नए आपराधिक कानूनों से न्याय के प्रशासन में सिर्फ भ्रम पैदा हुआ: चिदंबरम

नयी दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने बुधवार को कहा कि तीन नए आपराधिक कानून बनाने की कवायद निरर्थक थी और इससे न्यायाधीशों, वकीलों और पुलिस समेत न्याय के प्रशासन में केवल भ्रम पैदा हुआ है।

चिदंबरम ने यह भी दावा किया कि नए अधिनियम ज्यादातर ‘कॉपी एंड पेस्ट’ वाले हैं और कुछ ही नए प्रावधान जोड़े गए हैं। उनकी यह टिप्पणी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा तीन नए आपराधिक कानूनों के अधिनियमन को स्वतंत्र भारत में सबसे बड़ा सुधार करार दिए जाने के एक दिन बाद आई है।

शाह ने इस बात पर जोर दिया था कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने नए कानून – भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) बनाए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नागरिकों के सभी अधिकार सुरक्षित हैं और कोई भी अपराधी दंड से बच नहीं सकेगा।

सरकार पर निशाना साधते हुए कि चिदंबरम ने कहा कि उसने बार-बार दावा किया है कि तीन आपराधिक कानून आजादी के बाद सबसे बड़े सुधार हैं, जबकि यह बात सच्चाई से कोसों दूर है। पूर्व गृह मंत्री ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘मैंने तीन विधेयकों की जांच करने वाली स्थायी संसदीय समिति को एक असहमति नोट भेजा था, और यह संसद में पेश की गई रिपोर्ट का हिस्सा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे असहमति नोट में संबंधित नए विधेयक के साथ आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा दर धारा की तुलना करने के बाद मैंने दावा किया था कि आईपीसी का 90-95 प्रतिशत, सीआरपीसी का 95 प्रतिशत और साक्ष्य अधिनियम का 99 प्रतिशत हिस्सा ‘कॉपी’ करके दिया गया है और संबंधित नए विधेयक में ‘पेस्ट’ कर दिया गया है।’’ चिदंबरम ने कहा कि इन नए कानूनों से न्याय के प्रशासन में सिर्फ भ्रम पैदा हुआ है।

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