महाकुंभ को ‘राजनीतिक कार्यक्रम’ बना दिया गया, अब मौत के आंकड़े छुपा रही है सरकार: शिवसेना

महाकुंभ में मृतकों के आंकड़े छिपाए गए, स्पष्टीकरण के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए: अखिलेश

नयी दिल्ली. शिवसेना (उबाठा) के संजय राउत ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी हमेशा चुनाव प्रचार में ही व्यस्त रहते हैं और जब तक वे इस चक्र से बाहर नहीं आएंगे, देश का विकास नहीं होगा. राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जारी चर्चा में भाग लेते हुए उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार पर प्रयागराज में जारी महाकुंभ को ‘राजनीतिक कार्यक्रम’ बना देने और मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ में हुई लोगों की मौत के आंकड़े छुपाने का आरोप भी लगाया.

उन्होंने कहा, ”महाकुंभ हमारी श्रद्धा और आस्था का विषय है. हम यह भी चाहते हैं कि महाकुंभ जैसे कार्यक्रम ठीक से संपन्न होने चाहिए. वहां की सरकार ने डिजिटल महाकुंभ की बात की थी. उसने कहा था कि सब कुछ डिजिटल होगा और कोई तकलीफ नहीं होगी.” उन्होंने कहा कि लेकिन वहां की व्यवस्था पूरी तरीके से चरमरा गई जब इसे एक ‘राजनीतिक इवेंट (कार्यक्रम)’ बना दिया गया और इस आयोजन की ‘पॉलिटिकल मार्केटिंग (राजनीतिक विपणन)’ की गई. उन्होंने कहा कि जब वहां भगदड़ हुई तब इसे ‘अफवाह’ बताया गया. राउत ने सवाल किया तो अगर अफवाह थी तो 30 लोगों की मौत के आंकड़े का सच क्या है.

उन्होंने पूछा, ”क्या यह आंकड़ा सच है? आप छुपाओ मत, जो सच है उसे सामने लाइए. अगर एक भी मौत होती है तो वह ‘मनुष्य वध’ है.” उन्होंने कहा कि यह हादसा किसी दूसरे देश या प्रदेश में हुआ होता तो प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का इस्तीफा ले लिया गया होता.
उन्होंने कहा, ”आंखों देखा हाल है कि 2000 से भी अधिक लोग मारे गए.” राउत के इस दावे पर उपसभापति हरिवंश ने आपत्ति जताई और कहा कि उन्हें इन आंकड़ों की पुष्टि करनी होगी. शिवसेना सदस्य ने यह भी कहा कि सिर्फ चुनाव कराना, चुनाव जीतना और चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जाना ही लोकतंत्र नहीं है.

उन्होंने कहा, ”आप जब भी देखो, हमारी सरकार कहां चुनाव में… प्रधानमंत्री कहां है जो चुनाव में हैं… केंद्रीय मंत्री कहां है तो चुनाव प्रचार में हैं… दिल्ली का हो चाहे महाराष्ट्र का हो… जब तक यह सरकार, इस देश के प्रधानमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री चुनाव के चक्र से बाहर नहीं आएंगे तब तक देश का विकास नहीं होगा. सरकार को सरकार का काम करना चाहिए.” उन्होंने कहा, ”यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. इसलिए हमारे देश की जनता का व्यवस्था पर से, संसद से लोकतंत्र के सभी संस्थाओं के ऊपर से धीरे-धीरे विश्वास खत्म होते जा रहा है.”

चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस की रंजीत रंजन ने कहा कि सत्ता पक्ष के लोग यह कह रहे हैं कि पहले भी कुंभ में भगदड़ के दौरान लोगों की मौत हुई थी. उन्होंने कहा कि लोगों को उस समय मृतक संख्या के बारे में पता चल पाया क्योंकि कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने यह आंकड़ा दिया था किंतु आज की वर्तमान सरकार कुंभ में भगदड़ के दौरान मारे गये लोगों की सही संख्या नहीं दे रही है. उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा सीमा पर चल रहे किसानों के धरने का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने किसानों से जो भी वादा किया था, उसमें से एक भी वादा पूरा नहीं किया गया.

