ओटीटी महिला अभिनेत्रियों के लिए वरदान है : आयशा जुल्का

मुंबई. नब्बे के दशक की मशहूर अभिनेत्री आयशा जुल्का ने कहा कि ओटीटी (ओवर द टॉप) महिला कलाकारों के लिए वरदान है तथा इससे सभी उम्र की महिला कलाकारों के लिए सार्थक भूमिकाएं सामने आ रही हैं. जुल्का ने हाल में प्राइम वीडियो की सीरीज ‘‘हश हश’’ से ओटीटी पर पदार्पण किया है. उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी पसंद की भूमिका निभाने के लिए लंबा इंतजार किया.

अभिनेत्री ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘ओटीटी हम महिला कलाकारों के लिए खेल बदल रहा है. यह हमारे लिए वरदान है. अगर हमारे पास ओटीटी नहीं होता तो हालात पहले जैसे होते. केवल ओटीटी पर उम्र या किसी और चीज से परे महिलाओं के लिए सार्थक भूमिकाएं पैदा हो रही हैं.’’ जुल्का (50) ने कहा कि उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में इम्तियाज अली की ‘‘सोचा ना था’’ और अनिल शर्मा निर्देशित ‘‘जीनियस’’ समेत कुछ फिल्मों में कैमियो भूमिकाएं निभायी हैं. लेकिन उम्र के साथ उनके लिए भूमिकाएं खत्म हो गयीं.

उन्होंने कहा कि इसी वजह से उन्होंने फिल्मों से दूरी बनायी और सही अवसर का इंतजार किया. उन्होंने कहा, ‘‘और फिर ऐसा वक्त आया जब मुझे लगा कि मैं आगे बढ़ना चाहती हूं.’’ अपने वक्त की अभिनेत्री रवीना टंडन का उदाहरण देते हुए जुल्का ने कहा कि उनकी पीढ़ी की अभिनेत्रियों को उनके लिए लिखी जा रही भूमिकाओं के संदर्भ में पुरुषों के बराबर दर्जा हासिल करने में अभी लंबा सफर तय करना है. टंडन ने पिछले साल नेटफ्लिक्स की सीरीज ‘‘अरण्यक’’ से डिजिटल मंच पर पदार्पण किया था. जुल्का ने कहा, ‘‘हम आगे बढ़ रहे हैं, धीरे ही सही, लेकिन बढ़ रहे है.’’ उन्होंने कहा कि ओटीटी ने कहानीकारों को महिला के रूढ़िवादी चित्रण से परे देखने की ताकत दी है, जिससे सभी उम्र की अभिनेत्रियों के लिए सार्थक भूमिकाएं सामने आ रही हैं.

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