मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध में मध्यस्थता की, पर महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद को नजरअंदाज कर रहे: राउत

मुंबई. शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी)) के नेता संजय राउत ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक तरफ तो रूस-यूक्रेन युद्ध में मध्यस्थता करते हैं, लेकिन दूसरी ओर वह महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद को पूरी तरह से नजरअंदाज कर रहे हैं, जो ‘एक अच्छे नेता की निशानी नहीं’ है.

राउत ने पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित अपने साप्ताहिक स्तंभ ‘रोकटोक’ में लिखा कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद दो राज्यों के लोगों एवं सरकारों के बीच लड़ाई नहीं, बल्कि मानवता के लिए संघर्ष है. भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन किए जाने के बाद 1957 से सीमा विवाद का मुद्दा बरकरार है. महाराष्ट्र बेलगावी पर दावा करता है, जो तत्कालीन ‘बॉम्बे प्रेसीडेंसी’ का हिस्सा था, क्योंकि यहां मराठी भाषी आबादी का एक बड़ा हिस्सा है. महाराष्ट्र 814 मराठी भाषी गांवों पर भी दावा करता है, जो वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा हैं.

राउत ने कहा, ‘‘बेलगावी और आस-पास के इलाकों में उस मराठी भाषी आबादी के संघर्ष को क्रूरता से कुचला नहीं जा सकता, जिसे राज्यों के पुनर्गठन के दौरान उसकी इच्छा के विरुद्ध कर्नाटक में शामिल किया गया था.’’ उन्होंने कहा कि यदि इस मामले को केंद्र सरकार और उच्चतम न्यायालय सुलझा नहीं सकते तो न्याय कहां से मिलेगा.

राउत ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी रूस-यूक्रेन युद्ध में मध्यस्थता करते हैं, लेकिन वह महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद को पूरी तरह से नजरअंदाज कर रहे हैं. यह अच्छे नेता की निशानी नहीं है.’’ राज्यसभा सदस्य राउत ने कहा कि यह अच्छी बात है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए पहल की है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या केंद्र सरकार तटस्थ रुख अपनाएगी? उन्होंने मांग की कि संसद को सीमा विवाद का समाधान खोजना चाहिए.

राउत ने कहा, ‘‘इस बात का इंतजार करने के बजाय कि उच्चतम न्यायालय इस मामले को संसद के पास भेजे, यदि संसद इसका जल्द से जल्द समाधान खोज लेती है तो इसमें क्या नुकसान है.’’ उन्होंने कहा कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को महाराष्ट्र के खिलाफ भड़काऊ बयान देने के बजाय विवाद को सुलझाने के लिए बेलगावी में मराठी भाषी लोगों के संगठनों और नेताओं से बातचीत करनी चाहिए थी.

राउत ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के क्षेत्रों पर दावा करने के बोम्मई के आक्रामक रुख का सामना करने के लिहाज से कमजोर हैं.’’ उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर शाह द्वारा बुलाई गई दोनों मुख्यमंत्रियों की बैठक में यथास्थिति बनाए रखने का निर्णय लिया गया.

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