स्वर्ण मंदिर के बाहर सुखबीर बादल बाल-बाल बचे, गोली चलाने का आरोपी पूर्व खालिस्तानी आतंकवादी गिरफ्तार
पंजाब पुलिस के एक सतर्क एएसआई ने कैसे की सुखबीर बादल की हत्या की कोशिश विफल
अमृतसर/चंडीगढ़. पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के बाहर बुधवार को शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल पर एक पूर्व खालिस्तानी आतंकवादी ने गोली चलाई, लेकिन वहां सादा कपड़ों में मौजूद एक पुलिसकर्मी द्वारा आरोपी को पकड़ लिए जाने से उसका निशाना चूक गया और बादल बाल-बाल बच गए.
पंजाब में शिअद सरकार द्वारा 2007 से 2017 तक की गई ”गलतियों” के लिए स्वर्ण मंदिर में ‘सेवादार’ के रूप में बादल की सजा का यह दूसरा दिन था, जिसे ‘कवर’ करने पहुंचे मीडियार्किमयों के कैमरे में हमले का पूरा दृश्य ‘रिकॉर्ड’ हो गया. गोली चलाने वाले की पहचान पूर्व आतंकवादी नारायण सिंह चौरा के रूप में हुई है. घटना की प्रसारित तस्वीरों में दिखता है कि आरोपी धीरे-धीरे बादल (62) की ओर बढ़ा और अपनी जेब से हथियार निकाला. बादल को ‘जेड प्लस’ श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है और पैर में ‘फ्रैक्चर’ के कारण वह व्हीलचेयर पर बैठकर सजा के रूप में अपनी सेवा कर रहे थे. चौरा (68) को मंगलवार को भी स्वर्ण मंदिर में देखा गया था.
सादा कपड़ों में बादल के पास खड़े सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) जसबीर सिंह ने वरिष्ठ अकाली नेता पर खतरे को भांप लिया और हमलावर पर झपट पड़े तथा उसका हाथ पकड़कर ऊपर की ओर धकेल दिया. इसके बाद अन्य सुरक्षार्किमयों और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) कार्यबल के सदस्यों की मदद से हमलावर को काबू कर लिया गया. इस झड़प के दौरान हथियार से गोली चल गई और गोली सुखबीर बादल के पीछे स्थित धर्मस्थल की प्रवेश दीवार पर लगी. शिअद नेता बाल-बाल बच गए.
अतिरिक्त उपायुक्त हरपाल सिंह ने बताया कि पुलिस चौरा पर नजर रख रही थी, जो मंगलवार को भी स्वर्ण मंदिर आया था. विशेष पुलिस महानिदेशक अर्पित शुक्ला ने बताया कि चौरा के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम सहित 20 से अधिक मामले दर्ज हैं. शुक्ला ने कहा कि वह 2004 में बुड़ैल जेल से कैदियों के फरार होने के मामले में संलिप्त था और उसने आतंकवादी जगतार सिंह हवारा, परमजीत सिंह भियोरा तथा दो अन्य की जेल से भागने में मदद की थी. चौरा गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक के चोरा बाजवा गांव का निवासी है और जमानत पर बाहर है. आरोपी की पत्नी ने संवाददाताओं को बताया कि चौरा ने उनसे कहा था कि वह स्वर्ण मंदिर जा रहा है. उसने बताया कि उसका पति गुरदासपुर, अमृतसर, लुधियाना और चंडीगढ़ की जेलों में कैद रहा है तथा उसने जो कुछ भी किया है, वह गलत है.
अमृतसर के पुलिस आयुक्त गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने कहा कि पुलिस की सतर्कता के कारण बादल पर हमला विफल कर दिया गया. उन्होंने बताया कि हमले की वजह जानने के लिए पुलिस चौरा से पूछताछ कर रही है. भुल्लर ने बताया कि हमलावर स्वर्ण मंदिर में अकेला आया था. उन्होंने कहा कि मामले की सभी कोणों से जांच की जाएगी.
सुखबीर सिंह बादल पंजाब के पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके प्रकाश सिंह बादल के बेटे हैं और उन्होंने हाल ही में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा की थी. वह अगस्त 2009 से मार्च 2017 तक पंजाब के उपमुख्यमंत्री थे. भुल्लर ने एक सवाल के जवाब में कहा कि स्वर्ण मंदिर में सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था है. उन्होंने कहा कि धार्मिक भावनाओं के कारण पुलिस तलाशी नहीं ले सकती.
