संकट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था, उचित एमएसपी है समाधान: कांग्रेस

पतंजलि के 'भ्रामक विज्ञापनों' पर सरकार आंख मूंदकर बैठी रही: कांग्रेस

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने मंगलवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भले ही अपनी ‘गारंटी’ का बखान करें लेकिन सच्चाई यह है कि आज ग्रामीण अर्थव्यवस्था संकट में है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के संकट का समाधान यह है कि किसानों को उनकी उपज पर पर्याप्त एवं उचित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिले.

रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”प्रधानमंत्री हाल के दिनों में अपनी गारंटियों का बखान कुछ ज़्यादा ही कर रहे हैं. उन्होंने 2017 में 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की गारंटी दी थी.” उन्होंने कहा, ” ग्रामीण अर्थव्यवस्था वास्तव में कैसा प्रदर्शन कर रही है, इस पर एक नज.र डालिए: 50 से अधिक वर्षों में पहली बार, 2011-12 और 2017-18 के बीच ग्रामीण इलाकों में वास्तविक उपभोक्ता व्यय में 8.8 प्रतिशत की गिरावट आई. 2019-20 और 2023-24 के बीच, वास्तविक ग्रामीण मजदूरी की वार्षिक वृद्धि दर कृषि (-0.6 प्रतिशत) और गैर-कृषि (-1.4 प्रतिशत) दोनों ही कार्यों के लिए नकारात्मक थी.”

कांग्रेस महासचिव ने दावा किया, ”भारत में ट्रैक्टर की बिक्री ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति को दर्शाने वाला एक मुख्य संकेत होता है. ट्रैक्टर की बिक्री में इस वित्तीय वर्ष के पहले 9 महीनों में पश्चिम और दक्षिण के प्रमुख राज्यों में भारी गिरावट देखी गई है. इसकी कुल बिक्री चार प्रतिशत कम हुई है. ट्रैक्टर की बिक्री में साल-दर-साल 4-5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है.” रमेश के मुताबिक, दोपहिया वाहनों की बिक्री में भी गिरावट आई है जो बढ़ती ग.रीबी का संकेत है. उन्होंने कहा कि दोपहिया वाहन की बिक्री 2017-18 की तुलना में 2022-23 में 22 प्रतिशत कम थी.

कांग्रेस नेता ने दावा किया, ”इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि वास्तविक मजदूरी में गिरावट और उपभोक्ता व्यय में गिरावट के साथ भारत के ग्रामीण क्षेत्र वास्तविक आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. प्रधानमंत्री ‘गारंटी’ नहीं, ‘जुमले’ देते हैं.” रमेश ने कहा, ”ग्रामीण संकट के समाधान के लिए सबसे महत्वपूर्ण नीतिगत पहल कृषि उपज के लिए पर्याप्त और उचित एमएसपी है. यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी ने अपने किसान न्याय एजेंडे के तहत एमएसपी को किसानों के लिए कानूनी अधिकार बनाने का फ.ैसला किया है. फसलों की कीमतें स्वामीनाथन आयोग द्वारा बताए गए फॉर्मूले के आधार पर निर्धारित की जाएंगी.”

उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, ”जुमला सरकार डॉ. एमएस स्वामीनाथन को ‘भारत रत्न’ तो देगी, लेकिन उनके दृष्टिकोण को लागू नहीं करेगी. कांग्रेस पार्टी उनके सपने को पूरा करेगी और हमारे किसानों को न्याय दिलाएगी. अब जब उनकी ‘वारंटी’ ख.त्म होने वाली है, वो ‘गारंटी’ दे रहे हैं. कमाल है.”

पतंजलि के ‘भ्रामक विज्ञापनों’ पर सरकार आंख मूंदकर बैठी रही: कांग्रेस

कांग्रेस ने मंगलवार को दावा किया कि केंद्र सरकार ‘पतंजलि’ के ‘भ्रामक एवं झूठे’ विज्ञापनों पर आंख मूंदकर बैठी रही तथा कानूनी प्रावधान हटाकर इस कंपनी की मदद की गई. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह आरोप उस वक्त लगाया, जब उच्चतम न्यायालय ने योग गुरु रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के उत्पादों के बारे में अदालत में दिये गए हलफनामे और उनके औषधीय प्रभाव का दावा करने वाले बयानों के प्रथम दृष्टया उल्लंघन को लेकर मंगलवार को उसे कड़ी फटकार लगाई.

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति ए. अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद एवं इसके प्रबंध निदेशक को नोटिस जारी किया तथा पूछा कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों न की जाए. रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”2002 का जैव विविधता अधिनियम एक ऐतिहासिक और परिवर्तनकारी कानून था. जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अनुरूप इसने भारत की जैव विविधता की सुरक्षा सुनिश्चित की. इस कानून ने एक और महत्वपूर्ण काम किया. इसने जैविक संसाधनों का उपयोग करके उत्पाद बेचने वाली कंपनियों और स्थानीय समुदायों के बीच उचित और न्यायसंगत लाभ साझेदारी (एफईबीएस) को अनिवार्य किया.” उनके मुताबिक, जैव विविधता संसाधनों का उपयोग करके उत्पाद बेचने वाली कंपनियों पर लगाया जाने वाला शुल्क आम तौर पर बिक्री का केवल 0.1-0.5 प्रतिशत होता है.

रमेश ने दावा किया, ”मोदी सरकार ने एक जानेमाने कारोबारी और योग गुरू, जिन्होंने भाजपा का समर्थन किया है, उनके कहने पर ‘आयुष चिकित्सकों और संहिताबद्ध पारंपरिक ज्ञान तक पहुंच रखने वाले लोगों के लिए एफईबीएस प्रावधान को हटा दिया है. संहिताबद्ध पारंपरिक ज्ञान की परिभाषा के अनुसार इसने पतंजलि जैसी कंपनियों के लिए स्थानीय समुदायों को उनके संसाधनों से प्राप्त व्यावसायिक लाभों से वंचित करने के द्वार खोल दिए हैं.” उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी ‘मोदी सरकार की बेईमानी’ पर संज्ञान लिया है.

कांग्रेस नेता का कहना है, ”यह देखा गया कि पतंजलि द्वारा किए गए घोर “भ्रामक और झूठे” विज्ञापन के बावजूद मोदी सरकार “अपनी आंखें बंद करके बैठी” थी. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) कई वर्षों से इनके भ्रम फ.ैलाने वाले विज्ञापन का मुद्दा उठा रहा है. आईएमए ने खासतौर पर इस मुद्दे को उठाया कि यह अक़्सर एलोपैथिक चिकित्सा और चिकित्सकों को निशाना बनाते हैं.” उन्होंने आरोप लगाया, ”अपने राजनीतिक और वित्तीय लाभ के लिए, मोदी सरकार किसी भी समुदाय के साथ विश्वासघात कर सकती है, चाहे वह एलोपैथिक डॉक्टर हों या आदिवासी समुदाय. ‘मोदानी’ तो पहले से ही एक जाना-माना कारोबारी नाम है. इसे अब ‘मोदांजलि’ से कुछ प्रतिस्पर्धा मिलनी शुरू हो गयी है!”

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