इसरो ने पहले एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया

इसरो ने 'ब्लैक होल' की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने वाले एक्सपोसैट का प्रक्षेपण किया

श्रीहरिकोटा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष में ब्लैक होल का अध्ययन करने में मदद करने वाले अपने पहले एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह का सोमवार को सफलतापूर्वक प्रक्षेपण करने के साथ 2024 की शुरुआत की. इसरो के सबसे भरोसेमंद ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) से अंतरिक्ष में ले जाने वाले पेलोड में से एक को महिलाओं ने बनाया है, जिसके कारण भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने इसे देश के लिए प्रेरणा बताया है.

पीएसएलवी-सी58 रॉकेट अपने 60वें मिशन पर मुख्य पेलोड एक्सपोसैट को लेकर गया और उसे पृथ्वी की 650 किलोमीटर निचली कक्षा में स्थापित किया. बाद में वैज्ञानिकों ने पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल (पोअम) प्रयोग करने के लिए उपग्रह की कक्षा को कम कर इसकी ऊंचाई 350 किलोमीटर तक कर दी.

मिशन नियंत्रण केंद्र में इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा, ”आप सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं. एक जनवरी 2024 को पीएसएलवी का एक और सफल अभियान पूरा हुआ. पीएसएलवी-सी58 ने प्रमुख उपग्रह एक्सपोसैट को निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया है.” उन्होंने कहा, ”इस बिंदु से पीएसएलवी के चौथे चरण की कक्षा सिमटकर निचली कक्षा में बदल जाएगी जहां पीएसएलवी का ऊपरी चरण जिसे ‘पोअम’ बताया गया है वह पेलोड के साथ प्रयोग करेगा और उसमें थोड़ा वक्त लगेगा.” एक्सपोसैट एक्स-रे स्रोत के रहस्यों का पता लगाने और ‘ब्लैक होल’ की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने में मदद करेगा. यह, ऐसा अध्ययन करने के लिए इसरो का पहला सर्मिपत वैज्ञानिक उपग्रह है.

अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दिसंबर 2021 में सुपरनोवा विस्फोट के अवशेषों, ब्लैक होल से निकलने वाले कणों की धाराओं और अन्य खगोलीय घटनाओं का ऐसा ही अध्ययन किया था. सोमनाथ अंतरिक्ष विभाग के सचिव भी हैं. उन्होंने कहा, ”यह भी बता दूं कि उपग्रह को जिस कक्षा में स्थापित किया गया है वह उत्कृष्ट कक्षा है. लक्षित कक्षा 650 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा से केवल तीन किलोमीटर दूर है और झुकाव 001 डिग्री है जो बहुत उत्कृष्ट कक्षीय स्थितियों में से एक है. दूसरी घोषणा यह है कि उपग्रह के सौर पैनल को सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया है.” एक्स-रे ध्रुवीकरण आकाशीय स्रोतों के विकिरण तंत्र और ज्यामिति की जांच के लिए एक महत्वपूर्ण नैदानिक ????उपकरण के रूप में कार्य करता है. इस मिशन की कालावधि करीब पांच वर्ष है.

ऐसी उम्मीद है कि एक्सपोसैट दुनियाभर के खगोल विज्ञान समुदाय को काफी लाभ पहुंचाएगा. समय और स्पेक्ट्रम विज्ञान आधारित अवलोकन की इसकी क्षमता के अलावा ब्लैक होल, न्यूट्रॉन तारे और सक्रिय गैलेक्सीय नाभिक जैसी आकाशीय वस्तुओं के एक्स-रे ध्रुवीकरण माप के अध्ययन से उनकी भौतिकी की समझ में सुधार लाया जा सकता है.

इससे पहले, पीएसएलवी रॉकेट ने अपने सी58 मिशन में मुख्य एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह (एक्सपोसैट) को पृथ्वी की 650 किलोमीटर निचली कक्षा में स्थापित किया. पीएसएलवी ने यहां पहले अंतरिक्ष तल से सुबह नौ बजकर 10 मिनट पर उड़ान भरी थी.
प्रक्षेपण के लिए 25 घंटे की उलटी गिनती खत्म होने के बाद 44.4 मीटर लंबे रॉकेट ने चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर दूर इस अंतरिक्ष तल से उड़ान भरी.

