मोदी सरकार ने आठ वर्षों में युवाओं, किसानों, जवानों समेत सभी वर्गों के साथ छल किया: कांग्रेस

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने गत आठ वर्षों के अपने कार्यकाल में युवाओं, किसानों, सशस्त्र बलों के जवानों, छोटे व्यापारियों, अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों और अन्य सभी वर्गों के साथ छल किया है. कांग्रेस ने मोदी सरकार के आठ साल पूरे होने के मौके पर “आठ साल-आठ छल, भाजपा सरकार विफल ” शीर्षक वाली एक पुस्तिका भी जारी की.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने महासचिव अजय माकन के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा,” नारा दिया गया था कि अच्छे दिन आने वाले हैं. लेकिन मोदी आये तो महंगे दिन लाये. किसानों की आमदनी भी नहीं हुई दोगुना, बल्कि उन्हें दर्द मिला सौ गुना. ” उन्होंने दावा किया, “मोदी आये तो मंदी के दिन लेकर आए. अब अच्छे दिनों की फ्लॉप फिल्म उतर चुकी है.” सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि सरकार अपनी विफलताओं पर से ध्यान भटकाने के लिए अब छल, कपट, झूठ और नफरत का सहारा ले रही है.

कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने महंगाई का उल्लेख करते हुए कहा कि अच्छे दिनों का वादा करने वाली सरकार के कार्यकाल में रसोई गैस सिलेंडर 1000 रुपये से अधिक और सरसों का तेल 200 रुपये से अधिक मूल्य पर मिल रहा है. माकन ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के आठ वर्ष सिर्फ ‘कुशासन’ और वादाखिलाफी के लिए जाने जाएंगे. कांग्रेस ने जो पुस्तिका जारी की है उसमें सरकार के ‘छल’ का विस्तृत उल्लेख करते हुए आंकड़ों के साथ उस पर (सरकार पर) निशाना साधा गया है.

पेट्रोल, डीजल और कई खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी का उल्लेख करते हुए कांग्रेस ने इस पुस्तिका में कहा, ‘‘पहला छल ‘‘भाजपा है, तो महंगाई है!’’ जनता लुट रही है, पिट रही है, आय घट रही है, और भाजपा की अहंकारी सत्ता में डायन महंगाई अब ‘‘घर जमाई’’ बन गई है.’’ उसने कहा, ‘‘दूसरा छल यह है कि सबसे युवा देश को बेरोजÞगारी व अनपढ़ता के अंधकार में झोंका! हम दुनिया के सबसे युवा देशों में हैं. बेरोजÞगारी देश के युवा की सबसे बड़ी बेजÞारी है. गुण है, क्षमता है, उमंग है, जज्Þबा है, पर रोजगार नहीं है.’’

कांग्रेस ने दावा किया, ‘‘सरकार का तीसरा छल ‘अर्श से फर्श के आठ वर्ष- गर्त में अर्थव्यवस्था’ है. मोदी सरकार में एक डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 77.81 रुपये के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई. आजादी के बाद 67 वर्षों में सभी सरकारों ने मिलकर 55 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया, लेकिन मोदी सरकार में यह कर्ज बढ़कर 135 लाख करोड़ रुपये हो गया.’’ उसका कहना है, ‘‘सरकार ने चौथा छल किसानों के साथ किया है. उसने 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का वादा किया था. उनकी आमदनी तो दोगुना नहीं बढ़ी, लेकिन उनको दर्द सौ गुना दिया गया. 2014 में किसानों पर कुल कर्ज 9.64 लाख करोड़ रुपये का था जो अब बढ़कर 16.80 लाख करोड़ रुपये हो गया है.’’

कांग्रेस ने कहा, ‘‘इस सरकार का पांचवां छल ‘शौर्य के नाम पर वोट, और सेना के हितों पर चोट’ है. सेना में 1,22,555 पद खाली हैं. मोदी सरकार की ओर से देश की सुरक्षा के साथ किया जा रहा खिलवाड़ नाकाबिले माफी है. मोदी सरकार ने ‘वन रैंक, वन पेंशन’ को लेकर भी 30 लाख पूर्व सैनिकों के साथ धोखा किया है.’’

कांग्रेस ने आरोप लगाया, ‘‘सरकार ने देश में नफरत फैलाकर देश के साथ एक और छल किया है. देश के चुनाव में अब ‘80 बनाम 20’, श्मशान-कब्रिस्तान, लाउडस्पीकर, बुलडोजर, मंदिर बनाम मस्जिद बनाम गिरजाघार बनाम गुरुद्वारा, सड़कों के नाम बदलना, खाने-पहनने के नाम पर बंटवारा ही मुद्दे हैं.’’ मुख्य विपक्षी पार्टी ने दावा किया, ‘‘धार्मिक बंटवारा कर वोट बटोरने के लिए अल्पसंख्यकों को बार-बार निशाना बनाया जाता है. अब सिर्फ मुस्लिम अल्पसंख्यक ही नहीं, बल्कि ईसाई और सिख अल्पसंख्यक भी इस धार्मिक तुष्टीकरण का निशाना बन रहे हैं.

पार्टी ने कहा, ‘‘मोदी सरकार ने एससी, एसटी और ओबीसी के साथ भी छल किया है. उसने एससी/एसटी सब-प्लान खत्म कर दिया यानी बजट में वंचित वर्गों का हिस्सा खत्म कर दिया गया. केंद्र सरकार के पूर्वाग्रह का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस सरकार ने जातिगत जनगणना के आंकडे जारी नहीं किए.’’

कांग्रेस ने दावा किया, ‘‘मोदी सरकार ने देश के साथ आठवां छल राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर आंख मूंदकर किया है. चीन ने लद्दाख में, गोगरा हॉट स्प्रिंग में भारत मां की सरजमीं पर कब्जा कर रखा है. लेकिन मोदी सरकार भारत मां की रक्षा करने में पूर्णतया विफल रही है.’’ गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पहले कार्यकाल के लिए 26 मई, 2014 को शपथ ली थी. बतौर प्रधानमंत्री यह उनका दूसरा कार्यकाल है.

सुरजेवाला ने राहुल गांधी के ब्रिटेन दौरे को लेकर ‘राजनीतिक मंजूरी नहीं लेने’ संबंधी विवाद पर बृहस्पतिवार को कहा कि बतौर सांसद उन्हें इसकी जरूरत नहीं थी. उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप मंत्री हैं या किसी सरकारी पद पर हैं अथवा किसी आयोग के सदस्य हैं, सरकारी अधिकारी हैं और भारत के बाहर किसी आधिकारिक कार्यक्रम में जाना चाहते हैं तो आपको राजनीतिक मंजूरी की जरूरत होती है. लेकिन अगर आप संसद सदस्य या विधानसभा सदस्य हैं और देश के बाहर जाते हैं तो आपको एफसीआरए संबंधी मंजूरी की जरूरत पड़ती है, किसी राजनीतिक मंजूरी की जरूरत नहीं होती है. हम अब भी एक लोकतांत्रिक देश हैं, हम पाषाण युग में नहीं रहते.’’ उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने एफसीआरए संबंधी मंजूरी ली थी.

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