डॉलर का प्रिंटआउट ले जाने के कारण नेपाली जेल पहुंचा बंगाल का फोटोग्राफर, रिहाई का इंतजार

कोलकाता. पश्चिम बंगाल के एक फोटोग्राफर के लिए नेपाल की यात्रा बेहद तकलीफदेह हो गई क्योंकि उसे कथित तौर पर 100 अमेरिकी डॉलर के नोट का प्रिंटआउट ले जाने के लिए गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. एक लघु फिल्म की शूंिटग के दौरान इस मुद्रा की जरूरत के मद्देनजर वह इसका प्रिंटआउट ले गए थे.

पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के सल्किया निवासी दुर्लभ रॉय चौधरी (24) नवंबर से ही भारत से सहायता मिलने की बाट जोह रहे हैं. नेपाल में झापा कारगार के वार्ड नंबर-दो से उन्होंने पीटीआई-भाषा को फोन पर कहा कि उन्होंने कुछ भी गैरकानूनी काम नहीं किया है.
कोलकाता में नेपाल के महावाणिज्य दूत ईशोर राज पौडेल से जब पीटीआई-भाषा ने संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस मामले के बारे में कोई जानकारी नहीं है.

पौडेल ने कहा, ‘‘मैं इस बारे में पता लगाऊंगा और अधिकारियों तथा झापा के जिला मजिस्ट्रेट से बात करूंगा. चूंकि यह एक कानूनी मामला है, इसलिए हमें सबूत देखने की जरूरत है. लेकिन मैं आश्वासन दे सकता हूं कि विचाराधीन व्यक्ति के परिवार को हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी.’’ ‘ंिलक्डइन’ के अपने पेज पर ‘नेशनल ज्योग्राफिक’ के ‘कंट्रीब्यूटर’ के रूप में अपनी पहचान बताने वाले फोटोग्राफर ने दावा किया कि उन्हें जेल में बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है. चौधरी ने यह भी कहा कि 24 नवंबर को गिरफ्तारी के बाद उन्हें 20 दिनों तक ‘यातना’ दी गई और उसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पिछले नवंबर में अपनी यात्रा शुरू की थी. प्रत्येक चेकपॉइंट पर, मैंने सुरक्षार्किमयों को अमेरिकी डॉलर के प्रिंटआउट दिखाए जो मेरे पास शूंिटग के लिए थे. उन्होंने मुझे जाने दिया. हालांकि, चंद्रगडी हवाई अड्डे पर मुझे एक कार्यालय ले जाया गया और बाद में मुझे हिरासत में ले लिया गया.’’ चौधरी ने कहा कि वह लगभग अमेरिकी डॉलर के 230 कागजी नोट ले जा रहे थे, जो ‘‘किसी भी तरह से वास्तविक मुद्रा से मेल नहीं खाते थे.’’ फॉरेंसिक जांच की रिपोर्ट में भी इसकी पुष्टि हुई. उन्होंने यह रिपोर्ट पीटीआई के साथ साझा की है.

चौधरी ने कहा, ‘‘मैं अपनी फिल्म ‘मनी इज नॉट एव्रींिथग’ के एक दृश्य की शूंिटग के दौरान इन कागजी मुद्रा का इस्तेमाल करना चाहता था. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझ पर नेपाल में ‘मुद्रा संबंधी कसूर’ का आरोप लगाया जाएगा.’’ चौधरी ने कहा कि नेपाल में भारतीय दूतावास ने भी उनकी बहुत मदद नहीं की. फोटोग्राफर ने कहा, ‘‘मैं हर दिन भारतीय दूतावास में फोन करता रहा लेकिन अधिकारियों ने कहा कि वे ज्यादा कुछ नहीं कर सकते. उन्होंने मुझे केवल एक वकील की मदद मुहैया करा दी है.’’

चौधरी की मां तृप्ति रॉय चौधरी (63) कैंसर से जूझ रही हैं. उन्होंने कहा कि वह अपने बेटे की रिहाई के लिए पिछले कुछ महीनों से दर-दर भटक रही हैं. चौधरी की मां भी अभी नेपाल में हैं जो अदालत में सुनवाई के लिए वहां गई हैं. तृप्ति रॉय ने कहा कि वह न्यायाधीश से उनके बेटे की रिहाई की अपील करेंगी जिसे ‘‘बिना किसी वाजिब कारण के जेल में रखा गया है.’’ तृप्ति रॉय ने कहा, ‘‘मैं मुख्यमंत्री से भी मदद के लिए कहूंगी. मैं कैंसर की मरीज हूं और मेरे बेटे के अलावा घर में कोई नहीं है. मुझे विश्वास है कि मुख्यमंत्री मेरी स्थिति को समझेंगी.’’

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