एनडीटीवी के 2009 के कर्ज समझौते से खुला अडाणी समूह का बड़ी हिस्सेदारी खरीदने का रास्ता

नयी दिल्ली. अडाणी समूह का एनडीटीवी में बड़ी हिस्सेदारी खरीदने का रास्ता प्रसारण कंपनी के 2009 के कर्ज समझौते से खुला है.
अडाणी समूह ने जिस विश्वप्रधान कर्मिशयल प्राइवेट लि. (वीसीपीएल) के जरिये आक्रामक बोली की शुरुआत की है, वह अपेक्षाकृत कम र्चिचत इकाई है. उसका कारोबार कुछ साल पहले तक केवल 60,000 रुपये था लेकिन उसने प्रसारण कंपनी को 2009 में 400 करोड़ रुपये का कर्ज दिया. सेबी के आदेशों से यह जानकारी मिली है.

इसके अलावा, उस समय एनडीटीवी के प्रवर्तकों के साथ जो कर्ज समझौता हुआ था, उसके प्रावधान कुछ अलग ही थे. उसके अनुसार अगले तीन से पांच साल में कर्ज लेने और ऋण देने वाले आरआरपीआर के भरोसेमंद खरीदार पर गौर करेंगे, जो एनडीटीवी के ब्रांड और विश्वसनीयता को बनाये रखेगा.

आरआरपीआर होंिल्डग प्राइवेट लि. का गठन राधिका रॉय और प्रणय रॉय ने एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में किया था. इसकी एनडीटीवी में 29.18 प्रतिशत हिस्सेदारी वीसीपीएल को हस्तांतरित की गई थी, जिसे अब अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड और एएमजी मीडिया नेटवर्क लिमिटेड को बेच दिया गया है.

वीसीपीएल ने मंगलवार को आरआरपीआर में 99.5 प्रतिशत इक्विटी शेयर के अधिग्रहण के लिये अपने अधिकार का उपयोग किया. इसी से एनडीटीवी में 26 प्रतिशत तक हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिये खुली पेशकश की गयी. इसके तहत, वीसीपीएल ने अडाणी मीडिया नेटवर्क्स लिमिटेड और अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के साथ मिलकर एनडीटीवी के 1.67 करोड़ तक के पूर्ण चुकता इक्विटी शेयरों के अधिग्रहण के लिये 294 रुपये प्रति शेयर के भाव पर खुली पेशकश की. इससे पेशकश का कुल मूल्य करीब 493 करोड़ रुपये बैठता है.

हालांकि, एनडीटीवी ने कहा कि संस्थापकों या कंपनी से पूछे बिना कर्ज को इक्विटी शेयर में बदला गया. जिस अधिकार का उपयोग किया गया, वह वीसीपीएल का एनडीटीवी के प्रवर्तकों के साथ कर्ज समझौते का हिस्सा था. दरअसल, एनडीटीवी ने वीसीपीएल से 2009 में 350 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था. यह कर्ज आईसीआईसीआई बैंक से पहले लिये गये ऋण को लौटाने के लिये लिया गया. एक साल बाद प्रसारण कंपनी ने वीसीपीएल से 53.85 करोड़ रुपये का और ऋण लिया. आईसीआईसीआई बैंक से कर्ज इंडियाबुल्स से पूर्व में लिये ऋण को लौटाने के लिये लिया गया.

दिलचस्प बात यह है कि वीसीपीएल के कर्ज पर कोई ब्याज नहीं था. जबकि आईसीआईसीआई बैंक से लिये गये कर्ज पर ब्याज दर 19 प्रतिशत थी. कर्ज समझौते के तहत वीसीपीएल को आरआरपीआर को वॉरंट जारी करना था. इसे ऋण की अवधि के दौरान या उसके बाद किसी भी समय आरआरपीआर के 99.99 प्रतिशत के इक्विटी शेयर में बदला जा सकता था.

इसके अलावा, इसने वीसीपीएल को प्रवर्तकों से आरआरपीआर के सभी इक्विटी शेयर को न्यूनतम मूल्य पर खरीदने का अधिकार दिया. इसके अलावा, शुभगामी ट्रेंिडग प्राइवेट लिमिटेड और आरआरपीआर और श्याम इक्विटीज प्राइवेट लिमिटेड और आरआरपीआर के बीच क्रमश: दो ‘कॉल आॅप्शन’ समझौते किये गये थे.

