बाधाओं को लांघ कर बड़े ख्वाब के साथ आईआईएम इंदौर पहुंची दृष्टि बाधित युवती
इंदौर. कोत्ताकापू शिवानी (21) देख नहीं सकतीं, लेकिन अपने करियर को लेकर उनकी आंखों में बड़े ख्वाब साफ देखे जा सकते हैं.
बेहद कड़े मुकाबले वाले कॉमन एडमिशन टेस्ट (कैट) में कामयाब होकर इंदौर के भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) के दो वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम (पीजीपी) में दाखिला लेने वाली शिवानी का सफर जाहिर तौर पर आसान नहीं रहा है.
आईआईएम इंदौर के एक अधिकारी ने बताया कि शिवानी इस संस्थान के पीजीपी पाठ्यक्रम के 482 विद्यार्थियों के मौजूदा बैच में इकलौती ऐसी विद्यार्थी हैं जो 100 प्रतिशत दृष्टि बाधित हैं. इस पाठ्यक्रम को मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) के बराबर माना जाता है.
उन्होंने बताया कि मौजूदा पीजीपी बैच में शिवानी के अलावा तीन ऐसे विद्यार्थी हैं जिन्हें दृष्टिदोष के कारण कम दिखाई देता है.
हैदराबाद से करीब 110 किलोमीटर दूर जहीराबाद से ताल्लुक रखने वाली शिवानी ने ”पीटीआई-भाषा” को बताया कि उन्होंने अपने गृहनगर में सामान्य बच्चों वाले विद्यालय में पढ़ाई शुरू की, लेकिन उन्हें इसमें मुश्किल हुई क्योंकि बचपन में उन्हें न तो ब्रेल लिपि आती थी, न ही दृष्टि बाधित विद्यार्थियों के इस्तेमाल किए जाने वाले तकनीकी उपकरणों का ज्ञान था.
उन्होंने बताया,”इन दिक्कतों के कारण मेरे माता-पिता ने हैदराबाद में दृष्टि बाधित विद्यार्थियों के एक विद्यालय में मेरा दाखिला कराया और इसके बाद कक्षा 10 तक मेरा अकादमिक सफर आसान हो गया.” शिवानी के मुताबिक 10वीं तक पढ़ने के बाद उनमें इतना आत्मविश्वास आ गया था कि उन्होंने 11वीं में सामान्य विद्यार्थियों के एक विद्यालय के वाणिज्य संकाय में दाखिला लेने का फैसला किया और तकनीकी उपकरणों की मदद से पढ़कर अपनी बैच में अव्वल रहीं.
उन्होंने बताया कि चेन्नई के एक विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि हासिल करने के बाद वह एमबीए पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए नवंबर 2023 के दौरान कैट प्रवेश परीक्षा में बैठीं और इसके अंकों के आधार पर जनवरी से मार्च के बीच 18 प्रबंधन शिक्षा संस्थानों में साक्षात्कार दिया.
आईआईएम इंदौर में हाल ही में दाखिला लेने वाली शिवानी ने कहा,”पीजीपी की पढ़ाई के बाद मैं कॉर्पोरेट जगत में काम करना चाहूंगी. मैं अपने करियर की शुरुआत में किसी कंपनी के सभी विभागों में काम का अनुभव हासिल करना चाहूंगी और इसके बाद किसी एक विभाग में विशेषज्ञता हासिल करके प्रबंधन के शीर्ष स्तर पर जाना चाहूंगी.” भगवान कृष्ण को अपना आदर्श मानने वाली 21 वर्षीय युवती ने कहा कि कृष्ण की शिक्षाओं से उन्हें जीवन के तमाम उतार-चढ़ाव में सकारात्मक बने रहने की ऊर्जा मिलती है.
पीजीपी विभाग के अध्यक्ष सायंतन बनर्जी ने कहा कि संस्थान अपनी शुरुआत से ही हर तरह की विविधता को बढ़ावा देता आ रहा है और शिवानी जैसी मेधावी विद्यार्थी को अपने परिवार में शामिल करके गौरवान्वित है. उन्होंने बताया कि आईआईएम इंदौर में दृष्टि बाधित विद्यार्थियों को कक्षाओं में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के इस्तेमाल की इजाजत दी जाती है. इसके साथ ही, उन्हें कक्षाओं की विशेष रिकॉर्डिंग भी मुहैया कराई जाती है ताकि उन्हें पढ़ाई में मदद मिल सके.