इस दौरान बड़ी संख्या में यहां आए लोगों ने जोरदार तालियां बजायीं. अंतरिक्ष एजेंसी ने अप्रैल 2023 में पोअम-2 का इस्तेमाल कर  ऐसा ही वैज्ञानिक प्रयोग किया था. मिशन निदेशक जयकुमार एम. ने कहा, ”मुझे पीएसएलवी की 60वीं उड़ान की सफलता का जश्न मनाने के लिए बेहद खुशी है.” उन्होंने कहा, ”जो चीजें इस मिशन को और दिलचस्प बनाती हैं उनमें नयी प्रौद्योगिकियां हैं जिन्हें पोअम 3 प्रयोग में दिखाया जा रहा है, हमारे पास सिलिकॉन आधारित उच्च ऊर्जा वाली बैटरी, रेडियो उपग्रह सेवा…है.”

उन्होंने कहा, ”सबसे महत्वपूर्ण यह है कि एक पेलोड पूरी तरह से महिलाओं द्वारा बनाया उपग्रह है. मुझे यह लगता है कि यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण को दिखाता है… और सभी पेलोड भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में हो रहे सुधारों को दिखाते हैं.” वह केरल के तिरुवनंतपुरम में ‘एलबीएस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर वुमेन’ के सदस्यों द्वारा बनाए उपग्रह का जिक्र कर रहे थे. सोमनाथ ने कहा कि महिलाओं द्वारा निर्मित उपग्रह न केवल इसरो बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणादायक है.

उन्होंने कहा, ”वीसैट टीम ने इसरो के साथ मिलकर एक उपग्रह बनाया है और हम पीएसएलवी पोअम पर इसे भेजकर बहुत खुश हैं. यह न केवल इसरो बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है. जब लड़कियां विज्ञान की पढ़ाई पर अपना समय लगा रही हैं और जब वे अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करती हैं तो हमें उन सभी की प्रशंसा करनी चाहिए. इसलिए वीसैट टीम को बधाई.”

इसरो ने वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए पीएसएलवी-सी58 के चौथे चरण को सफलतापूर्वक दो बार अंजाम दिया

इसरो ने सोमवार को वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) रॉकेट के चौथे चरण को दो बार सफलतापूर्वक अंजाम दिया. सोमवार सुबह नौ बजकर 10 मिनट पर 44.4 मीटर लंबे पीएसएलवी रॉकेट ने पहले ‘लॉन्च पैड’ से उड़ान भरने के 21 मिनट बाद प्राथमिक उपग्रह ‘एक्सपोसैट’ को पृथ्वी की 650 किलोमीटर निचली कक्षा में स्थापित कर दिया.

बाद में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए ऊंचाई को 650 किलोमीटर से घटाकर 350 किलोमीटर करने के लिए पीएसएलवी रॉकेट के चौथे चरण की कवायद को दो बार अंजाम दिया, जिसमें ‘पीएसएलवी कक्षीय प्रयोग मॉड्यूल-3’ (पोइम) सहित विभिन्न इसरो केंद्रों के 10 अन्य उपकरण पृथ्वी की निचली कक्षा में अपना काम करेंगे. आज के सफल मिशन के लिए इस्तेमाल किया गया रॉकेट पीएसएलवी-डीएल संस्करण था, जिसका उत्थापन द्रव्यमान 260 टन है. चौथे चरण को प्रयोगों के संचालन के लिए ‘3-अक्ष स्थिर कक्षीय मंच’ के रूप में व्यवस्थित किया गया है.

अंतरिक्ष एजेंसी ने अप्रैल 2023 में पीएसएलवी-सी55 मिशन में ‘पोइम-2’ का उपयोग करके ऐसा ही एक और वैज्ञानिक प्रयोग किया था. चौथे चरण के कक्षीय मंच की विद्युत ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति 50 एएच ली-आयन बैटरी के साथ सौर पैनल से होती है.
इसरो ने कहा कि कक्षीय मंच (पीएस4) में दिशा-निर्देशन, मार्गदर्शन, नियंत्रण और दूरसंचार कमान के लिए हवाई प्रणाली तथा उपकरण परीक्षण नियंत्रण संबंधी प्रणाली शामिल है.

