इंदौर में मंदिर हादसा:शिवराज घटनास्थल पहुंचे, अस्पताल में घायलों से मिले, लोगों ने नारेबाजी की

इंदौर. मध्य प्रदेश के इंदौर में पुरातन बावड़ी पर बनाए गए एक मंदिर की जमीन धंसने से 35 लोगों की मौत को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार जांच के बाद इस हादसे के दोषियों की जिम्मेदारी तय करेगी.
मुख्यमंत्री ने इस हादसे के अगले दिन एक निजी अस्पताल में भर्ती 16 लोगों का हाल-चाल जाना और फिर पटेल नगर के बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में घटनास्थल का दौरा किया. इस दौरान राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी उनके साथ थे.

चौहान ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘प्रशासन ने हादसे की मजिस्ट्रेटी जांच के निर्देश दिए हैं और पुलिस ने प्रकरण भी दर्ज कर लिया है. हम जांच के बाद दोषियों की जिम्मेदारी तय करेंगे और उनके खिलाफ कदम उठाएंगे.’’ मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे राज्यभर में जांच कर पता लगाएं कि किन कुओं और बावड़ियों को असुरक्षित तरीके से ढंककर उन पर निर्माण किया गया है और कौन-से नलकूप खुले रखे गए हैं? उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि इंदौर के मंदिर में हुए हादसे जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो. अगर जांच के दौरान निजी या सरकारी जमीन पर कोई कुआं, बावड़ी या नलकूप खतरनाक हालत में मिला, तो संबंधित भूमि मालिक या अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि मंदिर में रामनवमी पर किए जा रहे हवन के दौरान हुए हादसे के बाद एक शख्स अब तक लापता है और राज्य सरकार की प्राथमिकता उसे ढूंढ निकालना है.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं कल रातभर बचाव अभियान पर नजर रखता रहा और अधिकारियों से इसकी जानकारी लेता रहा.’’ इस बीच, एक वीडियो सामने आया है, जिसमें चौहान, राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव और स्थानीय भाजपा नेताओं के सामने कुछ आक्रोशित लोग हादसे के विरोध में ‘‘मुर्दाबाद-मुर्दाबाद’’, ‘‘हाय-हाय’’ और ‘‘शेम-शेम’’ के नारे लगाते नजर आ रहे हैं. चश्मदीदों ने बताया कि यह नारेबाजी तब हुई, जब मुख्यमंत्री और अन्य लोग हादसे में मारे गए लोगों के शोकसंतप्त परिजनों को सांत्वना देने पहुंचे थे.

इंदौर में मंदिर हादसा : लापता व्यक्ति का शव मिला, मृतक संख्या बढ़कर 36 हुई
इंदौर के पटेल नगर के बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में बृहस्पतिवार को राम नवमी के अवसर पर आयोजित हवन के दौरान पुरातन बावड़ी की छत धंसने की घटना में मरने वालों की संख्या बढ़कर 36 पर पहुंच गई है. प्रशासन के एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.

इंदौर संभाग के आयुक्त (राजस्व) पवन कुमार शर्मा ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘हादसे के बाद लापता एक व्यक्ति का शव बावड़ी से निकाल लिया गया है. अब तक बावड़ी से कुल 36 लोगों के शव निकाले जा चुके हैं.’’ शर्मा ने कहा कि हादसे में घायल 16 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि दो अन्य व्यक्तियों को प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया है. शर्मा के मुताबिक, हादसे के बाद लापता हुए उन सभी लोगों के शव ढूंढे जा चुके हैं, जिनकी गुमशुदगी की जानकारी उनके परिजनों ने प्रशासन को दी थी.

उन्होंने कहा, ‘‘हम अभी खोज अभियान बंद नहीं कर रहे हैं. हम बावड़ी से पूरी गाद बाहर निकालेंगे, ताकि कोई शंका-कुशंका बाकी न रहे.’’ इस बीच, चश्मदीदों ने बताया कि बृहस्पतिवार रात 11:30 बजे के बाद बावड़ी से शवों को निकालकर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेजे जाने का सिलसिला तेज हुआ. थलसेना और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के संयुक्त दल को एक क्रेन और ट्रॉली की मदद से नीचे बावड़ी में उतारा गया, ताकि शवों को बाहर निकाला जा सके.

अधिकारियों ने कहा कि मंदिर के संकरी जगह में बने होने के कारण शुरुआत में बचाव कार्य में बाधा आई. उन्होंने बताया कि मंदिर की एक दीवार को तोड़कर उसके भीतर पाइप डाला गया, जिसके बाद बावड़ी का पानी मोटर से खींचकर बाहर निकाला गया.
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि धार्मिक कार्यक्रम के दौरान मंदिर में पुरातन बावड़ी की छत पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ इकट्ठा हो गई थी.
रहवासियों ने बताया कि मंदिर पुरातन बावड़ी पर छत डालकर बनाया गया था.

