सेना में पदोन्नति की ललक ने साबले को बनाया ‘रिकॉर्डतोड’ स्टीपलचेज धावक

नयी दिल्ली: हाल ही में मोरक्को में आयोजित प्रतिष्ठित डायमंड लीग मीट में 3000 मीटर स्टीपलचेज में आठवीं बार अपना ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ने वाले भारतीय स्टीपलचेज धावक अविनाश साबले ने कहा कि शुरुआती दिनों में इस खेल में शीर्ष पर रहने का उनका मकसद राष्ट्रीय स्तर का पदक जीतकर सेना में पदोन्नति करना था।

महाराष्ट्र के बीड जिले के रहने वाले सेना के 27 साल के साबले ने बीते रविवार (पांच जून)  को दुनिया के शीर्ष खिलाड़ियों के बीच आठ मिनट 12.48 सेकेंड का समय लिया। उन्होंने इससे पहले मार्च में तिरूवनंतपुरम में इंडियन ग्रां प्री के दौरान आठ मिनट 16.21 सेकेंड के अपने पिछले राष्ट्रीय रिकॉर्ड में तीन सेकंड से अधिक का सुधार किया।

अमेरिका के कोलोराडो में आगामी विश्व चैम्पियनशिप और राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी कर रहे साबले ने आॅनलाइन सत्र में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि शुरुआत में उनका मकसद कोई रिकॉर्ड बनना या दुनिया भर के प्रतियोगिताओं में भाग लेने की जगह सेना में नौकरी के दौरान पदोन्नति करना था।

उन्होंने कहा, ‘‘ शुरुआत में मेरा मकसद राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीतकर सेना में पदोन्नति लेना था। आमतौर पर यह धारणा रहती है कि अगर आप राष्ट्रीय प्रतियोगिताओ पदक जीतते है तो आपको पदोन्नति का मौका मिलता है लेकिन जब मैंने पहली बार राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया तो मेरी सोच बदल गयी और मैंने खेल में अधिक जोखिम लेने का मन बनाया जो फायदे मंद रहा। ’’ विश्व चैंपियनशिप में क्वालीफाई करने वाले भारत के पहले पुरुष एथलीट अविनाश ने कहा कि अमेरिका में  अभ्यास करने से उनके खेल में काफी सुधार हुआ है। आने वाले समय में उनका प्रदर्शन और बेहतर होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘यहां अभ्यास करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप विश्व के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के साथ तैयारी करते है। भारत में ऐसा संभव नहीं है। भारत में मुझे अकेले ही अभ्यास करना पड़ता है क्योंकि वहां इस स्तर का कोई और खिलाड़ी नहीं है।’’ साबले अपनी सफलता का श्रेय दिवंगत कोच निकोलाई स्रेसारेव को भी देते है। उन्होंने कहा कि स्रेसारेव ने उन्हें काफी पहले ही विदेशों में अभ्यास के लिए ले जाना चहते थे लेकिन उस समय वह भारत से बाहर अभ्यास नहीं करना चाहते थे। उन्होंने कहा, ‘‘अब मुझे स्रेसारेव की बातों को नहीं मानने का मलाल होता है। अगर मैं 2018 में ही अभ्यास के लिए विदेश गया होता तो शायद आज और बेहतर स्थिति में होता।’’

साबले ने स्टीपलचेज के अलावा पिछले महीने 5000 मीटर रेस में भी राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था। उन्होंने अमेरिका के सैन जून कैपिस्ट्रानो में साउंड रंिनग ट्रैक रेस में 13 मिनट 25.65 सेकंड का समय निकालकर 1992 में बहादुर प्रसाद के 13:29.70 के लंबे समय से चले आ रहे भारतीय रिकॉर्ड को तोड़ था। उन्होंने दिल्ली हाफ मैराथन में भी एक घंटा एक मिनट का शानदार समय निकाला था।   वह हालांकि पेरिस ओलंपिक तब अब सिर्फ स्टीपलचेज पर ही ध्यान देना चाहते है।

उन्होंने कहा, ‘‘ अभी  विश्व चैम्पियनशिप (अमेरिका के यूजीन में 15 से 24 जुलाई तक), राष्ट्रमंडल खेल (र्बिमंघम में 28 जुलाई से आठ अगस्त तक) है, यह आगामी ओलंपिक के लिए मेरी तैयारियों का हिस्सा है। पेरिस 2024 ओलंपिक से पहले स्टीपलचेज के अलावा किसी और स्पर्धा पर ध्यान देने की मेरी योजना नहीं है। अब मेरा पूरा ध्यान इसमें श्रेष्ठता हासिल करने पर है। ’’ साबले तोक्यो ओलंपिक से पहले कोराना वायरस से संक्रमित हो गये थे और इसका असर उनके खेल पर भी दिखा था लेकिन उन्होंने उस निराशा को पीछे छोड़ते हुए शानदार वापसी की।

तोक्यो में साबले ने आठ मिनट 18.12 सेकंड के समय के साथ राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था लेकिन अपनी हीट में सातवें स्थान पर रहते हुए फाइनल में जगह बनाने से चूक गये थे। उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना वायरस की चपेट में आने के कारण मेरा शरीर काफी कमजोर हो गया था और मैंने तोक्यो नहीं जाने का फैसला कर लिया था लेकिन कोच की सलाह पर मैंने वहां हिस्सा लिया।

ओलंपिक से ठीक पहले कोरोना और फिर ओलंपिक के फाइनल में क्वालीफाई करने में नाकाम रहने के बाद मैं काफी निराश हो गया था। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैं इसके बाद तीन महीने तक अपने घर पर था और फिर इस निराशा को पीछे छोड़ते हुए आगे बढ़ने का मन बनाया। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मेरा अगला लक्ष्य आठ मिनट 10 सेकंड के अंदर के समय को हासिल करना है और फिर इसमें लगातार सुधार  करते रहना है। मुझे लगता है कि यह संभव है और चीजें ठीक रही तो मैं अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता हूं।’’

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