न्यायालय ने स्वर्ण पदक विजेता को नौकरी से इनकार पर हिमाचल सरकार को फटकार लगाई
नयी दिल्ली. खेल कोटे के तहत एशियाई खेलों के एक स्वर्ण पदक विजेता को कथित रूप से नौकरी देने से इनकार करने पर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को हिमाचल प्रदेश सरकार से पूछा कि क्या आप इस तरह से खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करते हैं? न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस बात पर आपत्ति जताई कि 2014 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक विजेता पूजा ठाकुर को अपनी नौकरी के लिए वर्षों तक दर-दर भटकना पड़ा.
पीठ ने कहा, ”क्या इस तरह से आप खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करते हैं? किसी ने 2014 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता है, आपके मुख्यमंत्री को व्यावहारिक दृष्टिकोण रखना चाहिए… खिलाड़ियों के प्रति राज्य का ये दृष्टिकोण है?” शीर्ष अदालत ने हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा आबकारी एवं कराधान अधिकारी के पद पर ठाकुर की नियुक्ति के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया, जो जुलाई 2015 में मुख्यमंत्री को उनके आवेदन की तिथि से प्रभावी थी.
ठाकुर ने 2014 में दक्षिण कोरिया के इंचियोन में आयोजित एशियाई खेलों के दौरान कबड्डी में स्वर्ण पदक जीता था. उन्होंने 2015 के राष्ट्रीय खेलों में भी रजत पदक जीता था. राज्य सरकार ने अपनी अपील में उच्च न्यायालय की खंडपीठ के 2023 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें ठाकुर की इस पद पर नियुक्ति के एकल न्यायाधीश के आदेश को बरकरार रखा गया था. उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य के अधिकारी इस बात से खुश नहीं थे कि ठाकुर ने कथित तौर पर दो मूल आवेदन दाखिल करके प्रथम श्रेणी के पद पर नियुक्ति के लिए उससे संपर्क किया और वे इससे नाराज थे.