ब्याज दरों में कटौती की योजना नहीं, मुद्रास्फीति पर कोताही नहीं: आरबीआई गवर्नर

मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को नीतिगत दर में कटौती की संभावना से इनकार करते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक के लिए मुद्रास्फीति अभी भी उच्च प्राथमिकता बनी हुई है. दास ने यहां आरबीआई मुख्यालय में मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि पिछले कुछ महीनों में खुदरा मुद्रास्फीति के अच्छे आंकड़ों को देखकर किसी भी तरह की कोताही नहीं बरती जानी चाहिए.

इसके साथ ही आरबीआई गवर्नर ने रेपो दर को लगातार पांचवीं बार स्थिर रखने की घोषणा करते समय ‘अत्यधिक सख्ती’ को लेकर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि इसका कुछ और मतलब नहीं समझा जाना चाहिए. दास ने कहा, “आरबीआई की रेपो दर में कटौती की फिलहाल कोई योजना नहीं है. मौद्रिक नीति का प्राथमिक उद्देश्य कीमत को स्थिर रखना है. मई, 2022 में हमारा ध्यान वृद्धि के बजाय मुद्रास्फीति की तरफ केंद्रित हुआ था और अब भी वही नजरिया कायम है.” दास ने कहा कि मुद्रास्फीति पर नियंत्रण केंद्रीय बैंक की शीर्ष वरीयता है. पिछले कुछ महीनों में मुद्रास्फीति के आंकड़े संतोषजनक रहे हैं. अक्टूबर में कुल मुद्रास्फीति दर गिरकर 4.87 प्रतिशत आ गई.

उन्होंने कहा, “हमारे फैसले मुख्य रूप से दो प्रमुख मानकों- मुद्रास्फीति और वृद्घि पर आधारित हैं. मुद्रास्फीति अभी हमारी शीर्ष प्राथमिकता है और हमें अब भी चार प्रतिशत के संतोषजनक स्तर तक पहुंचने के लिए रास्ता तय करना है.” सरकार ने आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति चार प्रतिशत तक सीमित रखने का दायित्व दिया हुआ है जिसमें दो प्रतिशत की घट-बढ़ हो सकती है. आरबीआई मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के स्तर पर लाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है.

आरबीआई गवर्नर ने सख्ती के जोखिम पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा, “कुछ महीनों के अच्छे आंकड़े हमें एक तरह के आत्म-संतोष की स्थिति में नहीं डालने चाहिए. तथ्य यह है कि मुद्रास्फीति के लक्षित दायरे में आने को लेकर भी किसी तरह की कोताही नहीं होनी चाहिए.” इस मौके पर आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने कहा कि पहली छमाही में आर्थिक वृद्धि और अक्टूबर एवं नवंबर के उच्च आंकड़ों को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का सात प्रतिशत की दर से बढ़ना एक ‘सतर्कता भरा अनुमान’ ही है.

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