गौतम अदाणी पर रिश्वतखोरी का कोई आरोप नहीं: अदाणी समूह

नयी दिल्ली: उद्योगपति गौतम अदाणी और उनके सहयोगियों पर कथित रिश्वतखोरी के मामले में अमेरिका के विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए) के तहत कोई आरोप नहीं लगाया गया है। अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड ने बुधवार को यह जानकारी दी।

कंपनी ने कहा कि उन पर प्रतिभूति धोखाधड़ी तथा वायर धोखाधड़ी के तहत आरोप लगाया गया है जिसमें मौद्रिक दंड लगाया जाना शामिल है। अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) ने शेयर बाजार को दी गई सूचना में कहा कि पिछले सप्ताह न्यूयॉर्क की एक अदालत में दायर अमेरिकी न्याय मंत्रालय (यूएस डीओजे) ने अदाणी समूह के संस्थापक चेयरमैन गौतम अदाणी, उनके भतीजे सागर और विनीत जैन का एफसीपीए का उल्लंघन करने की साजिश से संबंधित किसी भी मामले में उल्लेख नहीं किया गया है।

अदाणी समूह बंदरगाहों से लेकर ऊर्जा क्षेत्र तक में कारोबार करता है। एजीईएल पर आरोप है कि सौर ऊर्जा बिक्री ठेका हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 26.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर की रिश्वत दी गई, जिससे कंपनी को 20 वर्ष की अवधि में दो अरब अमेरिकी डॉलर का लाभ हो सकता था।

कंपनी ने कहा कि एजीईएल के तीनों अधिकारी पर केवल प्रतिभूति धोखाधड़ी की साजिश, वायर धोखाधड़ी की साजिश और प्रतिभूति धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है। आम तौर पर ऐसे आरोपों के लिए दंड रिश्वतखोरी की तुलना में कम गंभीर होते हैं।

इसमें कहा गया है कि गौतम तथा सागर पर प्रतिभूति अधिनियम की धाराओं के उल्लंघन और अदाणी ग्रीन को इन अधिनियम का उल्लंघन करने में सहायता करने व बढ़ावा देने के लिए दीवानी शिकायत भी दर्ज है।
अदाणी समूह ने पिछले सप्ताह सभी आरोपों से इनकार कर कहा था कि वह अपने बचाव के लिए हर संभव कानूनी मदद लेगा।

एफसीपीए के अनुसार, अमेरिका से जुड़ी किसी कंपनी या व्यक्ति जो सूचीबद्ध हो, अमेरिकी निवेशक या संयुक्त उद्यम के लिए किसी अन्य सरकार के अधिकारियों को अनुकूल व्यवहार के लिए कुछ मूल्यवान वस्तु का भुगतान या पेशकश करना अपराध है। अदाणी समूह की कोई भी कंपनी अमेरिका में व्यापार नहीं करती है, उनमें से कुछ जैसे एजीईएल में अमेरिकी निवेशकों का धन लगा है।

कंपनी की सूचना के अनुसर, ‘‘गौतम अदाणी, सागर अदाणी और विनीत जैन पर अमेरिकी न्याय मंत्रालय के अभियोग या अमेरिकी एसईसी की दीवानी शिकायत में निर्धारित आरोपों के अनुसार एफसीपीए के किसी भी उल्लंघन का आरोप नहीं लगाया गया है।’’

इसमें कहा गया, ‘‘ इन निदेशकों पर आपराधिक अभियोग में तीन आरोप लगाए गए हैं। उन पर प्रतिभूति धोखाधड़ी का षड्यंत्र रचना, वायर धोखाधड़ी का षड्यंत्र रचना, और प्रतिभूति धोखाधड़ी का आरोप है।’’ अमेरिकी न्याय मंत्रालय और अमेरिकी प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग ने गौतम अदाणी, सागर अदाणी और विनीत जैन के खिलाफ न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले की अमेरिकी जिला अदालत में एक आपराधिक अभियोग दायर किया है।

कंपनी ने कहा, ‘‘ अभियोग में किसी भी जुर्माने/दंड को निर्दिष्ट नहीं किया गया है।’’ पूर्व अटार्नी जनरल एवं वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने अदाणी समूह के दावों का समर्थन करते हुए कहा कि उनके आकलन के अनुसार पांच आरोप हैं। अदाणी और उनके सहयोगियों पर आरोप संख्या- एक या पांच के तहत आरोप नहीं लगाया गया है, जो क्रमश? एफसीपीए का उल्लंघन करने की साजिश रचने और न्याय में बाधा डालने की साजिश रचने से संबंधित हैं।