संबंधित 10 उपकरणों (पेलोड) में टेकमी2स्पेस का ‘रेडिएशन शील्डिंग एक्पेरीमेंट मॉड्यूल’, एलबीएस इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर वुमेन का ‘वुमन इंजीनियर सैटेलाइट’, के जे सोमैया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी द्वारा निर्मित ‘बिलीफसैट’ (अमेच्योर रेडियो सैटेलाइट), इंस्पेसिटी स्पेस लैब्स प्राइवेट लिमिटेड का ‘ग्रीन इंपल्स ट्रांसमिटर’, ध्रुव स्पेस प्राइवेट लिमिटेड का ‘लांचिंग एक्सपेडिशंस फॉर एस्पायरिंग टैक्नोलॉजीज टेक्नोलॉजी डिमांस्ट्रेटर’, बेलेट्रिक्स एरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित ‘रुद्र 0.3एचपीजीपी’ और ‘एर्का 200’, पीआरएल, इसरो का ‘डस्ट एक्सपेरिमेंट’ (डीईएक्स) तथा विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र द्वारा निर्मित ‘फ्यूल सेल पावर सिस्टम’ एवं ‘हाई एनर्जी सेल’ हैं.

इसरो के पहले एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह के सफल प्रक्षेपण की खरगे ने सराहना की

कांग्रेस ने सोमवार को इसरो के पहले एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह के सफल प्रक्षेपण की सराहना की और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उम्मीद जतायी कि इस तरह के सफल मिशन लोगों में अपेक्षित वैज्ञानिक सोच पैदा करेंगे. इसरो ने सोमवार को अपने पहले एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया, जो ब्लैक होल जैसी खगोलीय वस्तुओं के रहस्य को सुलझाने में मदद करेगा.

एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट (एक्सप्रोसैट) का उद्देश्य अंतरिक्ष में तीव्र एक्स-रे स्रोतों के ध्रुवीकरण की जांच करना है. इसरो के अनुसार, यह आकाशीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन के अंतरिक्ष-आधारित ध्रुवीकरण माप में अनुसंधान करने वाला अंतरिक्ष एजेंसी का पहला सर्मिपत वैज्ञानिक उपग्रह है.

कांग्रेस ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, ”हम 2024 के पहले सफल अंतरिक्ष अभियान के लिये हमारे सभी वैज्ञानिकों को बधाई देते हैं . पहला एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट ब्लैक होल जैसी विभिन्न खगोलीय वस्तुओं के बारे में महती जानकारी प्रदान करेगा.” पार्टी ने यह भी कहा, ”इस अभियान में काम करने वाली महिला वैज्ञानिकों की भी देश सराहना करता है .” कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, ”हम नए साल में प्रवेश कर रहे हैं, और इसरो के पीएसएलवी सी 58/एक्सपोसैट मिशन के सफल प्रक्षेपण को देखकर बेहद खुश हैं.”

उन्होंने कहा, ”यह विषम परिस्थितियों में चमकीले खगोलीय एक्स-रे स्रोतों की विभिन्न गतिशीलता का अध्ययन करने वाला, भारत का पहला सर्मिपत पोलरिमेट्री अभियान है. हमारे सभी वैज्ञानिकों, अंतरिक्ष इंजीनियरों, शोधकर्ताओं और ग्राउंड स्टाफ को उनकी दक्षता और अटूट प्रतिबद्धता के लिए बहुत-बहुत बधाई.ह्व

खरगे ने कहा, ”हमें यह जानकर गर्व है कि कई महिला इंजीनियर इस शानदार टीम का हिस्सा थीं. आशा है कि ये सफल अभियान लोगों में जरूरी वैज्ञानिक सोच पैदा करेंगे, जैसा कि हमारे संस्थापकों ने परिकल्पना की थी.” कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने कहा कि यह देश के लिये महान गौरव का क्षण है कि इसरो ने अंतरिक्ष अभियान की सफलता के साथ नये साल की शुरूआत की है .

उन्होंने कहा, ”इसरो ने आज सफलतापूर्वक एक्स-रे पोलरिमीटर सेटेलाइट का प्रक्षेपण किया, जो ब्लैक होल, सुपरनोवा और न्यूट्रॉन तारों का अध्ययन करेगा .” प्रियंका ने कहा, ”यह सबसे बड़े गर्व की बात है कि इस सैटेलाइट को महिला इंजीनियरों ने (भी) तैयार किया है. भारत का सात दशक पुराना सपना कदम दर कदम सातवें आसमान पर पहुंच गया है.” उन्होंने कहा, ”सभी वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और सभी देशवासियों को बधाई. जय हिंद.”

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