उन्होंने कहा, ”एक सहायक महानिरीक्षक के नेतृत्व में वहां लगभग 175 पुलिस र्किमयों को परिसर में तैनात किया गया है.” सिखों के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक स्वर्ण मंदिर के प्रवेश द्वार पर श्रद्धालुओं की तलाशी नहीं ली जाती. इसमें चार प्रवेश द्वार हैं. किसी भी प्रवेश द्वार पर मेटल डिटेक्टर नहीं लगाया गया है. हालांकि, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने अपने कार्यबल के सदस्यों को तैनात किया है जो संदिग्ध व्यक्तियों पर नज.र रखते हैं. अगर उन्हें कोई संदिग्ध व्यक्ति मिलता है, तो वे उसकी जांच कर सकते हैं.
स्वर्ण मंदिर में 1980 के दशक में हिंसक घटनाएं हुई थीं. सेना ने वहां से आतंकवादियों को खदेड़ने के लिए जून 1984 में ऑपरेशन ‘ब्लूस्टार’ भी किया था. राष्ट्रीय सुरक्षा गारद ने अप्रैल 1986 में स्वर्ण मंदिर में छिपे चरमपंथियों और आतंकवादियों के खिलाफ ‘ऑपरेशन ब्लैक थंडर-1’ चलाया था तथा 2 मई 1988 को ‘ऑपरेशन ब्लैक थंडर-2’ को अंजाम दिया गया था.
खालिस्तान समर्थक आतंकवादी राज्य में अनेक हमलों में शामिल रहे हैं, जिनमें 1995 में मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या भी शामिल है.
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बादल पर हमले की निंदा की और कहा कि पूरी घटना की निष्पक्ष जांच की जाएगी, जबकि विपक्षी दलों ने राज्य में कानून-व्यवस्था ‘ध्वस्त’ होने का आरोप लगाते हुए उनके इस्तीफे की मांग की.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, ”आज स्वर्ण मंदिर में जो घटना हुई है, उसने देश के हर व्यक्ति और हर देशभक्त को झकझोर कर रख दिया है. पंजाब सरकार को इसका जवाब देना होगा.” आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बादल पर हमले की निंदा की और भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि बहुत बड़ी शक्तियां पंजाब और राज्य के लोगों को बदनाम करने की साजिश कर रही हैं.
कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने कहा कि पंजाब में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई है. शिअद के वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा ने इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री मान के इस्तीफे और घटना की न्यायिक जांच की मांग की. सहायक पुलिस निरीक्षक (एएसआई) जसबीर सिंह के साहसी कार्य की हर तरफ से प्रशंसा हो रही है. उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि वह केवल अपना कर्तव्य निभा रहे थे.
वरिष्ठ शिअद नेता और पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि एएसआई जसबीर सिंह 2002 से सुखबीर बादल की सुरक्षा में तैनात हैं और वह उनके परिवार का हिस्सा हैं. उन्होंने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए पूछा कि जब उन्हें चौरा की मौजूदगी के बारे में पता था तो कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई.
मजीठिया ने दावा किया, ”अगर पुलिस इतनी सतर्क थी, तो उसने उसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया? इसके बजाय, पुलिस ने उसे वीआईपी जैसी तवज्जो दी और शायद वह गोली चलने का इंतजार कर रही थी.” बादल सिखों की धार्मिक संस्था अकाल तख्त द्वारा घोषित धार्मिक दंड भुगत रहे थे, क्योंकि उन्होंने अपनी ”गलतियों” को स्वीकार कर लिया था, जिसमें पंजाब में शिअद के शासन के दौरान 2007 में ईशनिंदा मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को माफ करना भी शामिल था. अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि यह बादल पर हमला नहीं बल्कि स्वर्ण मंदिर के बाहर अपना कर्तव्य निभा रहे सेवादार पर हमला है.
