
मुंबई. शिवसेना(उबाठा) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने ‘मराठी मानुष’ की शक्ति के आगे हार मान ली है क्योंकि उसने राज्य के विद्यालयों में पहली से पांचवी तक की कक्षाओं में तीन भाषा नीति के तहत हिंदी के कार्यान्वयन पर जारी दो जीआर (सरकारी प्रस्ताव) वापस ले लिये हैं.
ठाकरे ने यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि देवेंद्र फडणवीस सरकार मराठी मानुष की एकता को तोड़ने और मराठी और गैर-मराठियों के बीच विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा, ”सरकार मराठी मानुष की ताकत से हार गई. सरकार को यह अहसास नहीं था कि मराठी मानुष इस तरह एकजुट हो जाएगा.” शिवसेना (उबाठा) में ठाकरे के सहयोगी संजय राउत ने घोषणा की थी कि पांच जुलाई को मराठी आरक्षण आंदोलन के विरोध में आयोजित रैली रद्द कर दी गई है.
पूर्व मुख्यमंत्री ने सरकार द्वारा फैसला वापस लिये जाने के बाद कहा कि अब यह आयोजन मराठी एकता की सफलता का जश्न मनाने के लिए एक विजय जुलूस होगा. ठाकरे ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को झूठ की फैक्टरी भी करार दिया.
हम हिंदी का विरोध नहीं करते, सिर्फ उसे थोपे जाने के खिलाफ हैं : उद्धव ठाकरे
शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी हिंदी का विरोध नहीं करती, बल्कि इसे ”थोपे जाने” के खिलाफ है. दक्षिण मुंबई में एक विरोध-प्रदर्शन के बाद पत्रकारों से बात करते हुए ठाकरे ने यह बात कही. इस विरोध-प्रदर्शन के दौरान 17 जून के उस सरकारी आदेश की प्रतियां जलाई गईं, जिसमें स्कूलों के लिए तीन भाषा नीति संबंधी निर्देश जारी किया गया था.
इस विरोध-प्रदर्शन में कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल, कांग्रेस के पूर्व सांसद भालचंद्र मुंगेकर, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना नेता नितिन सरदेसाई, शिवसेना (उबाठा) नेता आदित्य ठाकरे और संजय राउत शामिल हुए. शिवसेना (उबाठा) ने पूरे राज्य में इसी तरह के विरोध प्रदर्शन किए.
ठाकरे ने कहा, ”हमने सरकारी आदेश की प्रतियां जलाई हैं, जिसका मतलब है कि हम इसे स्वीकार नहीं करते. हम हिंदी का विरोध नहीं करते, लेकिन हम इसे थोपे जाने की अनुमति नहीं देंगे. मराठी के साथ अन्याय हुआ है. सवाल यह है कि आप छात्रों पर कितना दबाव डालने जा रहे हैं.” पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर पांच जुलाई को होने वाला ‘मोर्चा’ भव्य होगा, जो उनकी पार्टी और राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जाएगा. सरकार ने 17 जून को एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया है कि मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों को हिंदी ”सामान्य रूप से” तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाई जाएगी.
हिंदी ‘थोपने’ संबंधी सरकारी आदेश वापस लेने के बाद पांच जुलाई का प्रदर्शन रद्द किया गया: राउत
शिवसेना (उबाठा) नेता संजय राउत ने कहा कि उनकी पार्टी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की ओर से पांच जुलाई को प्रस्तावित संयुक्त प्रदर्शन रद्द कर दिया गया है, क्योंकि महाराष्ट्र सरकार ने रविवार को हिंदी और राज्य के स्कूलों के लिए ‘त्रि-भाषा’ नीति पर जारी सरकारी आदेश (जीआर) वापस ले लिया है.
कक्षा एक से पांच तक हिंदी को शामिल करने के खिलाफ बढ़ते विरोध के बीच, देवेंद्र फडणवीस मंत्रिमंडल ने ‘त्रि-भाषा’ नीति के कार्यान्वयन पर दो सरकारी आदेश वापस लेने का फैसला किया. राउत ने कहा, ”सरकार ने हिंदी को अनिवार्य बनाने वाले सरकारी आदेश को वापस ले लिया है. यह ठाकरे परिवार के एकजुट होने के डर और मराठी एकता की जीत है. पांच जुलाई का मोर्चा (मार्च) अब नहीं निकाला जाएगा. यह ब्रांड ठाकरे है.”
