पवन हंस की रणनीतिक बिक्री की प्रक्रिया तीसरी बार हुई निरस्त

नयी दिल्ली. सरकार ने हेलिकॉप्टर सेवा प्रदाता पवन हंस के रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रिया सफल बोली लगाने वाले गठजोड़ में शामिल एक कंपनी के अयोग्य घोषित होने की वजह से सोमवार को निरस्त कर दी. यह तीसरा मौका है जब पवन हंस की रणनीतिक बिक्री की सरकार की कोशिश सफल नहीं हो पाई है.

पवन हंस सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ओएनजीसी का एक संयुक्त उद्यम है. इसमें सरकार के पास 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि बाकी हिस्सा ओएनजीसी के पास है. सरकार ने पवन हंस में अपनी हिस्सेदारी के अलावा ओएनजीसी का हिस्सा भी बेचने के लिए दिसंबर, 2020 में रुचि पत्र (ईओआई) आमंत्रित किए थे. उनके आधार पर अप्रैल, 2022 में पवन हंस की समूची हिस्सेदारी की बिक्री स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड गठजोड़ को 211.40 करोड़ रुपये में करने का फैसला किया गया था. इस गठजोड़ में बिग चार्टर प्राइवेट लिमिटेड, महाराजा एविएशन प्राइवेट लिमिटेड और अल्मास ग्लोबल ऑपच्र्यूनिटी फंड एसपीसी शामिल हैं.

हालांकि, मई में इस गठजोड़ की प्रमुख साझेदार अल्मास ग्लोबल ऑपच्र्यूनिटी के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में मामला विचाराधीन होने का तथ्य सामने आने के बाद इस बिक्री प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया था. विनिवेश प्रक्रिया की निगरानी करने वाले निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने सोमवार को कहा कि सरकार ने एनसीएलटी और राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के प्रतिकूल आदेशों की पड़ताल की है. इसके बाद पवन हंस के लिए सफल रणनीतिक बोली लगाने वाली स्टार9 मोबिलिटी को विनिवेश प्रक्रिया के अयोग्य घोषित करने का फैसला किया गया है.

दीपम ने बयान में कहा, ”सफल बोलीकर्ता के अयोग्य घोषित होने के साथ ही रणनीतिक विनिवेश के लिए जारी प्रक्रिया निरस्त हो जाती है.” इस मामले में स्टार 9 मोबिलिटी को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था. उसका जवाब आने के बाद सरकार ने वैकल्पिक व्यवस्था की अनुमति से इस प्रक्रिया को निरस्त करने का फैसला किया है. वैकल्पिक व्यवस्था में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री, वित्त मंत्री और नागर विमानन मंत्री शामिल हैं.

दरअसल अप्रैल, 2022 में सफल बोलीकर्ता के रूप में स्टार 9 मोबिलिटी का नाम सामने आने के बाद पता चला था कि उसकी साझेदार फर्म अल्मास के खिलाफ एनसीएलटी की कोलकाता पीठ ने प्रतिकूल आदेश दिया था. बाद में अल्मास को एनसीएलएटी से भी राहत नहीं मिल पाई थी.

भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने भी एक विशेष अदालत में अल्मास के खिलाफ शिकायत दायर की थी. इन सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए बोलीकर्ता फर्म को अयोग्य घोषित कर दिया गया. पवन हंस को बेचने की यह तीसरी नाकाम कोशिश है. पहली बार वर्ष 2018 में सरकार ने पवन हंस में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के लिए निविदा आमंत्रित की थी. लेकिन ओएनजीसी के भी अपना 49 प्रतिशत हिस्सा बेचने के लिए राजी हो जाने के बाद इस निविदा को वापस ले लिया गया था. दूसरी कोशिश वर्ष 2019 में की गई थी लेकिन उसे निवेशकों से अनुकूल प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर निरस्त करना पड़ा था.

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