मणिपुर में हुई हिंसा ने राज्य की युवा पीढ़ी को दिया जिंदगी भर का जख्म

गुवाहाटी. मणिपुर की आठ वर्षीय बार्बी बार-बार अपनी मां से सवाल करती है, ‘‘जब हम स्कूल जाएंगे तो क्या हम पर पथराव होगा ?’’. हालांकि, बार्बी दोबारा स्कूल जाने और पुराने मित्रों से मिलने को लेकर आशान्वित है और कुछ इसी तरह का विचार किंडरगार्टन में पढ़ने वाली चार चाल की नैंसी का भी है. लेकिन अपने जीवन के दो दशक पार कर चुकी लारा अपने अनिश्चित भविष्य को जानती है और कुछ इसी तरह का हाल मणिपुर के उन युवाओं का भी है जो हिंसा से प्रभावित हुए हैं.
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