गायिका हेमलता की जीवनी का लोकार्पण: कई रोचक किस्सों से भरी है ‘दास्तान-ए-हेमलता’
‘नदिया के पार’ का लोकप्रिय गीत ‘कौन दिशा में लेके चला रे बटुहिया’ गीत हेमलता ने उस समय गाया, जब वे गर्भवती थीं और डेलीवेरी की तारीख़ निकल चुकी थी.
मुंबई. मशहूर पार्श्वगायिका हेमलता की जीवनी “दास्तान-ए-हेमलता” का लोकार्पण 23 नवंबर, 2024 शनिवार दिल्ली में ‘साहित्य आजतक’ के मंच से हुआ. इस जीवनी को जाने-माने पत्रकार और जीवनीकार डॉ. अरविंद यादव ने लिखा है. यह हेमलता की प्रामाणिक जीवनी है. इसमें उनकी ज़िंदगी से जुड़े कई रोचक किस्से हैं. कई ऐसी घटनाओं का वर्णन है, जिनके बारे में हेमलता के क़रीबी लोग भी नहीं जानते हैं. लेखक ने हेमलता के पिता पंडित जयचंद भट्ट के बारे में भी कई रोचक जानकारियाँ इस किताब के ज़रिए साहित्य-प्रेमियों और संगीत-प्रेमियों के सामने लाई हैं.
महज़ तेरह साल की उम्र में अपना पहला फ़िल्मी गीत रिकॉर्ड करने वाली हेमलता ने अपने जीवन में 38 भाषाओं में पाँच हज़ार से ज़्यादा गीत गाए. भारत की धरती पर जिस किसी बोली और भाषा में फ़िल्म बनी, हेमलता ने उस भाषा और बोली में गीत गाए. हिंदी, मराठी, कन्नड़, मलयालम,तेलुगु, तमिल, ओड़िया, बांग्ला, असमिया, मराठी, गुजराती, पंजाबी, उर्दू, संस्कृत, प्राकृत जैसी भाषाओं के अलावा मारवाड़ी, ब्रज, भोजपुरी, अवधी, बुंदेलखंडी, मैथिली, डोगरी, कश्मीरी, कोंकणी, हरियाणवी, नेपाली, गढ़वाली, कुमाऊनी, चंबयाली, बिलासपुरी भाषाओं-बोलियों में भी गीत गाए और ये गीत लोकप्रिय भी हुए. इनके अलावा हेमलता ने इंग्लिश, फ्रान्सीसी, इतालवी, डच, ज़ुलु, मॉरीशस क्रियोल, सराइकी, मुलतानी जैसी विदेशी भाषाओं में भी गीत गाए. हर रूप-रंग के गीत गाए. प्रेम-गीत, विरह-गीत गाए. भक्ति-गीत, लोक-गीत गाए. ग़ज़लें गाईं. यह तथ्य उनकी अद्वितीय प्रतिभा और वाणी में विविधता लाने की अद्भुत कला का परिचायक है.
हेमलता को बचपन में ‘बेबी लता’ कहा गया और किशोरावस्था में ‘दूसरी लता’. कुछ लोग तो इन्हें ‘सस्ती लता’ कहने लगे थे. जिन फ़िल्मकारों को लता मंगेशकर की फ़ीस भारी-भरकम लगती थी और जिन संगीतकारों को लता मंगेशकर की ‘डेट’ नहीं मिलती थी, वे हेमलता से गीत गवाते थे. इन फ़िल्मकारों और संगीतकारों के लिए हेमलता ही ‘लता’ थीं, उनकी अपनी लता.
नौशाद ने कहा था, “हेमलता में लता मंगेशकर की वॉइस क्वालिटी और नूरजहाँ की इनोसेंस है.” रोशन ने कहा था, “मुझे मेरी लता मिल गई.“ सचिन देव बर्मन ने बेटे राहुल देव बर्मन से कहा था, “हेमलता को पहले तुम नहीं, मैं गवाऊँगा.“ हेमलता उन गिनी-चुनी कलाकारों में हैं, जिनमें लता मंगेशकर के वर्चस्व को चुनौती देने का दम नज़र आया.
सत्तर और अस्सी के दशक में तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और मलयालम की जितनी भी हिट फ़िल्में हिंदी में डब हुईं, उनमें सबसे ज़्यादा ‘डब गीत’ गाने का कीर्तिमान हेमलता के नाम है.
घर-घर चर्चा का विषय बने दूरदर्शन के धारावाहिक ‘रामायण’ के हर एपिसोड में हेमलता की मधुर वाणी सुनाई देती है. ‘रामायण’ के कई गीत, दोहे, चौपाइयाँ हेमलता ने गाईं. लेकिन एक व्यक्ति की ईर्ष्या का दुष्परिणाम यह रहा कि शुरुआती दिनों में उन्हें वह श्रेय, सम्मान और लोकप्रियता नहीं मिली, जिसकी वे हक़दार थीं. लेकिन सच छुपाया न जा सका. दुनिया जान गई कि रामायण की कई लोकप्रिय रचनाएँ हेमलता ने गाई हैं. हेमलता के नाम एक अनोखा रिकॉर्ड भी है. पूरे नौ महीने के गर्भ के साथ गीत रिकॉर्ड करने वाली वे पहली गायिका हैं. ‘नदिया के पार’ का लोकप्रिय गीत ‘कौन दिशा में लेके चला रे बटुहिया’ गीत हेमलता ने उस समय गाया, जब वे गर्भवती थीं और डेलीवेरी की तारीख़ निकल चुकी थी.