पाकिस्तान की अदालत ने नौ मामलों में इमरान खान की जमानत बहाल की

इमरान की जमानत अर्जी पर खुली सुनवाई से दूसरे देशों के साथ रिश्ते बिगड़ने का खतरा: एफआईए

इस्लामाबाद. पाकिस्तान में एक उच्च न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की नौ अलग-अलग मामलों में जमानत को सोमवार को बहाल कर दिया और उसे निरस्त करने के विभिन्न निचली अदालतों के फैसलों को रद्द कर दिया. इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश उमर फारूक और न्यायमूर्ति तारिक महमूद जहांगीरी की पीठ ने नौ मई के दंगों के सिलसिले में तीन मामलों के बारे में, इस्लामाबाद में विरोध प्रदर्शन से संबंधित तीन मामलों में और तोशाखाना मामले, धारा 144 के उल्लंघन और हत्या के प्रयास के एक-एक मामले में खान के आवेदन पर सुनवाई की.

इनमें से छह मामले विभिन्न जिला और सत्र अदालतों में थे और तीन मामले आतंकवाद निरोधक अदालतों के समक्ष थे. खान (70) को सभी नौ मामलों में जमानत दे दी गयी थी, लेकिन तोशाखाना मामले में उनके जेल जाने के बाद पेश नहीं हो पाने के कारण इसे निरस्त कर दिया गया था. उन्होंने फैसले को चुनौती दी थी. इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने खान की जमानत को बहाल कर दिया और इसे निरस्त करने के विभिन्न निचली अदालतों के फैसलों को रद्द कर दिया. अदालत ने निचली अदालतों को यह निर्देश भी दिया कि खान के आवेदनों पर कार्यवाही रोककर नये सिरे से सुनवाई की जाए.

इमरान की जमानत अर्जी पर खुली सुनवाई से दूसरे देशों के साथ रिश्ते बिगड़ने का खतरा: एफआईए

पाकिस्तान की शीर्ष जांच एजेंसी ने सोमवार को यहां एक अदालत को सूचित किया कि राज्य की गोपनीय जानकारी कथित रूप से उजागर करने के मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की जमानत अर्जी पर खुली सुनवाई से अन्य देशों के साथ रिश्ते बिगड़ने का खतरा हो सकता है.

फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एफआईए) ने सरकारी गोपनीयता कानून के तहत स्थापित विशेष अदालत में शनिवार को एक आरोप पत्र दायर किया जिसमें पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के अध्यक्ष इमरान खान और उपाध्यक्ष शाह महमूद कुरैशी को मामले में प्रमुख आरोपी बनाया गया है. खान और कुरैशी दोनों इस समय न्यायिक हिरासत में हैं.

‘डॉन’ अखबार की खबर के मुताबिक एफआईए ने सोमवार को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय को सूचित किया कि खान की जमानत अर्जी पर खुली सुनवाई से अन्य देशों के साथ रिश्ते बिगड़ने का खतरा हो सकता है. खान और कुरैशी की गिरफ्तारी के बाद जमानत अर्जियों को विशेष अदालत ने पहले खारिज कर दिया था जिसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया.

खान (70) के खिलाफ पिछले साल मार्च में अमेरिका स्थित पाकिस्तानी दूतावास द्वारा भेजी गयी एक गोपनीय राजनयिक केबल का खुलासा करके कथित रूप से सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंघन करने का मामला दर्ज किया गया था और उन्हें अगस्त में गिरफ्तार किया गया था.

पूर्व विदेश मंत्री कुरैशी (67) को अमेरिका में पाकिस्तानी दूतावास द्वारा भेजी गयी आधिकारिक केबल को विदेश कार्यालय भेजकर गोपनीयता का उल्लंघन करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था. खान और कुरैशी की न्यायिक हिरासत 26 सितंबर को 10 अक्टूबर तक बढ़ा दी गयी थी और इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार खान को एटक जिला जेल से रावलपिंडी की अडियाला जेल भेज दिया गया था.

एआईए ने पिछले सप्ताह इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी और मामले में खान की जमानत अर्जी पर बंद कमरे में सुनवाई की गुहार लगाई थी. मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक ने सोमवार को एफआईए की अर्जी सुनवाई के लिए ली.

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