UAPA जरूरी, ताकि आतंकियों व दूसरों का सिर काटने वालों पर कार्रवाई कर सके : आर के सिंह

नयी दिल्ली. केंद्रीय मंत्री आर के सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) जैसे विशेष कानून ‘‘आवश्यक’’ हैं ताकि आतंकवादियों और ‘‘दूसरों का सिर काटने वालों’’ के खिलाफ कार्रवाई की जा सके. केंद्रीय मंत्री यहां ‘भारतीय संस्कृति और दर्शन में मानवाधिकार’ विषय पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर लोगों को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि यूएपीए जैसे कानून होने चाहिए, और कुछ लोगों को हिरासत में लिया जाना चाहिए, ताकि ‘‘दूसरों के जीवन की रक्षा’’ की जा सके. उनकी ये टिप्पणी राजस्थान के उदयपुर में एक दजर्Þी की हत्या के लिए यूएपीए के तहत दो लोगों के खिलाफ मामला दजर्Þ करने की पृष्ठभूमि में आई है.

पूर्व केंद्रीय गृह सचिव, सिंह ने कहा कि बिहार और केंद्र दोनों में गृह विभाग संभालने के दौरान उन्हें आतंकवादियों और नक्सलियों के खतरे से अवगत कराया गया था. उन्होंने कहा कि कभी-कभी आम लोगों यहां तक कि उन पुलिसर्किमयों तक को ढूंढना मुश्किल होता है जो उनके खिलाफ सबूत दे सकते हैं, लेकिन अपनी सुरक्षा के डर से कुछ भी कहने से डरते हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, अपराध नियंत्रण अधिनियम और यूएपीए जैसे विशेष कानूनों का होना आवश्यक है, ताकि हम आतंकवादियों और उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर सकें जो दूसरों का सिर कलम करते हैं. इसे स्वीकार करना होगा.’’ उन्होंने कहा कि देश आतंकवाद और नक्सलवाद के अधीन रहा है और समय के साथ, दोनों से निपटा गया है.

दो दिवसीय सम्मेलन के विषय का उल्लेख करते हुए, सिंह ने कहा, ‘‘मानव अधिकार एक ऐसी चीज है जो हमारे डीएनए में अंर्तिनहित है, जिसे हमें बाहर से एक अवधारणा के रूप में नहीं दिया गया है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम पृथ्वी पर सबसे सहिष्णु लोग हैं. हमने कभी भी धर्मों के साथ भेदभाव नहीं किया. हम सभी देवताओं का सम्मान करते हैं. हम धर्मांतरण में विश्वास नहीं करते हैं.’’ उल्लेखनीय है कि रियाजÞ अख्तरी और गौस मोहम्मद ने मंगलवार को उदयपुर में दजर्Þी का सिर कलम करने के बाद एक वीडियो में इस बात को कुबूल किया कि उन्होंने ये ‘इस्लाम के अपमान’ का बदला लेने के लिए किया था.

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को कहा था कि हत्या का मकसद आतंक फैलाना था. उन्होंने कहा कि यह भी जानकारी सामने आई है कि हत्यारों के विदेश में संपर्क थे. प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने हत्या की निंदा करते हुए इसे ‘‘गैर-इस्लामी’’ करार देते हुए कहा है कि किसी भी व्यक्ति को कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है.

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