योगी की टिप्पणी पर विपक्षी नेताओं ने कहा, भाजपा अपनी ‘विफलताओं’ को छिपाने का प्रयास कर रही

नयी दिल्ली. विपक्षी नेताओं ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ”सड़कों पर नमाज” और वक्फ बोर्ड संबंधी टिप्पणियों की मंगलवार को आलोचना की और आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मतदाताओं के बीच ”खोई” जमीन हासिल करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एजेंडे पर काम कर रही है. भाजपा नेताओं ने आदित्यनाथ के विचारों का समर्थन करते हुए विपक्षी दलों पर पलटवार किया और उन पर चुनावी लाभ की उम्मीद में वक्फ (संशोधन) विधेयक पर अपनी टिप्पणियों से समाज को ध्रुवीकृत करने की कोशिश का आरोप लगाया.
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक विशेष साक्षात्कार में मुसलमानों को सड़कों पर नमाज अदा करने के खिलाफ अपने प्रशासन की चेतावनी का बचाव करते हुए कहा कि सड़कें यातायात के आवागमन के लिए होती हैं. उन्होंने मुसलमानों से हिंदुओं से धार्मिक अनुशासन सीखने को भी कहा, जिन्होंने बिना किसी अपराध, तोड़फोड या उत्पात की घटना के महाकुंभ में भाग लिया.
आदित्यनाथ ने वक्फ (संशोधन) विधेयक के आलोचकों पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड स्वार्थी हितों के साथ-साथ ”लूट खसोट” के अड्डा बन गए हैं और इन्होंने मुसलमानों के कल्याण के लिए बहुत कम काम किया है.
समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि आदित्यनाथ इस तरह की टिप्पणियों से अपनी “विफलताओं” को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं और दावा किया कि भाजपा के मतदाता उससे दूर चले गए हैं क्योंकि उसने अपने चुनावी वादे पूरे नहीं किए.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके यादव ने कहा, ”ये सारी चीजें इसलिए हो रही हैं क्योंकि वे महंगाई पर चर्चा नहीं करना चाहते, बेरोजगारी के आंकड़े नहीं देना चाहते, किसानों की आय दोगुनी करने के अपने वादे का हश्र नहीं बताना चाहते…वे अपनी खामियों और विफलताओं को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं.” सपा प्रमुख ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ”उन्होंने सड़क पर नमाज पढ.ने के बारे में बात की…मुझे रोक दिया गया ताकि मैं ईद में भाग न ले सकूं… ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसी चीजें उन्हें सूट करती हैं.” वक्फ (संशोधन) विधेयक पर यादव ने कहा कि भाजपा का हर फैसला अपने लोगों को खुश करने और वोट हासिल करने के उद्देश्य से है.
उन्होंने आरोप लगाया कि संशोधनों के जरिए भाजपा वक्फ बोर्ड को पूरी तरह अपने नियंत्रण में लाना चाहती है और अपने ”वोट बैंक” को संदेश देना चाहती है. सपा प्रमुख ने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक का पुरजोर विरोध करेगी.
सपा प्रमुख ने कहा, ”वक्फ विधेयक के जरिए वे अपने वोट बैंक को संदेश देना चाहते हैं. उनके मतदाता नाराज हैं क्योंकि उन्होंने नौकरियां नहीं दीं और किसानों की आय दोगुनी नहीं की. वे जानते हैं कि उनके वोट उनसे दूर चले गए हैं.” आदित्यनाथ की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पूछा कि जब सड़कों पर कांवड़ यात्रा, आरएसएस परेड और सभी धार्मिक उत्सव आयोजित किए जा सकते हैं तो मुसलमानों को सड़कों पर नमाज अदा करने से क्यों रोका जाना चाहिए.
