मुंबई महाराष्ट्र की है, ‘किसी के बाप की नहीं: फडणवीस

सीमा विवाद पर बयानबाजी करने के बजाय सर्वदलीय शिष्टमंडल लेकर दिल्ली जाएं : कांग्रेस ने बोम्मई से कहा

नागपुर/बेंगलुरु. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कर्नाटक के कुछ नेताओं की टिप्पणियों की कड़ी ंिनदा करते हुए बुधवार को कहा कि मुंबई ‘‘किसी के बाप की नहीं है.’’ महाराष्ट्र विधानसभा में फडणवीस ने कहा कि राज्य की भावनाओं से कर्नाटक सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को अवगत कराया जाएगा.

सदन में इस मुद्दे को उठाते हुए, विपक्ष के नेता अजीत पवार ने दावा किया कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री और मंत्री अपनी टिप्पणियों से महाराष्ट्र के गौरव को ठेस पहुंचा रहे हैं और महाराष्ट्र सरकार की प्रतिक्रिया उसके माकूल नहीं है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता पवार ने कहा, ‘‘ (कर्नाटक के) विधि मंत्री मधु स्वामी ने मांग की है कि मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाना चाहिए. (भारतीय जनता पार्टी के विधायक) लक्ष्मण सावदी ने कहा कि मुंबई कर्नाटक की है और उन्होंने मराठी लोगों के घावों पर नमक छिड़का है.’’ राकांपा नेता ने मांग की कि मुख्यमंत्री कड़े शब्दों में इसकी ंिनदा करें.

फडणवीस ने कहा, ‘‘मुंबई महाराष्ट्र की है, किसी के बाप की नहीं है. हम मुंबई पर किसी के दावे को बर्दाश्त नहीं करेंगे और हम अपनी भावनाओं को कर्नाटक सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री के सामने रखेंगे.” उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री शाह से ऐसे ‘बड़बोले’ नेताओं को फटकार लगाने का आग्रह किया जाएगा. उपमुख्यमंत्री ने कहा कि शाह के साथ दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में यह तय किया गया था कि दोनों पक्षों में से कोई भी नया दावा नहीं करेगा.

फडणवीस ने कहा, ‘‘ कर्नाटक के विधायकों या कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष की टिप्पणियां, जो तय किया गया था, उसके विपरीत हैं. मुंबई पर किसी के भी दावे को बर्दाश्त नहीं करेंगे. हम इसकी ंिनदा करते हैं. हम इन बयानों की ंिनदा करते हुए एक पत्र (कर्नाटक सरकार को) भेजेंगे.’’ उन्होंने कहा कि इसे केंद्रीय गृह मंत्री के संज्ञान में लाएंगे. महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद है.

एक दिन पहले ही महाराष्ट्र के दोनों सदनों– विधानसभा और विधान परिषद– ने सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री एकनाथ ंिशदे की ओर से पेश एक प्रस्ताव को पारित किया था. इस प्रस्ताव में कहा गया है कि सरकार बेलगाम, करवार बीदर, निपानी, भाल्की शहरों तथा 865 मराठी भाषी गांवों को महाराष्ट्र में शामिल कराने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ेगी. ये क्षेत्र कर्नाटक का हिस्सा हैं.

वहीं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार को उच्चतम न्यायालय से अनुरोध करना चाहिए कि जब तक महाराष्ट्र-कर्नाटक के बीच सीमा का मसला उसके पास लंबित है, तब तक सभी विवादित क्षेत्रों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया जाए.

कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने महाराष्ट्र विधानमंडल में पारित प्रस्ताव की ंिनदा करते हुए मंगलवार को कहा था कि पड़ोसी राज्य को एक भी गांव नहीं दिया जाएगा. कर्नाटक विधानसभा ने महाराष्ट्र के साथ सीमा विवाद को लेकर पिछले बृहस्पतिवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें दक्षिणी राज्य के हितों की रक्षा करने और अपने पड़ोसी को एक इंच भी जमीन नहीं देने का संकल्प लिया गया है .

सीमा विवाद पर बयानबाजी करने के बजाय सर्वदलीय शिष्टमंडल लेकर दिल्ली जाएं : कांग्रेस ने बोम्मई से कहा

कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष डी. के. शिवकुमार ने बुधवार को मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से कहा कि महाराष्ट्र के साथ सीमा विवाद पर उन्हें तत्काल सर्वदलीय शिष्टमंडल के साथ दिल्ली जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने बोम्मई पर इस मामले में सिर्फ ‘‘खोखली बयानबाजी’’ करने का भी आरोप लगाया.

बोम्मई ने कहा था कि कर्नाटक अपनी एक इंच जमीन भी महाराष्ट्र को नहीं देगा. इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवकुमार ने केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से इस मामले में सार्वजनिक रूप से आश्वासन देने को कहा. शिवकुमार ने ट्वीट किया है, ‘‘इसपर कोई आश्चर्य नहीं है कि मुख्यमंत्री सिर्फ खोखली बयानबाजी कर रहे हैं. अगर वह वाकई मानते हैं कि कर्नाटक की एक इंच जमीन भी महाराष्ट्र को नहीं दी जाएगी तो उन्हें तत्काल सर्वदलीय शिष्टमंडल के साथ दिल्ली जाना चाहिए और गृहमंत्री से इस मामले पर सार्वजनिक रूप से आश्वासन देने को कहना चाहिए.’’

सीमा मुद्दे पर महाराष्ट्र विधानमंडल में पारित प्रस्ताव को ‘‘गैर-जिम्मेदार और संघीय ढांचे के विरूद्ध’’ बताते हुए बोम्मई ने मंगलवार को कहा था कि राज्य की एक इंच जमीन भी नहीं छोड़ी जाएगी. महाराष्ट्र विधानमंडल ने मंगलवार को कर्नाटक में मराठी भाषी 865 गांवों को महाराष्ट्र में शामिल करने के लिए ‘‘कानूनी कदम उठाने’’ के वास्ते प्रस्ताव पारित किया.

पिछले कुछ सप्ताह में दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद बढ़ गया है और दोनों राज्यों के नेता इस पर लगातार बयानबाजी कर रहे हैं. पुलिस ने बेलगावी में स्थिति तनावपूर्ण होने के मद्देनजर कई कन्नड़ तथा मराठी समर्थक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है.
दोनों राज्यों के बीच यह सीमा विवाद 1957 में भाषा के आधार पर इनके पुनर्गठन के वक्त का है. महाराष्ट्र पूर्ववर्ती बांबे प्रेसिडेंसी का हिस्सा रहे बेलगावी पर अपना दावा करता है क्योंकि वहां मराठी भाषियों की संख्या ज्यादा है. वह उन 865 मराठी भाषी गांवों पर भी दावा करता है जो फिलहाल कर्नाटक का हिस्सा हैं.

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