राष्ट्रपति ने दंड प्रक्रिया पहचान विधेयक को मंजूरी दी

नयी दिल्ली. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दंड प्रक्रिया पहचान विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें किसी अपराध के मामले में गिरफ्तार व्यक्तियों और दोषसिद्ध अपराधियों का रिकॉर्ड रखने के लिये अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग की अनुमति देने का प्रावधान किया गया है. यह कानून वर्ष 1920 के कैदियों की पहचान संबंधी कानून के स्थान पर लाया गया है. लोकसभा में यह विधेयक 4 अप्रैल को और राज्यसभा में 6 अप्रैल को पारित हुआ था .

सरकार के राजपत्र अधिसूचना के अनुसार, ‘‘ संसद के निम्नलिखित कानून को 18 अप्रैल 2022 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई और इसे आम सूचना के लिये प्रकाशित किया जाता है . यह दंड प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम 2022 संख्या 11 है. ’’ इसमें पुलिस को दोषसिद्ध व्यक्तियों और आपराधिक मामलों में गिरफ्तार लोगों के शरीरिक एवं जैविक नमूने लेने के लिये पुलिस को कानूनी अनुमति दी गई है . इसके साथ ही मजिस्ट्रेट को किसी अपराध की जांच में मदद के लिये किसी व्यक्ति के चित्र लेने एवं माप करने का आदेश देने को सशक्त किया गया है.

व्यक्ति के दोष मुक्त होने या बरी किये जाने की स्थिति में सभी सामग्री को नष्ट किया जायेगा. राज्यसभा में इस विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि राजनीतिक मामलों में हिरासत में लिये गए लोगों का बायोमेट्रिक डाटा नहीं लिया जायेगा और ब्रेन मैंंिपग और पॉलीग्राफ टेस्ट को प्रस्तावित कानून के दायरे में नहीं रखा जायेगा.

उन्होंने कहा था कि यह विधेयक किसी डेटा के दुरुपयोग की मंशा से नहीं, बल्कि कानून के हिसाब से जीने वाले लोगों के अधिकारों की सुरक्षा करने एवं अपराधियों को दंडित करके कड़ा संदेश देने के लिए लाया गया है. चर्चा के दौरान कांग्रेस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के सदस्यों ने ब्रिटिश काल के बंदी शिनाख्त कानून की जगह केंद्र सरकार द्वारा लाये जा रहे नये कानून को ‘क्रूर’ और संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया था और दावा किया था कि सरकारी तंत्र द्वारा इसका दुरूपयोग किया जायेगा.

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि बंदी पहचान अधिनियम 1920 दोषसिद्ध और ऐसे अन्य व्यक्तियों की माप एवं फोटो लेने के लिये अधिकृत करने के लिये बनाया गया था . यह अधिनियम अपराध के मामले में दोष सिद्ध और बिना दोष सिद्ध व्यक्तियों के अंगुली एवं पैर की छाप लेने तथा किसी मजिस्ट्रेट के आदेश पर फोटो लेने की अनुमति देने तक ही सीमित है.

इसमें कहा गया है कि दंड प्रक्रिया पहचान विधेयक 2022 ऐसे व्यक्तियों का समुचित शरीरिक माप लेने का विधिक उपबंध करता है. यह अपराध की जांच को अधिक दक्ष बनायेगा और दोषसिद्धि दर में वृद्धि करने में सहायता करेगा. इस विधेयक में दोषियों और अपराध के मामले में गिरफ्तार लोगों का विभिन्न प्रकार का ब्यौरा एकत्र करने की अनुमति देने की बात कही गई है जिसमें अंगुली एवं हथेली की छाप या ंिप्रट, पैरों की छाप, फोटो, आंखों की पुतली, रेटिना और लिखावट के नमूने आदि शामिल हैं.

सीए, लागत लेखाकार, कंपनी सचिव संबंधी कानून में संशोधन को राष्ट्रपति की मंजूरी

चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए), लागत लेखाकार और कंपनी सचिवों से जुड़े कानूनों में संशोधन करने वाले विधेयक को राष्ट्रपति राम नाथ कोंिवद की मंजूरी मिल गई है. यह विधेयक इन तीनों व्यवसायों के शीर्ष संस्थानों के कामकाज के संबंध में पर्याप्त परिवर्तन करने के साथ अधिक पारर्दिशता सुनिश्चित करेगा. इसे पांच अप्रैल को ही संसद ने मंजूरी दे दी थी.

इस संबंध में जारी अधिसूचना के अनुसार चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, लागत और कार्य लेखाकार और कंपनी सचिव (संशोधन) अधिनियम, 2022 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है. अधिसूचना के अनुसार इस विधेयक के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट्स अधिनियम, 1949, लागत और कार्य लेखाकार अधिनियम, 1959 और कंपनी सचिव अधिनियम, 1980 में संशोधन किया है. वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बारे में पांच अप्रैल को राज्यसभा में कहा था, ” मुझे लगता है कि इस विधेयक से तीनों शीर्ष संस्थानों के कामकाज में अधिक पारर्दिशता लाने और गुणवत्ता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी.”

राष्ट्रपति ने दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक को मंजूरी दी
राष्ट्रपति रामनाथ कोंिवद ने ‘दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक 2020’ को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें दिल्ली के तीन नगर निगमों के एकीकरण का प्रावधान किया गया है. इस विधेयक को लोकसभा ने 30 मार्च और राज्यसभा ने 5 अप्रैल को मंजूरी प्रदान कर दी थी .

केंद्र की ओर से जारी राजपत्र अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘ संसद के निम्नलिखित कानून को 18 अप्रैल 2022 को राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त हुई और इसे आम सूचना के लिये प्रकाशित किया जाता है. यह दिल्ली नगर निगम संशोधन अधिनियम 2022 संख्या 10 है. ’’ विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, दिल्ली के तीन नगर निगमों के एककीकरण का मकसद संसाधनों का अधिकतम उपयोग, समन्वय एवं रणनीतिक योजना सुनिश्चित करना है.

विधेयक पर राज्यसभा में चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली की आप सरकार पर तीन नगर निगमों के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि वह निगमों को प्रताड़ित कर रही है और इससे दिल्ली की जनता पीड़ित हो रही है. उन्होंने कहा था कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 239 (एए) के तहत प्रदत्त अधिकार के माध्यम से लाया गया है जिसमें कहा गया है कि संसद को दिल्ली के संघ राज्य क्षेत्र से जुड़े किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार प्राप्त है.

शाह ने कहा था कि दिल्ली के पांचवें वित्त आयोग ने तीन निगमों को करीब 40,500 करोड़ रुपये देने की अनुशंसा की थी लेकिन दिल्ली सरकार ने उसमें काफी कटौती कर दी. इस कानून में कहा गया है कि निगम में पार्षदों की कुल संख्या और अनुसूचित जाति समुदायों के लिये आरक्षित सीटों की संख्या का निर्धारण निगम के गठन के समय केंद्र सरकार द्वारा किया जायेगा . इसमें सीटों की संख्या 250 से कम नहीं होगी . पूर्ववर्ती निगमों की सारी चल और अचल सम्पत्ति दिल्ली नगर निगम में समाहित हो जायेगी. वहीं, विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों के अनुसार, सरकार देश की राजधानी में नागरिक सेवाएं प्रदान करने तथा वित्तीय कठिनाइयों एवं क्रियाशील अनिश्चितताओं को दूर करने के प्रयास के तहत दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक 2022 लाई है.

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