चर्चा में हिस्सा लेते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के जॉन ब्रिटास ने राजनीतिक ध्रुवीकरण के लिए लोगों को बांटने के एजेंडे पर काम करने का आरोप लगाया और कहा कि इसके जरिए समाज के एक वर्ग में भय का वातावरण बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री क्रिसमस के दिन ईसाई पदारियों से मुलाकात करते हैं तो दूसरी ओर पिछले कुछ वर्षों में इस समुदाय पर 834 से अधिक हमले हुए हैं.

उन्होंने राज्य संचालित विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति का अधिकार राज्यपालों को दिए जाने संबंधी यूजीसी की एक पहल का उल्लेख किया और दावा किया कि सरकार इसके जरिए विश्वविद्यालयों को ‘हाइजैक’ करने का प्रयास कर रही है. हालांकि, सदन में मौजूद शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह यूजीसी का प्रस्ताव है जिस पर व्यापक बहस होना बाकी है.

तृणमूल कांग्रेस के प्रकाश चिक बराइक ने कहा कि पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, और मध्य प्रदेश में करोड़ों आदिवासी निवास करते हैं जो सदियों से प्रकृति की पूजा करते आए हैं और उनका धर्म सरना धर्म कहलाता है. उन्होंने कहा कि लेकिन यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत की जनगणना में आज तक सरना का धर्म की मान्यता नहीं दी गई है. उन्होंने कहा कि इस वजह से आदिवासी समुदाय की धार्मिक पहचान धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है. उन्होंने कहा कि 1951 तक जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग कोड था, जिसे बाद में हटा दिया गया.

आम आदमी पार्टी के विक्रमजीत सिंह साहनी ने विरासत भी विकास भी पहल के तहत गुरु तेग बहादुर की 350 जयंती राष्ट्रीय स्तर पर मनाने का सरकार से अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि आज भी देश में किसानों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और युवा बेरोजगारी की मार झोल रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह सरकार के लिए चिंता का विषय होना चाहिए.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अनिल बोंडे ने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण विकसित भारत की संकल्पा को साकार करने की रुपरेखा प्रस्तुत करता है. कांग्रेस की फूलों देवी नेताम ने सरकार पर आदिवासियों के हक छीनने का आरोप लगाया और कहा कि देश की राष्ट्रपति को न तो संसद भव के उद्घाटन या फिर राम मंदिर के उद्घाटन के मौके पर ही आमंत्रित किया गया. उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण में मणिपुर हिंसा पर चुप्पी पर भी सवाल उठाए.

महाकुंभ में मृतकों के आंकड़े छिपाए गए, स्पष्टीकरण के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए: अखिलेश
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रयागराज महाकुंभ में मची भगदड़ के मारे गए लोगों के आंकड़े छिपाए जाने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को मांग की कि महाकुंभ की व्यवस्था के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए और वहां विभिन्न व्यवस्थाएं सेना के हवाले की जाएं.

यादव ने मंगलवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि जिस तरह सरकार बजट के आंकड़े दे रही है, महाकुंभ में मरने वालों के आंकड़े भी दे तथा घायलों के इलाज, भोजन, परिवहन आदि का आंकड़ा संसद में पेश किया जाए. उन्होंने कहा कि महाकुंभ की व्यवस्था के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए और वहां खोया पाया, प्रबंधन आदि की जिम्मेदारी सेना को दी जाए. यादव ने केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को आड़े हाथ लेते हुए मृतकों के आंकड़े छिपाए जाने का आरोप लगाया तथा हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों पर घोर दंडात्मक कार्रवाई की मांग की.

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ”जिन्होंने सच छिपाया, उन्हें दंडित किया जाए. अगर (सरकार को) अपराध बोध नहीं है तो आंकड़े दबाए, छिपाए और मिटाए क्यों गए. आंकड़े छिपाने के लिए मीडिया का सहारा लिया जा रहा है. जहां इंतजाम होना चाहिए था, वहां प्रचार हो रहा था. धार्मिक समागम में सरकार का प्रचार निंदनीय है.” यादव ने यह भी कहा कि ”डिजिटल कुंभ कराने का दावा करने वाले मृतकों की डिजिट (संख्या) नहीं दे पा रहे.” उन्होंने दावा किया कि महाकुंभ में भगदड़ के बाद संतों के एक निश्चित मुहूर्त में स्नान की परंपरा भी टूट गई.

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