कानून व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ विधानसभा में हंगामा

रायपुर. छत्तीसगढ़ के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने मंगलवार को विधानसभा में भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए दावा किया कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति ध्वस्त हो गई है और लोग कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं. कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा में शून्यकाल के दौरान कानून-व्यवस्था का मुद्दा उठाते हुए स्थगन प्रस्ताव का नोटिस देकर इस पर चर्चा की मांग की. हंगामे के बीच, कार्यवाही को एक बार स्थगित करना पड़ा और कांग्रेस विधायकों को भी निलंबित कर दिया गया.

नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत, पूर्व मंत्री उमेश पटेल, कवासी लखमा और अनिला भेड़िया समेत कांग्रेस विधायकों ने कहा कि राज्य में अपहरण, हत्या और महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाएं बढ़ रही हैं. उन्होंने कहा कि देश में ‘धान का कटोरा’ कहा जाने वाला छत्तीसगढ़ अब ‘अपराध गढ़’ (अपराधों का गढ़) बन गया है.

विपक्षी सदस्यों ने कहा कि राज्य में ‘डबल इंजन’ सरकार आने के बाद से नक्सली घटनाएं भी बढ़ रही हैं तथा गृहविभाग का कामकाज संभाल रहे उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के गृह जिले कबीरधाम में एक के बाद एक तीन हत्याएं हुईं. कांग्रेस सदस्यों ने काम रोक कर इस पर चर्चा की मांग की. विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह ने उनकी मांग को अस्वीकार कर दिया जिसके बाद हंगामा शुरू हो गया और विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी शुरू कर दी.

हंगामे के बीच अध्यक्ष ने कार्यवाही को लगातार दो बार पांच-पांच मिनट के लिए स्थगित कर दिया. जैसे ही कार्यवाही दोबारा शुरू हुई, नेता प्रतिपक्ष महंत और विपक्ष के सदस्य अपनी मांग उठाते रहे. जब विपक्षी सदस्य नारेबाजी करने लगे और आसान के समीप आ गए तब विधानसभा नियमों के अनुसार उन्हें स्वत: निलंबित कर दिया गया. बाद में उनका निलंबन रद्द कर दिया गया.

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