मणिपुर सरकार ने हिंसा, संपत्तियों को क्षति दिखाने वाले वीडियो के प्रसार पर लगाई रोक

इम्फाल. मणिपुर सरकार ने जातीय संघर्ष से प्रभावित राज्य में सामान्य स्थिति की बहाली के लिए हिंसा और संपत्तियों को नुकसान दिखाने वाले वीडियो या तस्वीरों के प्रसार पर रोक लगा दी है. बुधवार रात जारी सरकारी आदेश में कहा गया है कि इस तरह के प्रसार से सख्ती से निपटा जाएगा और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानून के तहत मामला दर्ज किया जाएगा.

यह आदेश ऐसे समय जारी किया गया है जब व्यापक हिंसा के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया मंच पर वायरल हुई हैं. इसी तरह के एक वीडियो में कुछ लोगों के समूह द्वारा दो युवकों को करीब से गोली मारते हुए और उन्हें एक गड्ढे में दफनाते हुए दिखाया गया है. हालांकि वीडियो में घटनास्थल और दफनाने वाली जगह की जानकारी नहीं है.

मणिपुर गृह विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया, ”राज्य सरकार हिंसक गतिविधियों, किसी को चोट पहुंचाने, निजी और सार्वजनिक संपत्तियों को क्षतिग्रस्त करने से संबंधित वीडियो के विभिन्न सोशल मीडिया मंच पर प्रसारण को बहुत गंभीरता और अत्याधिक संवेदनशीलता से ले रही है….” आदेश में कहा गया है, ”राज्य सरकार ने मामले पर गौर करने के बाद ऐसे वीडियो के प्रसार पर रोक लगाने का निर्णय लिया है.” आदेश में कहा गया कि यदि किसी के पास इस तरह के वीडियो या तस्वीरें हैं, तो वे बिना किसी भय के उचित कार्रवाई के लिए वीडियो या तस्वीरें निकटतम पुलिस अधीक्षक से संपर्क कर जमा कर सकते हैं.

आदेश में कहा गया कि आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानून तथा प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया जाएगा और मुकदमा चलाया जाएगा. इसमें कहा गया है कि ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी.

सितंबर में दो लापता युवकों के शव की तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद इम्फाल घाटी में व्यापक पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सुरक्षा बलों और पुलिस की कार्रवाई में 100 से अधिक छात्र घायल हो गए थे जिनमें ज्यादातर लड़कियां थीं.

विरोध प्रदर्शन के बाद केंद्र ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) अधिकारियों का एक दल भेजा और बाद में एजेंसी ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. चारों आरोपियों को आगे की जांच और कानूनी प्रक्रियाओं के लिए गुवाहाटी ले जाया गया. पूर्वोत्तर राज्य में इस साल तीन मई से मेइती और कुकी जनजाति के बीच जातीय हिंसा हो रही है. मेइती लोगों द्वारा जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के बाद राज्य में हिंसा भड़क उठी थी.

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