बरसों पहले बंद कर दी गई बावड़ी से एक के बाद एक 36 शव निकाले गये
इंदौर के जिस पटेल नगर स्थित मंदिर के नीचे बरसों दबी रही बावड़ी में गिरकर 36 श्रद्धालु काल के गाल में समा गए, वहां अब शोक का चुभने वाला सन्नाटा पसरा है. करीब 24 घंटे चले बचाव अभियान के दौरान बावड़ी से निकाला गया 36वां शव सुनील सोलंकी (52) का था.

स्थानीय नागरिकों ने बताया कि यह हादसा शहर के इतिहास की सबसे भीषण दुर्घटना के रूप में दर्ज हो गया है जिसमें 21 महिलाओं और दो बच्चों ने भी जान गंवाई है. पटेल नगर के बांिशदे उस घड़ी को अब तक नहीं भूल सके हैं, जब बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर की फर्श हवन-पूजन के दौरान कुछ इस तरह धंसी कि ज्यादातर लोगों को अपनी जान बचाने का मौका ही नहीं मिल सका.

मंदिर के पास रहने वाले अनिल भटेवरा (65) ने शुक्रवार को ‘‘पीटीआई-भाषा’’ को बताया,‘‘मंदिर में बृहस्पतिवार 12:00 बजे के आस-पास दुर्घटना हुई. कुछ महिलाएं बदहवास हालत में दौड़कर मेरे पास पहुंचीं और बताया कि कई लोग बावड़ी में गिर गए हैं.’’

भटेवरा ने कहा,‘‘मैं मंदिर के नजदीक ही रहता हूं, लेकिन बावड़ी में गाद इतनी थी कि हमें लोगों के इसमें गिरने की कोई आवाज ही नहीं आई. हम तुरंत मंदिर में पहुंचे और 17-18 लोगों को बावड़ी से बाहर निकाला.’’

उन्होंने बताया कि वर्ष 1972 के दौरान यह बावड़ी पूरी तरह खुली थी और वह इसमें उतरकर नहाते थे. भटेवरा ने बताया,‘‘ ..लेकिन 1983 के आस-पास इस बावड़ी को ढंक दिया गया. हमने इस बावड़ी को ढंके जाने के खिलाफ प्रशासन को आठ-दस बार शिकायत की. एक बार एक अनुविभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) बुलडोजर के साथ भी आए, लेकिन वह लौट गए. हमें पता नहीं कि इस बावड़ी को हादसा होने तक अतिक्रमण से मुक्त क्यों नहीं कराया जा सका.’’

भटेवरा ने कहा कि मंदिर हादसे के दोषियों के खिलाफ जरूर कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन उन्हें इस बात का सबसे ज्यादा दु:ख है कि उन्होंने अपने मोहल्ले को लोगों को रामनवमी के उस दिन खो दिया, जब वहां धार्मिक उल्लास का माहौल था.

पटेल नगर रहवासी संघ के अध्यक्ष कांतिभाई पटेल ने बृहस्पतिवार को बताया था कि उनके सूचना देने के बावजूद एम्बुलेंस और बचाव दल एक घंटे तक मौके पर नहीं पहुंचा. उन्होंने बताया कि हादसे के बाद पटेल नगर के रहवासियों ने बचाव का मोर्चा संभाला, लेकिन उनके पास बावड़ी में गिरे लोगों को बाहर निकालने के लिए पर्याप्त साधन नहीं थे.

इसकी बानगी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो से मिलती है जिसमें एक व्यक्ति महिला को रस्सी से बांधकर उसे बावड़ी से बाहर निकालने की कोशिश कर रहा है, लेकिन रस्सी टूट जाती है और महिला एक चीख के साथ दोबारा बावड़ी में गिर पड़ती है. मंदिर के आस-पास जुटे कई क्षेत्रीय नागरिक यह शिकायत भी करते दिखाई दिए कि प्रशासन हादसे की भीषणता का सही अंदाजा नहीं लगा सका और उसने बचाव के लिए थल सेना को बुलाने का फैसला घंटों के विलम्ब से किया.

इसके साथ ही, इंदौर संभाग के आयुक्त (राजस्व) पवन कुमार शर्मा ने मीडिया को बताया कि अगले कुछ दिनों तक इस बावड़ी के आस-पास लोगों को आने की इजाजत नहीं दी जाएगी और वहां पुलिस का पहरा रहेगा. उन्होंने बताया,‘‘हम इस बावड़ी से पूरी गाद बाहर निकालेंगे. फिर मलबा डालकर इसे हमेशा के लिए बंद कर दिया जाएगा ताकि दोबारा हादसा होने की कोई आशंका ही नहीं रहे.’’

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