अब केवल छत्तीसग­ढ़ के तीन जिले ही नक्सलवाद से सर्वाधिक प्रभावित: गृह मंत्रालय

नयी दिल्ली. मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि नक्सलवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों की संख्या घटकर तीन रह गई है.
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अब छत्तीसग­ढ़ में केवल बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर ही वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से सबसे ज्यादा प्रभावित जिले हैं. यह बयान ऐसे समय में आया है जब छत्तीसग­ढ़ और महाराष्ट्र में भाकपा (माओवादी) के 88 सदस्यों ने आत्मसमर्पण कर दिया है, जो नक्सल विरोधी अभियान के लिए एक और सफलता है.

मंत्रालय ने कहा, “नक्सल-मुक्त भारत के निर्माण के मोदी सरकार के दृष्टिकोण की दिशा में एक बड़ी सफलता के तहत नक्सलवाद से सर्वाधिक प्रभावित जिलों की संख्या छह से घटकर तीन रह गई है.” वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की श्रेणी में भी यह संख्या 18 से घटकर केवल 11 रह गई है. इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह ऐतिहासिक है कि नक्सलवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों की संख्या छह से घटकर तीन रह गई है. उन्होंने कहा कि भारत 31 मार्च 2026 तक वामपंथी उग्रवाद के खतरे से मुक्त हो जाएगा.

उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ”नक्सलवाद के उन्मूलन में ऐतिहासिक उपलब्धि. आज सबसे अधिक प्रभावित जिलों की संख्या छह से घटकर मात्र तीन रह गई है, तथा प्रभावित जिलों की संख्या 18 से घटकर 11 रह गई है.” वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित इन 11 जिलों में बीजापुर, दंतेवाड़ा, गरियाबंद, कांकेर, मोहला-मानपुर-अंबाग­ढ़ चौकी, नारायणपुर और सुकमा (सभी छत्तीसग­ढ़), पश्चिमी सिंहभूम (झारखंड), बालाघाट (मध्य प्रदेश), ग­ढ़चिरौली (महाराष्ट्र) और कंधमाल (ओडिशा) शामिल हैं. इनमें तीन सर्वाधिक प्रभावित जिले में भी शामिल हैं.

बयान में दोहराया गया कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार 31 मार्च 2026 तक नक्सल समस्या को पूरी तरह से दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है. गृह मंत्रालय ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में, इस वर्ष अभियानगत सफलताओं ने पिछले सभी रिकॉर्ड को पार कर लिया है. इन अभियानों में 312 वामपंथी उग्रवादी कैडरों को मार गिराया गया, जिनमें भाकपा (माओवादी) महासचिव और आठ अन्य पोलित ब्यूरो/केंद्रीय समिति के सदस्य शामिल थे.” मंत्रालय ने कहा कि 836 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया और 1,639 आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल हो गए. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में एक पोलित ब्यूरो सदस्य और एक केंद्रीय समिति सदस्य शामिल हैं.

बयान में कहा गया है कि मोदी सरकार के तहत, बहुआयामी दृष्टिकोण के साथ राष्ट्रीय कार्य योजना और नीति के कठोर कार्यान्वयन के माध्यम से नक्सल समस्या से निपटने में “अभूतपूर्व सफलता” हासिल की गई. मंत्रालय ने कहा कि 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री ने नक्सलवाद को भारत की “सबसे बड़ी आंतरिक सुरक्षा चुनौती” कहा था, लेकिन अब इसका प्रभाव स्पष्ट रूप से कम होता दिख रहा है. बयान में कहा गया है कि नक्सलियों ने नेपाल के पशुपति से आंध्र प्रदेश के तिरुपति तक एक लाल गलियारे का षड्यंत्र रचा था.
मंत्रालय ने कहा कि 2013 में विभिन्न राज्यों के 126 जिलों में नक्सली हिंसा की सूचना मिली थी, लेकिन मार्च 2025 तक यह संख्या घटकर मात्र 18 रह गई, जिनमें से केवल छह को ‘सर्वाधिक प्रभावित जिले’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button