अदाणी और उनके सहयोगियों पर अन्य प्रतिभूतियों और बॉण्ड से संबंधित आरोप हैं। उन्होंने कहा कि अभियोग पत्र (जो भारतीय अदालत में दायर आरोपपत्र के बराबर है) में एक भी ऐसे व्यक्ति का नाम नहीं है जिसे रिश्वत दी गई हो। उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने भी कहा कि अदाणी या एजीईएल के खिलाफ अभियोग में कोई आरोप नहीं है।

ये दोनों अधिवक्ता अदाणी के पैरवी दल का हिस्सा है। एजीईएल ने बताया कि दीवानी शिकायत के आरोप के मुताबिक, अधिकारियों ने प्रतिभूति अधिनियम 1933 और प्रतिभूति अधिनियम 1934 की कुछ धाराओं का उल्लंघन किया, अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड को इन अधिनियमों का उल्लंघन करने में मदद की और बढ़ावा दिया।

कंपनी की सूचना के अनुसार, ‘‘ शिकायत में प्रतिवादियों को सिविल मौद्रिक दंड का भुगतान करने का निर्देश देने के लिए आदेश देने का अनुरोध किया गया है, लेकिन इसमें जुर्माने की राशि कितनी हो, इसके बारे में कुछ नहीं कहा गया।’’

न्याय मंत्रालय ने अदाणी ग्रीन, एज्यूर पावर और सीडीपीक्यू (कैसे डे डेपो एट प्लेसमेंट डु क्यूबेक) के वरिष्ठ अधिकारियों पर 2020 से 2024 के बीच भारतीय सरकारी संस्थाओं से सौर ऊर्जा ठेके हासिल करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने की साजिश का हिस्सा होने का आरोप लगाया है।

सीडीपीक्यू एक कनाडाई संस्थागत निवेशक एवं एज्यूर की सबसे बड़ी शेयरधारक है। मंत्रालय ने कहा कि इस दौरान अदाणी ग्रीन के वरिष्ठ अधिकारियों ने कंपनी की रिश्वत-रोधी प्रथाओं को (अमेरिका स्थित निवेशकों तथा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के समक्ष) गलत तरीके से प्रस्तुत करने की साजिश रची। साथ ही उन निवेशकों तथा संस्थानों से यह बात भी छिपाई कि उन्होंने सौर ऊर्जा आपूर्ति ठेकों सहित हरित ऊर्जा परियोजनाएं हासिल करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी थी। इसे छुपाने का मकसद इन निवेशकों तथा संस्थानों से अरबों डॉलर का वित्त पोषण हासिल करना था।

अमेरिकी न्याय मंत्रालय के अभियोग में पांच आरोपों में से आरोप संख्या-1 (अभियोग पत्र के पृष्ठ 42 पर लिखे) में अदाणी और दो अन्य अधिकारियों का नाम शामिल नहीं है जिसे न्याय मंत्रालय ने ‘‘एफसीपीए का उल्लंघन करने की साजिश’’ बताया है।

आरोप संख्या-1 में रंजीत गुप्ता, सिरिल कैबनेस, सौरभ अग्रवाल, दीपक मल्होत्रा ??और रूपेश अग्रवाल पर आरोप हैं। अदाणी और उनके अधिकारियों पर आरोप संख्या-5 (अभियोग पत्र के पृष्ठ 51 पर लिखे) के तहत भी आरोप नहीं लगाया गया है, जिसे मंत्रालय ने ‘‘न्याय में बाधा डालने की साजिश’’ बताया है।

आरोप संख्या-5 के तहत सिरिल कैबनेस, सौरभ अग्रवाल, दीपक मल्होत्रा ??और रूपेश अग्रवाल के नाम शामिल हैं।
चूंकि गौतम अदाणी, सागर अदाणी और विनीत जैन पर आरोप संख्या एक और पांच (क्रमश? एफसीपीए का उल्लंघन करने की साजिश और न्याय में बाधा डालने की साजिश) के तहत आरोप नहीं लगाया गया है…इसलिए अमेरिकी प्राधिकारियों द्वारा उन पर आरोप संख्या दो, तीन या चार (क्रमश? प्रतिभूति धोखाधड़ी की साजिश, वायर धोखाधड़ी की साजिश तथा प्रतिभूति धोखाधड़ी) के तहत आरोप नहीं लगाया जा सकता है।

अमेरिकी अभियोग के बाद से अदाणी समूह की कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में लगभग 54 अरब अमेरिकी डॉलर की गिरावट आई है। वहीं मूडीज और फिच सहित साख निर्धारण करने वाली अंतरराष्ट्रीय रेंिटग एजेंसियों ने अदाणी समूह की कई कंपनियों के लिए अपने परिदृश्य को घटा दिया है।

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