सत्यपाल मलिक और कपिल सिब्बल ने EVM को लेकर जताई चिंता, वीपीपैट पर्चियों की गिनती की मांग

नयी दिल्ली. जम्मू-कश्मीर राज्य के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने शुक्रवार को कहा कि उनको डर है कि जब तक मौजूदा स्वरूप में ईवीएम का इस्तेमाल चुनावों में किया जाता रहेगा तब तक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता में बनी रहेगी. उन्होंने इसी के साथ वीवीपैट र्पिचयों की गिनती की भी मांग की.

भाजपा सरकार के मुखर आलोचक रहे मलिक ने राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल के यूट्यूब कार्यक्रम ‘दिल से’ पर बातचीत में कहा, ”विपक्ष को चुनावों में ईवीएम के इस्तेमाल को एक बड़ा मुद्दा बनाना चाहिए और आरोप लगाया कि चुनाव आयोग इस मामले को नहीं देख रहा है क्योंकि ‘वह दबाव’ में है.” यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब कई विपक्षी नेताओं ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की कार्यप्रणाली की निष्पक्षता पर संदेह व्यक्त किया है और मांग की है कि वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) र्पिचयां मतदाताओं को सौंपी जाएं, जो उन्हें अलग डिब्बे में डालें.

ईवीएम पर जयराम रमेश की चिंताओं को खारिज करते हुए चुनाव आयोग ने ” चुनावों में ईवीएम के उपयोग को लेकर पूर्ण विश्वास” व्यक्त किया. सिब्बल ने सवाल किया कि क्या भाजपा को अपने लिए अनुमानित सीटें मिलने की चिंता है. इसके जवाब में मलिक ने कहा, ”मैं आपको बताना चाहता हूं कि जब तक यह मशीन प्रणाली खत्म नहीं हो जाती, तब तक भाजपा को सत्ता से नहीं हटाया जा सकता. विपक्ष को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए.” सिब्बल ने कहा कि चुनाव आयोग (ईसी) संदेह जताने वालों से पूछ रहा है कि ईवीएम में हेरफेर कैसे किया जा सकता है? इस पर मलिक ने कहा कि कई लोगों ने ऐसा किया है और दावा किया कि उन्होंने एक आदमी को ऐसा करते देखा है.

मलिक ने चुनाव आयोग से सवाल किया, ”चुनाव आयोग की उक्त मांग गलत है. जब हमें इस पर संदेह होता है और संदेह है; तो आप मतपत्र से चुनाव क्यों नहीं कराते?” सिब्बल ने तर्क दिया कि मत देने का अधिकार लोकतंत्र का आधार है और अगर कोई मशीन जनादेश का फैसला करती है तो यह असंवैधानिक है.

पूर्व कांग्रेस नेता ने कहा, ”यदि मुझे कोई संदेह है और मैं जानना चाहता हूं कि मेरा मत वांछित व्यक्ति को गया है या नहीं, तो यह जानना मेरा संवैधानिक अधिकार है. निर्वाचन आयोग इस बात से सहमत नहीं है और अदालत भी इससे सहमत नहीं है.” सिब्बल ने कहा, ”मैं यह नहीं कह सकता कि हेरफेर होता है, लेकिन अगर लोगों को संदेह है तो इसमें (वीवीपैट र्पिचयों की गिनती में)नुकसान क्या है.” दोनों नेता इस बात पर सहमत थे कि वीवीपैट र्पिचयों को मतदाताओं को सौंप दिया जाना चाहिए ताकि वे इन्हें मतपेटियों में डाल सके और उनकी बाद में गिनती की जा सके.

यह पूछे जाने पर कि चुनाव आयोग ईवीएम पर उठाई गई चिंताओं पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है तो मलिक ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ‘दबाव में’ है और सुझाव दिया कि विपक्ष को इसे एक बड़ा मुद्दा बनाना चाहिए. सिब्बल ने जब विपक्षी ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया गठबंधन)के बारे में पूछा तो मलिक ने कहा कि उसे एकजुट होकर काम करने की जरूरत है और बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार को गठबंधन का संयोजक बनाने की मांग जैसे छोटे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए.

मलिक ने कहा कि विपक्षी गठबंधन अभी भी एकजुट होकर काम कर सकता है. उन्होंने कहा, ”पांच दिन भी काफी हैं. अगर वे सही तरीके से काम करें तो चीजें बदल जाएंगी.” सिब्बल के साथ करीब 40 मिनट की परिचर्चा के दौरान मलिक ने पुलवामा हमले, संसद से विपक्षी सांसदों के निलंबन और अनुच्छेद 370 को हटाए जाने जैसे मुद्दों पर भी बात की. मलिक ने उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की ‘नकल उतारने’ से उत्पन्न को लेकर कहा कि इसमें कोई जातिगत कोण नहीं है और उनका समुदाय हास्य और नकल को कभी बुरा नहीं मानता. मलिक स्वयं जाट समुदाय के हैं.

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