जय शाह ने आईसीसी प्रमुख का कार्यभार संभाला

दुबई. भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के निवर्तमान सचिव जय शाह ने रविवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाल लिया. शाह का तात्कालिक लक्ष्य चैंपियंस ट्रॉफी को लेकर उत्पन्न गतिरोध को समाप्त करने का होगा. इसके साथ उनके सामने क्रिकेट को व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य ओलंपिक खेल बनाने की चुनौती होगी.

वह इस वैश्विक संस्था का नेतृत्व करने वाले पांचवें भारतीय हैं. छत्तीस साल के शाह पिछले पांच वर्षों से बीसीसीआई सचिव हैं. वह आईसीसी के निदेशक मंडल की सर्वसम्मत पसंद थे. शाह ने न्यूजीलैंड के वकील ग्रेग बार्कले का स्थान लिया, जो लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए पद पर बने रहने के इच्छुक नहीं थे. शाह से पहले व्यवसायी दिवंगत जगमोहन डालमिया, राजनेता शरद पवार, वकील शशांक मनोहर और उद्योगपति एन श्रीनिवासन विश्व क्रिकेट संस्था का नेतृत्व करने वाले भारतीयों में शामिल रहे हैं.

भारत के गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह का कार्यकाल चुनौतियों के साथ शुरू होगा क्योंकि आईसीसी को पाकिस्तान में निर्धारित चैंपियंस ट्रॉफी के लिए ‘हाइब्रिड मॉडल’ को लागू करने के लिए एक स्वीकार्य समाधान खोजने की जरूरत है. पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए फिलहाल ‘हाइब्रिड मॉडल’ को स्वीकार करने का फैसला किया है, जिसके तहत भारत दुबई में अपने मैच खेलेगा. पीसीबी इस फैसले के बदले यह चाहता है कि 2031 तक उन सभी चार आईसीसी टूर्नामेंटों में पाकिस्तान को भी यही सम्मान दिया जाए, जिनकी मेजबानी या सह-मेजबानी भारतीय क्रिकेट बोर्ड करेगा.

चैम्पियंस ट्रॉफी के शुरू होने में 100 से भी कम दिन बचे है और वैश्विक निकाय के प्रमुख के रूप में शाह को बिना किसी परेशानी के टूर्नामेंट आयोजित करने के लिए ‘स्वीकार्य समाधान’ के लिए पीसीबी और बीसीसीआई में अपने पूर्व सहयोगियों दोनों के साथ समन्वय बनाना होगा. भारतीय टीम ने सरकार से मंजूरी नहीं मिलने का हवाला देते हुए पहले ही पाकिस्तान की यात्रा करने से इनकार कर दिया है .

शाह ने चैंपियंस ट्रॉफी पर कोई टिप्पणी किये बिना अपनी प्राथमिकताओं का जिक्र किया जिसमें लॉस एंजिल्स 2028 ओलंपिक खेलों में क्रिकेट के शामिल होने के बाद इसके वैश्विक प्रसार को बढ़ावा देना और महिलाओं के खेल में विकास को गति देना शामिल है.
शाह ने कहा, ”यह खेल (क्रिकेट) के लिए एक रोमांचक समय है क्योंकि हम लॉस एंजिल्स ओलंपिक खेलों की तैयारी कर रहे हैं और दुनिया भर के प्रशंसकों के लिए क्रिकेट को अधिक समावेशी और आकर्षक बनाने के लिए काम कर रहे हैं.”

उन्होंने कहा, ”हम कई प्रारूपों के सह-अस्तित्व और महिलाओं के खेल के विकास में तेजी लाने की आवश्यकता के साथ एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं.” उन्होंने कहा, ”क्रिकेट में वैश्विक स्तर पर अपार संभावनाएं हैं और मैं इन अवसरों को भुनाने और खेल को नयी ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए आईसीसी टीम और सदस्य देशों के साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूं.” शाह ने पिछले चार वर्षों में आईसीसी में बार्कले के योगदान की सराहना करते हुए कहा, ” मैं पिछले चार वर्षों में इस भूमिका में उनके नेतृत्व और उस दौरान हासिल की गई उपलब्धियों के लिए ग्रेग बार्कले को भी धन्यवाद देना चाहूंगा.” कॉलेज के छात्र जीवन से ही गुजरात क्रिकेट संघ में जिला स्तर पर प्रशासक के रूप में शुरुआत करने वाले शाह ने राज्य से राष्ट्रीय और अब वैश्विक स्तर तक अपनी यात्रा जारी रखी है. उनके कार्यकाल के दौरान ही गुजरात पहली बार रणजी ट्रॉफी जीतकर घरेलू ताकत बन गया था और अहमदाबाद के मोटेरा में दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम के पीछे भी उनका ही हाथ रहा है.

बीसीसीआई सचिव के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान घरेलू मैच फीस में कई गुना वृद्धि हुई है और उन्होंने टेस्ट क्रिकेट की लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय खिलाड़ियों के लिए टेस्ट क्रिकेट प्रोत्साहन बोनस शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
बीसीसीआई सचिव के रूप में उनके लिए दो प्रमुख उपलब्धियां महिला प्रीमियर लीग की शुरुआत के साथ पुरुष और महिला राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ियों के लिए मैच फीस को एक समान करना है.

कम उम्र के कारण मौजूदा दौर के खिलाड़ियों का उनसे जुड़ाव बेहतर है. उन्होंने हालांकि जरूरत के मुताबिक कड़ा रवैया भी अपनाया जिसमें भारत के बड़े खिलाड़ियों के लिए घरेलू क्रिकेट में खेलना अनिवार्य करना शामिल है. रणजी ट्रॉफी पर आईपीएल को तरजीह देने के कारण श्रेयस अय्यर और इशान किशन जैसे खिलाड़ियों को बीसीसीआई के केंद्रीय अनुबंध से हाथ धोना पड़ा.

शाह को एक देश को छोड़कर आईसीसी बोर्ड रूम में भारी समर्थन प्राप्त है और नीतिगत निर्णय लेने में उन्हें ज्यादा परेशानी नहीं होगी.
शाह इससे पहले आईसीसी में बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व करते थे लेकिन अब यह जिम्मेदारी बोर्ड के अध्यक्ष रोजर बिन्नी या उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला को मिल सकती है. बोर्ड का अगला सचिव कौन होगा अभी यह तय नहीं है.

बिन्नी अगर भारत से निदेशक बनते हैं, तो शुक्ला वैकल्पिक निदेशक हो सकते हैं. शुक्ला को अगर भारत का प्रतिनिधि बनाया जाता है, तो सह-प्रतिनिधि अरुण धूमल हो सकते हैं. धूमल अगले सचिव पद के लिए चर्चा में चल रहे दो-तीन नामों में से एक हैं.
सचिव पद के लिए कोषाध्यक्ष आशीष शेलार और संयुक्त सचिव देवजीत लोन सैकिया को भी दावेदार के तौर पर देखा जा रहा है.

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