीद जतायी.

उन्होंने कहा कि भारत दोनों देशों के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों और निवेश सहयोग को और प्रगाढ़ बनाने के लिये प्रतिबद्ध है.
वित्त मंत्रालय के अनुसार, ‘‘चू क्यूंग-हो ने कहा कि दोनों देशों को सहयोग को और मजबूत तथा उसे आगे बढ़ाने को लेकर कदम उठाना जारी रखना चाहिए. उन्हें उम्मीद है कि कोरिया को भारत में निवेश के अवसरों में भाग लेने का मौका मिलेगा.’’

एडीबी को विकासशील देशों को कर्ज देने में नवोन्मेषी रुख अपनाने की जरूरत

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि विकासशील सदस्य देशों को कर्ज देने के मामले में एशियाई विकास बैंक (एडीबी) को नवोन्मेषी, जोखिम आधारित रुख की संभावना टटोलने की जरूरत है और भारत इसके लिये उसे प्रोत्साहित करता रहा है. सीतारमण ने एशियाई विकास बैंक के संचालन मंडल के पूर्ण सत्र की बैठक में एडीबी चार्टर से कर्ज सीमा हटाने और संचालन मंडल के अनुमोदन वाले पूंजी पर्याप्तता ढांचे (सीएएफ) में सीमा बदलाव को लेकर भारत के समर्थन की बात कही.

पूंजी पर्याप्तता ढांचे को एडीबी की जोखिम उठाने की क्षमता के संरक्षण और संकट के दौरान भी कर्ज देने की क्षमता को बनाये रखने को लेकर तैयार किया गया है. एडीबी की 56वीं सालाना बैठक में बतौर गवर्नर भारत का प्रतिनिधित्व कर रहीं सीतारमण ने उम्मीद जतायी की कि पूर्ण सत्र में खुली चर्चा से आम सहमति बनेगी और कई मुद्दों का समाधान होगा तथा बहुपक्षीय बैंक को उचित मार्गदर्शन मिलेगा.

उन्होंने एडीबी की कर्ज देने की क्षमता बढ़ाने के विषय पर अपने संबोधन में कहा, ‘‘भारत विकासशील सदस्य देशों (डीएमसी) को कर्ज देने को लेकर एशियाई विकास बैंक को नवोन्मेषी और जोखिम आधारित रुख की संभावना टटोलने के लिये प्रोत्साहित करता है….’’ बैठक के दौरान एडीबी ने जोखिम लेने की क्षमता, ‘कॉलेबल कैपिटल’, चार्टर यानी वैधानिक कर्ज सीमा, हाइब्रिड पूंजी (इक्विटी और बॉन्ड समेत) और शेयरधारक गारंटी जैसे मुद्दों पर संचालन मंडल के मार्गदर्शन की मांग की. एडीबी पहले से बैंक के पूंजी पर्याप्तता ढांचे की समीक्षा के तहत इनपर गौर कर रहा है.

एडीबी से कर्ज लेने वाले कर्जदाताओं के बड़े पैमाने पर चूक की अप्रत्याशित घटना में एडीबी के लेनदारों… मुख्य रूप से एडीबी बॉन्ड में निवेशक और एडीबी गारंटी धारकों… की सुरक्षा के लिये ‘कॉलेबल कैपिटल’ की सुविधा उपलब्ध है. इससे पहले, दिन में सीतारमण ने संचालन मंडल को संबोधित करते हुए एडीबी को मजबूत बनाने पर जोर दिया. उन्होंने संस्थान को भरोसेमंद और मजबूत बनाने के लिये ठोस रुख अपनाने की बात कही.

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