सिद्धरमैया कर्नाटक में कांग्रेस विधायक दल के नेता चुने गए, पेश किया सरकार बनाने का दावा

बेंगलुरु/नयी दिल्ली. कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बृहस्पतिवार को हुई एक बैठक में औपचारिक रूप से सिद्धरमैया को नेता और कर्नाटक का मुख्यमंत्री चुना गया, जिसके बाद सिद्धरमैया ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया. कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि सिद्धरमैया मुख्यमंत्री होंगे, जबकि प्रदेश पार्टी अध्यक्ष डीके शिवकुमार एक मात्र उपमुख्यमंत्री होंगे.

यहां इंदिरा गांधी भवन में हुई कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायकों, विधान परिषद सदस्यों और सांसदों की बैठक में एआईसीसी के महासचिव रणदीप ंिसह सुरजेवाला और दो अन्य केंद्रीय पर्यवेक्षकों- महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार ंिशदे और एआईसीसी महासचिव जितेंद्र ंिसह- ने भी भाग लिया. सुरजेवाला के अनुसार, शिवकुमार ने कर्नाटक में कांग्रेस विधायक दल के नए नेता के रूप में सिद्धरमैया को चुनने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया. कांग्रेस पार्टी के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से इसका समर्थन किया.

इसके बाद सिद्धरमैया ने शिवकुमार और अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ यहां राजभवन में राज्यपाल थावरचंद गहलोत से मुलाकात की और राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया. सिद्धरमैया और शिवकुमार 20 मई को दोपहर साढ़े 12 बजे मनोनीत मंत्रियों के समूह के साथ शपथ लेंगे. चुनाव परिणामों की घोषणा के एक दिन बाद 14 मई को सीएलपी की बैठक हुई थी जिस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को नए मुख्यमंत्री का फैसला करने के लिए अधिकृत करते हुए एक पंक्ति का प्रस्ताव पारित किया गया था.

उस दिन आए तीन केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने भी विधायकों की राय ली थी, जिसे उन्होंने खरगे के साथ साझा किया था. राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए 10 मई को हुए चुनावों में कांग्रेस ने 135 सीटें जीतकर जोरदार जीत हासिल की जबकि सत्तारूढ़ भाजपा और पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा के नेतृत्व वाले जनता दल (सेक्युलर) ने क्रमश? 66 और 19 सीटें हासिल कीं.

सिद्धरमैया के सामने मंत्रिमंडल गठन, चुनावी वादों को पूरा करने की चुनौती

कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनने जा रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धरमैया के सामने कई चुनौतियां रहेंगी, जिनमें मंत्रिमंडल गठन, विभागों का बंटवारा और पांच ‘गारंटी’ के वादे को पूरा करना प्रमुख हैं. सिद्धरमैया को पार्टी सहयोगी और उपमुख्यमंत्री बनने जा रहे डी.के. शिवकुमार को भी साथ लेकर चलना होगा.

शपथ लेने के बाद सिद्धरमैया के सामने जो पहली चुनौती है, वह एक ऐसा मंत्रिमंडल गठित करना है, जिसमें सभी समुदायों, क्षेत्रों और गुटों के अलावा नए और पुरानी पीढ़ी के विधायकों को साधा जा सके. कर्नाटक मंत्रिमंडल में अधिकतम 34 मंत्री हो सकते हैं और ऐसे में कई विधायक मंत्री बनने के इच्छुक हैं, जिसके चलते सिद्धरमैया के हाथ में एक कठिन कार्य होगा.

पार्टी सूत्रों के अनुसार, 10 मई को हुए विधानसभा चुनावों में सभी प्रमुख समुदायों ने बड़े पैमाने पर पार्टी का समर्थन किया है, ऐसे में स्वाभाविक रूप से हर एक की आकांक्षाएं होंगी और सिद्धरमैया को सभी को साथ लेकर चलने की चुनौती होगी. उपमुख्यमंत्री पद के लिए कई दावेदार थे. हालांकि, कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि शिवकुमार ही उपमुख्यमंत्री होंगे. इससे पार्टी के कई वरिष्ठ नेता नाराज हैं. वरिष्ठ कांग्रेस नेता जी परमेश्वर ने आज पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को आगाह किया कि यदि उपमुख्यमंत्री पद किसी दलित को नहीं दिया गया तो उसकी प्रतिकूल प्रतिक्रिया होगी और पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी होगी.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ मैं मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री दोनों ही पदों का आकांक्षी था लेकिन अब हमें आलाकमान के फैसले का पालन करना है, इसलिए यह देखना है कि वे आने वाले दिनों में क्या करेंगे. फिलहाल उन्होंने दो के लिए घोषणा की है और हमें यह देखना एवं इंतजार करना होगा कि वे कैसे मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान न्याय करेंगे.’’ ंिलगायत के 39 विधायक, वोक्कालिगा के 21, अनुसूचित जाति के 22, अनुसूचित जनजाति के 15, मुस्लिम के नौ और कुरुबा के आठ विधायक समेत अन्य भी कर्नाटक मंत्रिमंडल में प्रमुख भूमिका की मांग कर रहे हैं.

कांग्रेस सरकार के शपथग्रहण समारोह में शामिल होंगे कई प्रमुख विपक्षी नेता

कर्नाटक में 20 मई को होने वाले कांग्रेस सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में कई प्रमुख विपक्षी नेता शामिल हो सकते हैं, हालांकि इसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरंिवद केजरीवाल, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती को आमंत्रित नहीं किया गया है.

सिद्धरमैया 20 मई को कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. उनके साथ डी.के. शिवकुमार भी शपथ लेंगे जो इस सरकार में उप मुख्यमंत्री होंगे. कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, नेशनल कांफ्रेस के नेता फारूक अब्दुल्ला, बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे और कुछ अन्य विपक्षी नेताओं को आमंत्रित किया गया है. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इन नेताओं को आमंत्रित किया है.

सूत्रों ने यह भी बताया कि बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती, भारत राष्ट्र समिति के प्रमुख केसीआर और आम आदमी पार्टी के संयोजक केजरीवाल को न्यौता नहीं भेजा गया है. बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को भी आमंत्रित नहीं किया गया है.
पश्चिम बंगाल राज्य सचिवालय से जुड़े सूत्रों ने कहा है कि ममता बनर्जी सिद्धरमैया के शपथ ग्रहण समारोह से दूर रह सकती हैं और वह अपने स्थान पर किसी प्रतिनिधि को भेज सकती हैं. कांग्रेस विपक्ष के प्रमुख नेताओं को आमंत्रित करके विपक्षी एकजुटता का संदेश देने की तैयारी में है.

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा ने कांग्रेस की ओर से निमंत्रण मिलने की पुष्टि की है. कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने संवाददाताओं को बताया कि शपथ ग्रहण समारोह के लिए समान विचारधारा वाले दलों के नेताओं को आमंत्रित किया गया है.

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