ओडिशा के राज्यपाल, मुख्यमंत्री ने श्रद्धालुओं के साथ भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचा

पुरी. पुरी में रथयात्रा के पहले दिन उत्सव का माहौल रहा और नेताओं तथा अन्य गणमान्य लोगों ने भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के दर्शन किये. लाखों की संख्या में आए श्रद्धालुओं, शंखध्वनि और हरिबोल के उद्घोष के साथ ओडिशा के राज्यपाल गणेशीलाल, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और उड़ीसा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डॉ मुरलीधर ने भगवान जगन्नाथ के रथ ‘नंदीघोष’ को खींचा. पटनायक, इटली और दुबई के अपने 11 दिवसीय दौरे से आज सुबह लौटे और उन्होंने तीनों देव प्रतिमाओं के दर्शन किये और हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन किया.

पटनायक ने ट्वीट किया, ‘‘मंदिर तक जाने वाली ग्रैंड ट्रंक रोड श्रद्धालुओं के उत्सव, भावनाओं और उत्साह से जीवंत हो उठी.’’ प्रधान ने कहा कि रथयात्रा सार्वभौमिक प्रेम और मानवता का प्रतीक है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘पुरी में इस पावन दिन पर महाप्रभु का आशीर्वाद पाना मेरा सौभाग्य था. भगवान जगन्नाथ हम सबको आशीष दें. जय जगन्नाथ.’’ रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नंदीघोष रथ को झुककर प्रणाम करने का वीडियो साझा किया. कई अन्य मंत्री और सांसद उत्सव में शामिल हुए.

रथों की साफ-सफाई की रस्म पूरी की गई

पुरी के प्रतीकात्मक राजा गजपति महाराजा दिब्यंिसह देब ने ‘रथयात्रा’ से पहले शुक्रवार को भगवान जगन्नाथ एवं उनके दैवीय भाई-बहन के रथों की साफ-सफाई की ‘छेरा पहरा’ रस्म पूरी की. यह रस्म नौ दिवसीय उत्सव ‘रथयात्रा’ के समय श्रद्धालुओं द्वारा रथों को खींचे जाने से पहले की गई है. कोविड-19 महामारी के कारण दो साल बाद यह रस्म की गई है. परंपरा के अनुसार राजा को चांदी की एक पालकी में श्री जगन्नाथ मंदिर ले जाया गया. वहां उन्होंने रथों पर बैठे देवी-देवताओं की पूजा की और फिर सोने की झाड़ू से रथों की साफ-सफाई की.

जगन्नाथ संप्रदाय के शोधकर्ता रविनारायण मिश्रा ने कहा, ‘‘इस रस्म का स्पष्ट संदेश है कि भगवान के सामने सभी बराबर हैं.’’ आसित मोहंती नामक एक अन्य शोधकर्ता ने कहा कि सदियों से यह रस्म समाज को यह संदेश देने के लिए पूरी की जाती है कि जाति, पंथ या किसी अन्य सामाजिक बाधा के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए.

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