‘कॉल आॅप्शन’ ने दो इकाइयों – शुभगामी ट्रेंिडग और श्याम इक्विटीज को आरआरपीआर को एनडीटीवी में 26 प्रतिशत तक हिस्सेदारी खरीदने का अधिकार दिया. ये इकाइयां वीसीपीएल के शेयरधारकों से संबंधित थीं. ‘कॉल आॅप्शन’ समझौते में ‘पहले इनकार का अधिकार भी था, जो उधार लेने वाले और कर्जदाता दोनों के लिए बाध्यकारी था. साथ ही ‘कॉल आॅप्शन’ समझौते की तारीख से पांच साल समाप्त होने से पहले उन्हें एनडीटीवी में इक्विटी शेयर को किसी तीसरे व्यक्ति को बेचने या स्थानांतरित करने पर रोक थी.

सेबी के आदेशों के अनुसार, वीसीपीएल का मुख्य उद्देश्य थोक कारोबार और संबंधित व्यावसायिक गतिविधियां थीं. कंपनी की आय वित्त वर्ष 2016-17 में केवल 60,000 रुपये थी. नियामक ने पाया कि वीसीपीएल और उसकी सहयोगी कंपनियों का न तो ऐसे कर्जों को आगे बढ़ाने का इतिहास था और न ही उनके पास ऐसी उदार शर्तों पर ऋण देने के लिए वित्तीय साधन थे.

वीसीपीएल शुरू में अंबानी समूह से जुड़ा था. लेकिन इसका स्वामित्व 2012 में एक सहयोगी द्वारा संचालित कंपनी को स्थानांतरित कर दिया गया था. यह दिल्ली स्थित नहाटा समूह से जुड़ा था. अंबानी के जियो ने दूरसंचार कारोबार में फिर से प्रवेश करने के लिए 2010 में नहाटा समूह के इन्फोटेल ब्रॉडबैंड को खरीदा था.

एक बकाया कर्ज ने अडाणी को एनडीटीवी के ‘जबरन’ अधिग्रहण का मौका दिया
अडाणी समूह द्वारा 34 साल पुराने मीडिया संस्थान एनडीटीवी के अधिग्रहण से गौतम अडाणी को मीडिया कारोबार के वैश्विक दिग्गजों की सूची में शामिल होने में मदद मिलेगी. अडाणी दुनिया के चौथे सबसे अमीर व्यक्ति हैं. इस अधिग्रहण के पीछे एक बकाया कर्ज है, जो न्यू दिल्ली टेलीविजन (एनडीटीवी) के संस्थापक प्रणय और राधिका रॉय ने 2009-10 में अरबपति मुकेश अंबानी से जुड़ी कंपनी से लिया था.

विश्वप्रधान कर्मिशयल प्राइवेट लिमिटेड (वीसीपीएल) ने एनडीटीवी की प्रवर्तक कंपनी आरआरपीआर होंिल्डग प्राइवेट लिमिटेड को 403.85 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था. इस ब्याज मुक्त कर्ज के बदले आरआरपीआर ने वीसीपीएल को वॉरंट जारी किए जिनका अगर वह भुगतान नहीं कर सकी, तो ऐसी स्थिति में उन्हें आरआरपीआर में 99.9 प्रतिशत हिस्सेदारी में बदलने का अधिकार होगा.

वीसीपीएल का स्वामित्व 2012 में बदल गया. अडाणी समूह की फर्म ने पहले इसके नए मालिक से वीसीपीएल का अधिग्रहण किया और फिर बकाया ऋण को मीडिया कंपनी में 29.18 प्रतिशत हिस्सेदारी में बदलने के विकल्प का प्रयोग किया. इसके बाद अडाणी समूह ने देश के अधिग्रहण मानदंडों के अनुरूप जनता से अतिरिक्त 26 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए 493 करोड़ रुपये की खुली पेशकश की.

प्रणय और राधिका रॉय ने अडाणी के इस कदम को जबरन या द्वेषपूर्ण अधिग्रहण माना और कहा कि ऐसा बिना किसी चर्चा, सहमति या नोटिस के किया गया. एनडीटीवी के अधिग्रहण के साथ ही अडाणी जेफ बेजोस और मर्डोक परिवार की सूची में शामिल हो जाएंगे, जो क्रमश: वॉंिशगटन पोस्ट और फॉक्स कॉरपोरेशन के मालिक हैं.

मीडिया क्षेत्र में अडाणी समूह अब अंबानी को टक्कर देगा, जिनकी नेटवर्क 18 के जरिये पहले से ही इस क्षेत्र में बड़ी उपस्थिति है. इसके समाचार चैनलों में सीएनएन-न्यूज 18 और बिजनेस चैनल सीएनबीसी-टीवी 18 शामिल हैं. एनडीटीवी तीन राष्ट्रीय समाचार चैनल संचालित करता है – अंग्रेजी समाचार चैनल एनडीटीवी 24×7, ंिहदी समाचार चैनल एनडीटीवी इंडिया और बिजनेस चैनल एनडीटीवी प्रॉफिट. कंपनी की आॅनलाइन उपस्थिति भी बेहद मजबूत है.

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