लोगों को आर्थिक राष्ट्रवाद अपनाने की जरूरत: उपराष्ट्रपति

नयी दिल्ली. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बृहस्पतिवार को कहा कि लोगों को आर्थिक राष्ट्रवाद में विश्वास करने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘वोकल फॉर लोकल’ की अवधारणा को अपनाने की जरूरत है. धनखड़ ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निकाय ‘स्कोप’ के पुरस्कार समारोह में यह बात कही. उन्होंने मिट्टी के दीये, मोमबत्तियां, पर्दे और फर्नीचर के आयात पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि इनका निर्माण स्थानीय स्तर पर भी किया जा सकता है.

उपराष्ट्रपति ने कहा, ”समय आ गया है जब भारतीय के रूप में हमें आर्थिक राष्ट्रवाद में विश्वास करना चाहिए. देश का नुकसान उन आयातित वस्तुओं के कारण हो रहा है जिन्हें हम यहां बना सकते हैं. हम ‘वोकल फॉर लोकल’ की अवधारणा का सम्मान नहीं कर रहे हैं. प्रधानमंत्री ने भी संकेत दिया है कि ‘वोकल फॉर लोकल’ होना आर्थिक राष्ट्रवाद के सार को समाहित करता है.” ‘वोकल फॉर लोकल’ का आशय स्थानीय स्तर पर निर्मित उत्पादों का इस्तेमाल बढ.ाना और उसे प्रोत्साहन देना है.

धनखड़ ने राजनीतिक लाभ के लिए लोगों की अनभिज्ञता का इस्तेमाल किए जाने पर अफसोस जताते हुए कहा, ”अगर जानकार दिमाग, समझदार दिमाग वाले लोग भी दूसरों की अनभिज्ञता का फायदा उठाते हैं तो यह नैतिकता एवं नीति के खिलाफ है और देश के प्रति अन्याय है.” उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र को देश का गौरव और भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ. बताते हुए कहा, ”मैं चाहता हूं कि बड़े पैमाने पर लोग, खासकर कॉरपोरेट क्षेत्र इस बात को समझे. हमें सार्वजनिक क्षेत्र, इसके मानव संसाधन को मान्यता देने की जरूरत है – यह काफी समय से लंबित है.” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सार्वजनिक क्षेत्र लाभ के लिए है और लोगों को इसे लेकर गलतफहमी है. लोग सार्वजनिक क्षेत्र को जवाबदेही से जोड़ते हैं. उन्होंने कहा कि यह लाभ सामाजिक उत्थान में बड़े योगदान के रूप में है.

धनखड़ ने सार्वजनिक क्षेत्र की क्षमता और संभावना पर भरोसा जताते हुए कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र को कृत्रिम मेधा और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी उभरती और नई प्रौद्योगिकियों का पूरा इस्तेमाल करने की कोशिश करनी चाहिए. इसके साथ ही उपराष्ट्रपति ने देश की सुरक्षा और विकास के लिए प्रौद्योगिकी के महत्व पर जोर देते हुए कहा, ”शोध एवं विकास ही तय करेगा कि एक राष्ट्र कितना मजबूत और सुरक्षित होगा.” उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र से शोध एवं विकास में निवेश करने और इस संबंध में संस्थानों को मदद करने का आह्वान किया.

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