कश्मीर में जी-20 की बैठक में चीन के शामिल न होने पर बोले जितेंद्र -यह चीन का नुकसान, भारत का नहीं

छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों पर काम कर रहा है भारत: जितेंद्र सिंह

श्रीनगर/नयी दिल्ली. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को कहा कि श्रीनगर में जी-20 बैठक में चीन के शामिल नहीं होने से कोई फर्क नहीं पड़ता और यह उसका नुकसान है, भारत का नहीं. चीन को छोड़कर बाकी सभी जी-20 देशों के प्रतिनिधि तीसरे जी-20 पर्यटन कार्य समूह की बैठक में भाग लेने के लिए सोमवार को श्रीनगर पहुंचे.

सिंह ने यहां जी-20 बैठक से इतर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”इससे (चीन के बैठक में शामिल नहीं होने) कोई फर्क नहीं पड़ता. चीन का नहीं आना चीन का नुकसान है, भारत का नहीं.” यह पूछे जाने पर कि क्या चीन की अनुपस्थिति पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध से जुड़ी है, तो सिंह ने कहा कि विदेश मंत्रालय इस पर विचार करेगा.

कश्मीर में जी-20 कार्यक्रम आयोजित करने पर सिंह ने कहा कि अलग-अलग स्थल पर आयोजन से प्रतिनिधियों को उन जगहों के बारे में जानकारी मिलती है, जहां वे जाते हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में राज्य मंत्री सिंह ने कहा, ”हम यूरोप के कुछ देशों की तरह छोटे, आपस में जुड़े हुए राष्ट्र नहीं हैं. हम विविध देश हैं.” कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के दुष्प्रचार के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा कि आम लोग इन चीजों से आगे बढ़ चुके हैं.

उन्होंने कहा, ”सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आम आदमी आगे बढ़ गया है. यदि आप श्रीनगर में सड़कों पर किसी व्यक्ति से बात करें तो हो सकता है कि वह खुलकर बात नहीं करे, लेकिन आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई से डर का माहौल खत्म हो गया है.” एक दिन पहले, सिंह ने कहा था कि कश्मीर में बदलाव आया है और ”श्रीनगर के आम लोग अब आगे बढ़ना चाहते हैं. उन्होंने दो पीढि.यों को (आतंकवाद के कारण) खो दिया है.”

छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों पर काम कर रहा है भारत: जितेंद्र सिंह

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने यहां कहा कि भारत छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर जैसी नयी प्रौद्योगिकयों पर काम कर रहा है, जिन्हें कारखाने में बनाया जा सकता है और इनसे स्वच्छ ऊर्जा जैसा बदलाव लाने में मदद मिल सकती है. सिंह ने पीटीआई-भाषा को दिए एक साक्षात्कार में यह भी कहा कि सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के साथ संयुक्त उद्यमों के लिए परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को खोल दिया है, लेकिन निजी क्षेत्र के लिए नहीं.

छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर), 300 मेगावाट तक की क्षमता के साथ डिजाइन में लचीले होते हैं और इनके लिए छोटे क्षेत्र की आवश्यकता होती है. सचल और त्वरित प्रौद्योगिकी होने के कारण एसएमआर को पारंपरिक परमाणु रिएक्टरों के विपरीत कारखाने में निर्मित किया जा सकता है. पारपंरिक परमाणु रिएक्टरों को संबंधित स्थल पर ही बनाना होता है.

हाल ही में नीति आयोग की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि चूंकि कई एसएमआर डिजाइन विभिन्न देशों में अनुसंधान, विकास और लाइसेंसिंग के विभिन्न चरणों में हैं, इसलिए वैश्विक नियामक सामंजस्य, विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना और सार्वजनिक और साथ ही निजी पूंजी लाया जाना एसएमआर उद्योग के लिए विकास की एक कुंजी होगा.

सिंह ने कहा, “हम पहले से ही इस पर काम कर रहे हैं. मुझे लगता है कि जैसे-जैसे समय आएगा, हमें दुनिया के साथ आगे बढ़ना होगा. हमारे द्वार नयी प्रौद्योगिकियों के लिए खुले हैं और हम उन्हें बहुत तेजी से अपना रहे हैं.” मंत्री ने कहा कि पहली बार मोदी सरकार ने ”फ्लीट मोड” के तहत 10 परमाणु रिएक्टर बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. सरकारी स्वामित्व वाली भारतीय नाभिकीय ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) देश में लगभग सभी परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण और संचालन करती है.

वर्ष 2015 में, सरकार ने परमाणु ऊर्जा अधिनियम में संशोधन किया ताकि परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं के निर्माण के लिए एनपीसीआईएल और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के बीच संयुक्त उद्यम को सक्षम बनाया जा सके. सिंह ने कहा, “पहले वे किसी के साथ साझेदारी नहीं कर रहे थे. इसलिए हमारे सामने संसाधनों, वित्त को लेकर स्वाभाविक रूप से अड़चनें थीं. अब, हमारे पास पहले से ही इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन और राष्ट्रीय तापविद्युत निगम लिमिटेड (एनटीपीसी) के साथ दो महत्वपूर्ण साझेदारियां हैं. हम उस दिशा में आगे बढ़े हैं, हालांकि अभी तक यह निजी क्षेत्र के साथ नहीं है.”

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