यूपीआई को लेकर कई देश दिखा रहे हैं रुचि: आरबीआई गवर्नर

नयी दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) को लेकर कई अन्य देशों ने रुचि दिखायी है और उनके साथ बातचीत जारी है. दास ने यहां आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल की 606वीं बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में यह भी कहा कि आर्थिक गतिविधियों को देखते हुए अगले वित्त वर्ष में सात प्रतिशत वृद्धि का अनुमान बिल्कुल उपयुक्त है.

यूपीआई के बारे में उन्होंने कहा, ”कई देशों ने यूपीआई और रूपे कार्ड को लेकर रुचि दिखायी है और इस संदर्भ में उनके साथ बातचीत जारी है.” हालांकि, दास ने उन देशों के नाम नहीं बताये, जिन्होंने लोकप्रिय यूपीआई को लेकर रुचि दिखायी है. उन्होंने भारत और मॉरीशस के बीच रुपे कार्ड और यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस सुविधा और भारत और श्रीलंका के बीच यूपीआई कनेक्टिविटी की जानकारी देते हुए यह बात कही.

इस सुविधा के साथ, मॉरीशस जाने वाले भारतीय यात्री एक व्यापारी को वहां यूपीआई के जरिये भुगतान कर सकेंगे. इसी तरह, मॉरीशस के यात्री भी मॉरीशस के इंस्टेंट पेमेंट सिस्टम (आईपीएस) ऐप का उपयोग कर यहां भुगतान कर सकेंगे. इसके अलावा, रुपे प्रौद्योगिकी के उपयोग से मॉरीशस की ‘मॉकास कार्ड’ योजना के जरिये वहां के बैंक घरेलू स्तर पर रुपे कार्ड जारी करेंगे. ऐसे कार्ड का उपयोग एटीएम और ‘पॉइंट ऑफ सेल’ र्टिमनल पर मॉरीशस और भारत में किया जा सकेगा. साथ ही भारत के रुपे कार्ड को मॉरीशस के एटीएम और पीओएस र्टिमनल में स्वीकार किया जाएगा.

इसके साथ ही मॉरीशस रुपे तकनीक का उपयोग करके कार्ड जारी करने वाला एशिया के बाहर पहला देश बन गया है. श्रीलंका के साथ डिजिटल भुगतान व्यवस्था से भारतीय यात्री अपने यूपीआई ऐप का उपयोग कर वहां दुकानों पर क्यूआर कोड आधारित भुगतान कर सकेंगे.

आरबीआई के अनुसार, इन परियोजनाओं को भारतीय रिजर्व बैंक के मार्गदर्शन में एनपीसीआई की पूर्ण अनुषंगी एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स लि. (एनआईपीएल) ने मॉरीशस और श्रीलंका के भागीदार बैंकों/गैर-बैंकों के साथ मिलकर विकसित और क्रियान्वित किया है.

इन्हें हकीकत रूप देने में बैंक ऑफ मॉरीशस और सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका ने भी अहम भूमिका निभाई है उपरोक्त सुविधाएं भारत, मॉरीशस और श्रीलंका में चुनिंदा बैंकों/गैर-बैंकों/थर्ड पार्टी एप्लिकेशन प्रदाताओं के माध्यम से चालू कर दी गई हैं. आने वाले समय में इन सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा.

आर्थिक वृद्धि से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ”वैश्विक चुनौतियों के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है और हमें पूरा विश्वास है कि अगले वित्त वर्ष में यह सात प्रतिशत रहेगी.” हालांकि, यह अनुमान अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्वबैंक के 2024 के लिये भारत की आर्थिक वृद्धि दर के बारे में जताये गये अनुमान से अधिक है. मुद्राकोष ने जहां आर्थिक वृद्धि दर 2024 में 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है, वहीं विश्वबैंक ने वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने की संभावना जताया है.

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