एसजीपीसी प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि पवित्र मंदिर में धार्मिक सेवा करते समय बादल को ”निशाना बनाना अत्यंत दुखद और अनैतिक है.” शिरोमणि अकाली दल के नेता एक हाथ में भाला थामे और नीली ‘सेवादार’ वर्दी पहने दूसरे दिन भी स्वर्ण मंदिर के प्रवेश द्वार पर बैठे रहे. उनके गले में एक छोटा सा बोर्ड लटका हुआ था, जिस पर उनकी ‘गलती’ की बात लिखी हुई थी.
घटना के बाद बादल की पत्नी और बठिंडा की सांसद हरसिमरत कौर बादल अपने पति से मिलने स्वर्ण मंदिर पहुंचीं. मान ने हमलावर को पकड़ने में पुलिस की तत्परता की सराहना की और इसे ”बड़ी सफलता” बताया. उन्होंने कहा, ”पंजाब पुलिस ने आज एक बड़ी घटना को रोक दिया. यह पंजाब पुलिस की तत्परता का ही नतीजा है कि पंजाब और पंजाबियों को बदनाम करने की साजिश नाकाम हो गई.”
पंजाब पुलिस के एक सतर्क एएसआई ने कैसे की सुखबीर बादल की हत्या की कोशिश विफल
अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के बाहर शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल पर बुधवार को जानलेवा हमले का प्रयास किया गया लेकिन पंजाब पुलिस के एक सतर्क सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) की त्वरित कार्रवाई से वह बाल बाल बच गए. स्वर्ण मंदिर के प्रवेश द्वार पर सादे कपड़ों में बादल के बिल्कुल करीब खड़े एएसआई जसबीर सिंह को जैसे ही अकाली दल नेता बादल की जान पर खतरे का अहसास हुआ, वह तुरंत हरकत में आ गये.
टेलीविजन पर प्रसारित वीडियो में नजर आ रहा है कि पूर्व आतंकवादी नारायण सिंह चौरा व्हीलचेयर पर बैठे सुखबीर सिंह बादल की ओर धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है और उसने अचानक अपनी जेब से पिस्तौल निकाल ली. पैर में ‘फ्रैक्चर (हड्डी टूटने)’ के कारण बादल व्हीलचेयर पर बैठे थे. चौरा ने जैसे ही ट्रिगर दबाने की कोशिश की, चौकन्ने सिंह ने उस पर हमला किया, उसके हाथ पकड़े और उसे धकेलकर दूर ले गये. इस हाथापाई में बंदूक चल गई लेकिन सौभाग्य से गोली सुखबीर बादल के पीछे स्थित इस धर्मस्थल की दीवार पर लगी और वह बाल-बाल बच गए.
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के कार्यबल के सदस्यों के साथ मौके पर मौजूद अन्य सुरक्षार्किमयों ने तुरंत हस्तक्षेप किया और चौरा से हथियार छीन लिया. एएसआई सिंह ने अमृतसर में संवाददाताओं से कहा कि वह बस अपना कर्तव्य निभा रहे थे. उन्होंने कहा, ” जब वह (चौरा) आया, तब मैं सतर्क था. जैसे ही उसने अपनी पिस्तौल निकाली, हमने उसे पकड़ लिया एवं हथियार छीन लिया.” पंजाब में शिअद सरकार द्वारा 2007 से 2017 तक की गई ”गलतियों” के लिए स्वर्ण मंदिर में ‘सेवादार’ के रूप में बादल की सजा का यह दूसरा दिन था, जिसे ‘कवर’ करने पहुंचे मीडियार्किमयों के कैमरे में इस दुस्साहिक हमले का पूरा दृश्य ‘रिकॉर्ड’ हो गया. यह हमला सुबह करीब साढ़े नौ बजे हुआ.
इस बीच, अमृतसर के पुलिस आयुक्त गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने सुखबीर पर हुए जानलेवा हमले को विफल करने को लेकर पुलिसर्किमयों की तारीफ की. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने भी हमलावर को पकड़ने में पंजाब पुलिस की तत्परता की प्रशंसा की. विशेष पुलिस महानिदेशक अर्पित शुक्ला ने बताया कि एक सहायक पुलिस महानिरीक्षक, दो पुलिस अधीक्षक, दो पुलिस उपाधीक्षक और 175 पुलिसकर्मी स्वर्णमंदिर में तैनात किये गये हैं.