कांग्रेस और वाम दलों के साथ कोई बातचीत नहीं हुई थी: पवार ने मोदी को विपक्षी दलों के पत्र पर कहा

पुणे. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने सोमवार को कहा कि केंद्रीय एजेंसियों का ‘खुल्लम-खुल्ला दुरुपयोग’ किये जाने का आरोप लगाते हुए कुछ विपक्षी दलों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गये पत्र पर कांग्रेस और वाम दलों ने हस्ताक्षर नहीं किये थे. साथ ही, पवार ने कहा कि उन्होंने पत्र पर हस्ताक्षर के लिए इन राजनीतिक दलों के साथ बातचीत नहीं की थी.

आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और आठ अन्य दलों द्वारा लिखे गये पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में महाराष्ट्र में विपक्षी खेमे से पवार तथा शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे शामिल हैं. पवार ने संवाददाताओं से कहा कि सबसे पहले उन्होंने ही पत्र पर हस्ताक्षर किये थे. उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री इसका संज्ञान लेंगे.

कांग्रेस और वाम दलों द्वारा पत्र पर हस्ताक्षर नहीं करने और यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने दोनों दलों से बातचीत की थी, पवार ने कहा,‘‘कोई बातचीत नहीं हुई थी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘जिन 5-10 लोगों से मैंने उनके हस्ताक्षर के लिए कहा, उनके हस्ताक्षर पत्र पर हैं. जिनसे मैंने हस्ताक्षर करने का अनुरोध नहीं किया, उनके हस्ताक्षर पत्र पर नहीं हैं.’’ विपक्षी दलों के बीच एकता की जरूरत और कांग्रेस की भूमिका के बारे में उनके विचार पूछे जाने पर पवार ने कहा कि विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस का होना जरूरी है.

उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस देश में एक महत्वपूर्ण पार्टी है. इसकी सफलताओं और असफलताओं को किनारे रख दीजिए, आज पार्टी के कार्यकर्ता हर गांव और प्रत्येक राज्य में है. जिस तरह कांग्रेस महत्वपूर्ण है, उसी तरह (तृणमूल कांग्रेस की) ममता बनर्जी भी अन्य नेताओं के साथ-साथ महत्वपूर्ण हैं.’’ कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में दिये कांग्रेस नेता राहुल गांधी के हालिया व्याख्यान के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा कि यदि राहुल ने वहां ‘तथ्य’ रखे थे तो परेशान होने की क्या बात है.

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस नेता ने कहा था कि भारतीय लोकतंत्र खतरे में है. वहीं, भाजपा ने राहुल की इस टिप्पणी को लेकर उनकी आलोचना की थी. पवार ने कहा, ‘‘राहुल गांधी एक राजनीतिक दल के नेता हैं, जिनसे उनके आकलन के बारे में पूछा गया था. हिंदुस्तान में लोकतंत्र को लेकर जताई जा रही चिंताओं का आकलन करने में क्या गलत है? उन्होंने अपने विचार प्रकट किये थे.’’

सुनिश्चित करूंगा कि एमवीए के घटक दल महाराष्ट्र विधानसभा, लोकसभा चुनाव साथ लड़ें : शरद पवार
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र के लोग बदलाव चाह रहे हैं और वह यह सुनिश्चित करेंगे कि महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के घटक दल राज्य का अगला विधानसभा चुनाव तथा 2024 का लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ें.