उन्होंने पूछा, ”आपको केवल क्या इस्लाम से समस्या है?” एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा कि भारत की खूबसूरती देश में बहुलवाद और विविधता है. आदित्यनाथ की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ”आप एक विचारधारा की बात कर रहे हैं, वह आरएसएस की है, जो भारत के संविधान से टकराती है.” केंद्रीय मंत्री एस पी सिंह बघेल ने आदित्यनाथ के विचारों का समर्थन करते हुए कहा कि जो लोग धार्मिक हैं उन्हें अनुशासन बनाए रखना चाहिए. उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”हम कुंभ को अनुशासन का पर्व भी कह सकते हैं, जहां 66 करोड़ लोग आए. उनकी भाषाएं अलग थीं, उनकी बोलियां अलग थीं, उनके राज्य अलग थे, फिर भी उन्हें किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा.” बघेल ने कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दल वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध ”सिफ.र् विरोध करने के लिए” कर रहे हैं, लेकिन जिन्होंने वक्फ संपत्तियों पर ”अवैध रूप से कब्ज.ा” कर रखा है, वे चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि वे राजनीतिक लाभ के लिए समाज का ध्रुवीकरण करने के लिए विधेयक के खिलाफ टिप्पणी कर रहे हैं.
कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने इस विवाद को भाजपा की ”थोपने की राजनीति” से जोड़ा और तमिलनाडु में हिंदी के विरोध का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा, ”यह हिंदी का विरोध करने के बारे में नहीं है, बल्कि भाषाई अधिकारों की रक्षा के बारे में है. संविधान भाषा की स्वतंत्रता की गारंटी देता है – कोई भी अपनी मातृभाषा दूसरों पर नहीं थोप सकता.” महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के नेता संदीप देशपांडे ने कहा दिया कि धार्मिक प्रथाओं को निजी ही रहना चाहिए. उन्होंने कहा, ”मस्जिदों, मंदिरों या घरों में प्रार्थना-इबादत करें सड़कों पर नहीं. हर शुक्रवार को सार्वजनिक स्थानों पर व्यवधान नहीं डाला जा सकता.” हालांकि, शिवसेना (उबाठा) सांसद अरविंद सावंत ने कहा, ”नमाज में बमुश्किल 15 मिनट लगते हैं. अगर मस्जिदों में जगह की कमी है, तो लोग कहां नमाज पढ.ें? क्या हिंदुओं को छतों पर भी अनुष्ठान करने से रोक दिया जाना चाहिए?”
भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का समर्थन करते हुए कहा कि नमाज केवल तय स्थानों पर ही अदा की जानी चाहिए. उन्होंने कहा, ”नमाज के नियम होते हैं- मस्जिद, ईदगाह या घर ही सही जगह हैं. सड़कों पर अनधिकृत तरीके से नमाज के लिए एकत्र होने से अनावश्यक तनाव पैदा होता है.” आदित्यनाथ ने साक्षात्कार में कहा कि उत्तर प्रदेश में तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, बंगाली और मराठी पढ.ाई जाती है. इस पर, कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने मांग की कि उत्तर प्रदेश सरकार स्कूलों में तमिल सीखने वाले छात्रों और भाषा पढ.ाने वाले शिक्षकों की संख्या का ब्यौरा दे.
कार्ति ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”तमिलनाडु में छात्रों के लिए अनिवार्य रूप से हिंदी सीखने का कोई कारण नहीं है. तमिलनाडु आने वाले किसी भी प्रवासी श्रमिक के पास तमिल का कोई पूर्व ज्ञान नहीं होता. हिंदी थोपना बंद करें.” कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा कि आदित्यनाथ की टिप्पणी भेदभावपूर्ण है और उन्हें सड़कों पर जुलूस निकालने वाले अन्य लोगों को भी ”अनुशासित” करना चाहिए.
उन्होंने कहा, ”हमने स्वीकार कर लिया. हमने सड़क पर नमाज नहीं पढ.ी. मैंने भी लोगों से सड़कों पर नमाज. न पढ.ने के लिए कहा. ऐसा इसलिए क्योंकि जब सरकार ने मना कर दिया है और सड़कें उसकी संपत्ति हैं, तो वहां नमाज पढ.ना स्वीकार नहीं किया जाएगा.” मसूद ने कहा, ”लेकिन क्या अनुशासन केवल हमें ही सिखाया जाना चाहिए?… दूसरों को भी सिखाइए जो जुलूस निकालकर घंटों तक यातायात जाम का कारण बनते हैं.” मसूद ने कहा कि आदित्यनाथ को इसके बजाय उत्तर प्रदेश की प्रगति और राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने जैसे कई अन्य कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.