कोलकाता दुष्कर्म-हत्या मामला: पीड़िता के लिए न्याय की मांग को लेकर शिमला में कैंडल मार्च निकाला गया
शिमला: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की उस महिला चिकित्सक को न्याय दिलाने की मांग को लेकर शिमला में लोगों के एक समूह ने सोमवार देर रात मौन कैंडल मार्च निकाला, जिसकी कथित तौर पर दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी।
शांतिपूर्ण और प्रतीकात्मक प्रदर्शन का उद्देश्य आरोपियों के लिए मृत्युदंड की मांग करने के साथ ही लोगों में जागरूकता बढ़ाना और सार्वजनिक जगहों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने की अपील करना था। ‘शिमला कलेक्टिव्स’ के बैनर तले विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों ने हाथों में मोमबत्ती थामकर आरोपियों को मृत्युदंड देने के अलावा पीड़िता को शीघ्र न्याय और शहीद का दर्जा सुनिश्चित करनेह्व की मांग को लेकर पैदल मार्च निकाला।
शिमला नगर निगम (एसएमसी) के पूर्व उप महापौर टिकेंद्र पंवार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मृत्युदंड और त्वरित न्याय ही दुष्कर्म जैसे अपराधों को रोकने का एकमात्र उपाय है। हम सार्वजनिक स्थानों को, चाहे दिन हो या रात, महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने के लिए यहां हैं।’’
कैंडल मार्च में शामिल चिकित्सक डॉ. स्वाति शर्मा ने कहा, ‘‘यह किसी चिकित्सक या महिला के खिलाफ अपराध नहीं है, बल्कि मानवता के खिलाफ अपराध है। कई लोग इस तरह के क्रूर कृत्यों के पीछे पीड़िता के पहनावे को जिम्मेदार ठहराते हैं, लेकिन इस मामले में एक चिकित्सक के साथ उसके कार्यस्थल पर दुष्कर्म किया गया और उसकी हत्या कर दी गई।’’
वहीं, सायना मल्होत्रा नाम की युवती ??ने कहा, ‘‘क्या हम रात में सुरक्षित हैं, क्या मैं अपने माता-पिता को ंिचता में डाले बिना रात में सुरक्षित घूम सकती हूं? मुझे ऐसा नहीं लगता। हम चाहते हैं कि इस बार चीजें बदलें।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह मार्च रक्षा बंधन के पावन पर्व पर निकाला गया, जब हम अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधते हैं। इस दिन मैं देश के सभी पुरुषों से अपील करना चाहूंगी कि वे हर महिला की रक्षा करें, क्योंकि वह किसी न किसी की बहन और बेटी है।’’
न्याय के अलावा प्रदर्शनकारियों ने घटना से 36 घंटे पहले तक अपने कर्तव्यों का पालन कर रही पीड़ित के लिए ह्लशहीद का दर्जा भी मांगा। कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के सेमिनार हॉल में नौ अगस्त को स्रातकोत्तर प्रशिक्षु चिकित्सक का शव मिला था। अगले दिन इस ममाले में एक नागरिक स्वयंसेवक को गिरफ्Þतार किया गया था। बाद में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी थी।