पवार ने पुणे शहर के कस्बा पेठ विधानसभा क्षेत्र से नवनिर्वाचित कांग्रेस विधायक रवींद्र धंगेकर से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बातचीत में यह टिप्पणी की. धंगेकर राकांपा प्रमुख से मिलने के लिए पुणे स्थित उनके आवास पहुंचे थे. पवार ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गढ़ कस्बा पेठ में हुए विधानसभा उपचुनाव में आम लोगों ने धंगेकर को चुना, क्योंकि वह पिछले कई वर्षों से उनके लिए काम कर रहे हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या आगामी निकाय चुनावों में एमवीए के घटक दल साथ लड़ने का फॉर्मूला दोहराएंगे, पवार ने कहा कि राकांपा में उनके सहयोगी इस पहलू पर गौर कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, मेरा प्रयास यह सुनिश्चित करना होगा कि एमवीए के घटक दल एक साथ रहें, संयुक्त फैसले लें और राज्य विधानसभा एवं लोकसभा चुनावों का मिलकर सामना करें.’’ पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र के लोग बदलाव चाह रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं राज्य में घूम रहा हूं और इस दौरान लोग मुझसे कह रहे हैं कि वे बदलाव चाहते हैं. वे चाहते हैं कि हम (विपक्ष) साथ आएं. यह लोगों की भावना है.’’ एमवीए का गठन 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद हुआ था, जब उद्धव ठाकरे और उनकी पुरानी सहयोगी भाजपा की राहें जुदा हो गई थीं. इसमें शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), राकांपा और कांग्रेस शामिल हैं.

कस्बा पेठ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस-एमवीए उम्मीदवार रवींद्र धंगेकर ने भाजपा प्रत्याशी हेमंत रासने पर 10,800 से अधिक वोटों से जीत हासिल की थी. पवार ने शुरुआत में कहा था कि कस्बा पेठ में जीत मुश्किल नजर आ रही है, क्योंकि भाजपा सांसद गिरीश बापट वहां के मतदाताओं के बीच मजबूत पकड़ रखते हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘बापट की खूबी यह है कि उनके पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ तो मजबूत संबंध थे ही, साथ ही गैर-भाजपा दलों के साथ भी उनके रिश्ते बेहद सौहार्दपूर्ण थे. इसलिए हमारा आकलन था कि कस्बा पेठ में जीत हमारे लिए मुश्किल होगी, क्योंकि निर्वाचन क्षेत्र में बापट की पकड़ मजबूत थी.’’ पवार ने आगे कहा, ‘‘लेकिन अंत में हमने महसूस किया कि इस बात को लेकर सुगबुगाहट थी कि क्या भाजपा उम्मीदवार का चयन करते समय बापट के सुझावों पर विचार किया गया था.’’ उन्होंने कस्बा पेठ में जीत का श्रेय धंगेकर द्वारा किए गए कार्यों और एमवीए के घटकों की कड़ी मेहनत को दिया.

भाजपा द्वारा चुनाव के अंतिम चरण में कथित रूप से हिंदुत्व फैक्टर लाने की कोशिशों के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा कि उन्होंने लोगों को उद्धव ठाकरे के बारे में बहुत बातें कहते हुए सुना है, जिन्होंने पिछली एमवीए सरकार का नेतृत्व किया था. चुनाव से पहले भाजपा द्वारा धन बांटे जाने के आरोपों पर राकांपा प्रमुख ने कहा कि उन्हें नोटों के बंडलों की कुछ तस्वीरें दिखाई गईं, लेकिन वह मामले की गहराई में नहीं गए.

पवार ने कहा, ‘‘ये तस्वीरें मुझे उन लोगों ने दिखाई थीं, जो राजनीति में नहीं हैं. उन्होंने मुझे बताया कि वे एक खास विचारधारा को वोट देते रहे हैं, लेकिन कहा कि जब उन्होंने धन बंटते हुए देखा तो इन लोगों से दूर जाने का फैसला किया.’’ राकांपा प्रमुख ने कहा, ‘‘पारंपरिक मतदाता को धन बांटना पसंद नहीं आया. उन्होंने चुनाव में यह साबित कर दिया कि वे इन बातों को स्वीकार नहीं करेंगे.’’ भाजपा ने मतदाताओं को धन के कथित वितरण से किसी भी तरह का संबंध होने के आरोपों से इनकार किया था.

प्याज की कीमतों में गिरावट और नेफेड द्वारा खरीद के बारे में किसानों की शिकायतों पर बोलते हुए पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि नासिक के कुछ किसानों ने उन्हें बताया कि प्याज की खरीद ठीक से नहीं हो रही है. पवार ने कहा, ‘‘प्याज के दाम कम हो गए हैं, लेकिन उनके भंडारण पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. राज्य और केंद्र सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है. किसानों का कहना है कि सरकार ने जो भी फैसले लिए हैं, वो उचित नहीं हैं.’’

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