एमवीए सरकार के कार्यकाल में नहीं अपनाई गई थी त्रि-भाषा नीति: कांग्रेस सांसद
कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत महाराष्ट्र सरकार पर कथित ”मराठी विरोधी” एजेंडे के खिलाफ जनता के विरोध को दबाने और हिंदी को लागू करने के लिए झूठा प्रचार अभियान शुरू करने का रविवार को आरोप लगाया. महाराष्ट्र की पूर्व स्कूल शिक्षा मंत्री गायकवाड ने इन दावों का भी खंडन किया कि उद्धव ठाकरे नीत पूर्ववर्ती महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत त्रि-भाषा नीति को अपनाया था.
गायकवाड ने कहा, ”हम हिंदी भाषा के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन महाराष्ट्र पर इसे जबरन थोपने को बर्दाश्त नहीं करेंगे.” कक्षा एक से हिंदी शुरू करने के सरकार के कदम का विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध किया है. महाराष्ट्र सरकार ने 17 जून को एक सरकारी प्रस्ताव (जीआर) जारी कर अंग्रेजी और मराठी माध्यम के स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा एक से पांच तक के छात्रों के लिए हिंदी को ”सामान्य रूप से” तीसरी भाषा बनाया गया जिसके बाद से ही यह विवाद शुरू हुआ है.
शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से महाराष्ट्र विधानसभा के मानसून सत्र के शुरू होने से एक दिन पहले रविवार को राज्य के स्कूलों में हिंदी भाषा पर जीआर जलाने की अपील की थी. महाराष्ट्र के मंत्री उदय सामंत ने शुक्रवार को कहा कि राज्य के स्कूलों में कक्षा एक से हिंदी को अनिवार्य बनाने की नीति को एमवीए सरकार के कार्यकाल के दौरान मंजूरी दी गई थी.
गायकवाड ने एक बयान में आरोप लगाया, ”जैसा कि देखा जा सकता कि भाजपा के हिंदी एजेंडे के खिलाफ महाराष्ट्र एकजुट है, ऐसे में सत्तारूढ़ पार्टी और उसके सहयोगी जानबूझकर गलत सूचना फैला रहे हैं और इस एकता को तोड़ने व विरोध की आवाज को दबाने के लिए झूठे संदर्भों का हवाला दे रहे हैं.” उन्होंने इन दावों का खंडन किया कि पूर्ववर्ती एमवीए सरकार ने एनईपी 2020 के तहत त्रि-भाषा फॉर्मूले को स्वीकार किया था.
गायकवाड ने कहा, ”जिस डॉ. रघुनाथ माशेलकर समिति का हवाला दिया जा रहा है, उसे स्कूल शिक्षा विभाग ने नियुक्त नहीं किया था. इसका उद्देश्य उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग से संबंधित एनईपी प्रावधानों की समीक्षा करना था, न कि स्कूली शिक्षा से.” उन्होंने कहा, ”यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि तत्कालीन उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री उदय सामंत अब झूठी बातों को बढ़ावा दे रहे हैं.” गायकवाड ने कहा कि स्कूली शिक्षा मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान एनईपी के कई पहलू महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ पाए गए.
उन्होंने कहा, ”इसके अनुसार, स्कूली शिक्षा पर नीति के प्रभावों का आकलन करने के लिए शिक्षा आयुक्त के तहत विभिन्न अध्ययन समूह बनाए गए थे. इस आशय का एक सरकारी प्रस्ताव (जीआर) 24 जून 2022 को जारी किया गया था.” एमवीवए सरकार द्वारा त्रि-भाषा फॉर्मूले को स्वीकार करने के आरोपों को खारिज करते हुए गायकवाड ने कहा, ”यह पूरी तरह से झूठ है. यह सरकार अपने स्वयं के निर्णयों से ध्यान हटाने के लिए झूठ का सहारा ले रही है.” गायकवाड ने कहा, ”हमने सभी स्कूलों, सभी माध्यमों, बोर्डों और प्रबंधनों में कम से कम कक्षा आठ तक मराठी को अनिवार्य बनाने वाला कानून पारित किया.”